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ट्रांजिस्टर क्या है और इसके प्रकार

दोस्तों क्या आप जानना चाहते हैं ट्रांजिस्टर क्या है – What is transistor in Hindi और ट्रांजिस्टर के प्रकार – Types of transistors in Hindi क्या-क्या है? तो आप बिल्कुल सही पोस्ट को पढ़ रहे हैं. नमस्कार दोस्तों आपका MDS BLOG में स्वागत है जहां की आपको लगभग हर तरह की नई नई जानकारी दी जाती है आज की हमारी इस पोस्ट का टॉपिक ट्रांजिस्टर है

दोस्तों अगर आप 12th में साइंस के स्टूडेंट है तो ट्रांजिस्टर क्या है? यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी क्योंकि यह बोर्ड के लिए एक उपयोगी प्रश्न है जो कि लगभग हर 2 सालों में पूछा जाता है तो चलिए बिना देरी करें इस विषय पर चर्चा करते हैं.

दोस्तों अगर आप टेक्नोलॉजी से रिलेटेड फील्ड से जुड़े हैं तो आपने ट्रांजिस्टर का नाम सुना होगा शायद बहुत कम लोग इसके बारे में जानते होंगे कि यह कैसे काम करता है. ट्रांजिस्टर के बारे में जानने से पहले हमें चालक, अचालक तथा अर्धचालक के बारे में जानना होगा जोकि ट्रांजिस्टर के बारे में बेसिक जानकारी हमें देते हैं

चालक क्या है – What is conductor in Hindi

चालक वे पदार्थ होते हैं जिनमें चालन के लिए मुक्त इलेक्ट्रॉन प्रयुक्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं. इनमें विद्युत धारा का प्रवाह आसानी से किया जा सकता है आपकी जानकारी के लिए बता दें सभी धातुएं धारा का सुचालक होती है और चांदी सबसे अच्छा सुचालक माना जाता है

अचालक क्या है – What is dielectric in Hindi

अचालक वे पदार्थ होते हैं जिनमें मुक्त इलेक्ट्रॉन की संख्या नगण्य होती है. इसमें विद्युत धारा आसानी से प्रवाहित नहीं हो पाती है यानी कि इसमें धारा का प्रवाह नगण्य होता है इसके सबसे बेहतरीन उदाहरण लकड़ी, रबड़, प्लास्टिक आदि है

अर्धचालक क्या है – What is semiconductor in Hindi

अर्धचालक वे पदार्थ है जिनमें धारा का प्रवाह विद्युत गुणधर्म, चालकों तथा विद्युत रोगियों के बीच होता है. दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दें अर्धचालक को सुगमता से चालक बनाया जा सकता है इसके सबसे बेहतरीन उदाहरण सिलिकॉन तथा जर्मीनियम है.

तो दोस्तों ट्रांजिस्टर पढ़ने से पहले आपको यह तीनों बातें जानना जरूरी थी जो कि मैं उम्मीद करता हूं आप समझ गए होंगे. अब हम ट्रांजिस्टर के बारे में बात कर लेते हैं और जानते हैं कि ट्रांजिस्टर क्या है और ट्रांजिस्टर के प्रकार कितने होते हैं तो चलिए जानते हैं –

ट्रांजिस्टर क्या है – What is transistor in Hindi

ट्रांजिस्टर क्या है और ट्रांजिस्टर के प्रकार

यह एक ऐसा अर्धचालक है जिसके दोनों सिरों पर दो एक ही प्रकार के अर्धचालक क्षेत्र होते हैं तथा मध्य में एक पतला विपरीत प्रकार का अर्थचालक क्षेत्र होता है. इस प्रकार ट्रांजिस्टर दो प्रकार के होते हैं P-N-P ट्रांजिस्टर तथा N-P-N ट्रांजिस्टर

दोस्तों मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं ट्रांजिस्टर का आविष्कार सन 1948 में अमेरिकन वैज्ञानिक William Shockley, John Bardeen और Walter Houser Brattain ने किया था. ट्रांजिस्टर का आविष्कार करने के बाद इन्हें सन 1956 में नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था

ट्रांजिस्टर की सहायता से कंप्यूटर और मोबाइल फोन में स्पीड से कार्य किया जा सकता है. ट्रांजिस्टर इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल और विद्युत ऊर्जा को स्विच या अम्प्लिफाई करने का कार्य करता है. यह डिजिटल सर्किट के महत्वपूर्ण घटकों में से एक है

ट्रांजिस्टर के प्रकार – Types of transistors in Hindi

दोस्तों मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं सामान्यत ट्रांजिस्टर दो प्रकार के होते हैं जिनमें की पहला ट्रांजिस्टर P-N-P ट्रांजिस्टर तथा दूसरा ट्रांजिस्टर N-P-N ट्रांजिस्टर होता है. अब हम इनके बारे में गहराई से जानते हैं कि यह दोनों कैसे बनाए जाते हैं और कैसे यह दोनों कार्य करते हैं-

  • P-N-P ट्रांजिस्टर
  • N-P-N ट्रांजिस्टर

P-N-P ट्रांजिस्टर क्या है

दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दूं यह ट्रांजिस्टर N-टाइप अर्धचालक की पतली परतों को P-टाइप अर्धचालक की दो मोटी परतों के बीच दबाकर बनाया जाता है. P-N-P ट्रांजिस्टर में बीच में आधार तथा बाएं और के गुटके को उत्सर्जक और दाएं और के गुटके को संग्राहक कहा जाता है.

उत्सर्जक को आधार के सापेक्ष धनात्मक विभव तथा संग्रहक को आधार के सापेक्ष ऋणत्मक विभव दिया जाता है इस प्रकार बाई और की उत्सर्जक आधार P-N संधि अग्र अभिनत कम प्रतिरोध वाली होती है तथा दाएं और की आधार संग्राहक संधि N-P उत्क्रमणीय अभिनत उच्च प्रतिरोध वाली होती है.

आपकी जानकारी के लिए बता दूं इसमें P-टाइप उत्सर्जक कोटर प्रदान करता है जबकि N-टाइप उत्सर्जन इलेक्ट्रॉन प्रदान करता है तथा ट्रांजिस्टर में उत्सर्जन आधार संधि हमेशा अग्र अभिनत होती है जबकि संग्राहक संधि हमेशा उत्क्रम अभिनत होती है

N-P-N ट्रांजिस्टर क्या है

P-टाइप अर्धचालक की पतली परत को N-टाइप अर्धचालक की 2 मोटी परतों के बीच दबाकर N-P-N ट्रांजिस्टर बनाया जाता है. इस ट्रांजिस्टर में उत्सर्जन को आधार के सापेक्ष ऋणत्मक विभव तथा संग्रहक को आधार के सापेक्ष धनात्मक विभव दिया जाता है

इसी प्रकार बाई और के उत्सर्जन आधार संधि N-P को अग्र अभिनत तथा दाएं और की आधार संधि P-N को उत्क्रमित अभिनत कहा जाता है.

ट्रांजिस्टर के लाभ

  • ट्रांजिस्टर तेजी से काम करते हैं
  • ट्रांजिस्टर सस्ते होते हैं इसीलिए इसका उपयोग तकनीकी क्षेत्र में ज्यादा किया जाता है
  • ट्रांजिस्टर लंबी लाइफ प्रदान करते हैं और जल्दी खराब नहीं होते हैं तथा निरंतर कार्य करते हैं
  • एक ट्रांजिस्टर Low वोल्टेज पर अच्छा कार्य कर लेता है
  • ट्रांजिस्टर का उपयोग हम एक स्विच की तरह करते हैं
  • ट्रांजिस्टर का उपयोग एंपलीफायर में भी किया जाता है
  • ट्रांजिस्टर ज्यादा इलेक्ट्रॉनों की हानि नहीं होने देता है
  • माइक्रोप्रोसेसर में हर एक चिप में ट्रांजिस्टर शामिल होते हैं

दोस्तो ट्रांजिस्टर के बारे में तो आपने जान ही लिया है यह आपके बोर्ड के लिए एक उपयोगी प्रश्न तो है ही साथ में अब हम एक इसी से मिलते-जुलते प्रश्न जेनर डायोड के बारे में बात कर लेते हैं

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जेनर डायोड क्या है

दोस्तों मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं जेनर डायोड P-N संधि डायोड को उचित रूप में डोपिंग यानी की अशुद्धि मिलाने पर निर्मित एक ऐसा डायोड है जो कि भंजक बोल्टता क्षेत्र में ही कार्य कर सकता है इस प्रकार के डायोड को जेनर डायोड या भंजक डायोड कहा जाता है.

अगर दोस्तों में इसे दूसरे शब्दों में समझाऊं तो इसे हम निम्न तरह से परिभाषित कर सकते हैं “विशेष रूप में बनाया गया एक ऐसा संधि डायोड जो उत्क्रम भंजक क्षेत्र में लगातार बिना नष्ट हुए कार्य कर सकें जेनर डायोड कहलाता है”

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संक्षेप में

दोस्तों मुझे उम्मीद है आपको बताई गई जानकारी ट्रांजिस्टर क्या है – What is transistor in Hindi और ट्रांजिस्टर के प्रकार तथा जेनर डायोड क्या है? जरूर पसंद आई होगी दोस्तों अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी है तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर कीजिएगा

अगर आप 12th साइंस के स्टूडेंट है तो यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी है ही साथ में यह बोर्ड के लिए एक उपयोगी प्रश्न भी है आप इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर कीजिएगा.

दोस्तों अगर आप नई नई जानकारियों को पाना चाहते हैं तो MDS BLOG के साथ जरूर जुड़िए जहां की आपको हर तरह की नई जानकारी दी जाती है दोस्तों अगर आपका इस जानकारी के बारे में कोई भी प्रश्न है तो आप कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं MDS BLOG पर यह पोस्ट पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!

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