नमस्कार दोस्तों क्या आप दीपावली या दिवाली पर निबंध (Diwali essay in Hindi) खोज रहे हैं. तो आज कि यह पोस्ट आपके लिए काफी लाभकारी साबित होगी. इस पोस्ट में आपको दिवाली पर निबंध कैसे लिखा जाए बताया गया है आइए दिवाली पर निबंध की शुरुआत करते हैं
दिवाली पर निबंध – Diwali essay in Hindi
प्रस्तावना
प्रतिवर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को हिन्दू समाज में दिवाली का पर्व मनाया जाता है. दीपावली शब्द दीप+अवली के योग से बना है जिसका अर्थ ‘दीपों की पंक्ति’ है
इस पर्व पर प्रत्येक घर को दीपों से सजाया जाता है इसीलिए इस पर्व को दिवाली कहते हैं. दिवाली के दिन घर-घर में लक्ष्मी-गणेश की पूजा की जाती है
लोग इस दिन आपसी द्वेष को भुलाकर एक-दूसरे के घर जाते हैं और मिठाइयाँ बाँटते हैं. बच्चों के लिए यह दिन विशेष खुशी का होता है. वे रंग-बिरंगे वस्त्र पहनकर पटाखे जलाते हैं और अपने दोस्तों के साथ मिलकर मिठाइयां खाते हैं
दिवाली का पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्त्व
दिवाली का अपना पौराणिक महत्त्व है. इसी दिन लंका-विजय के बाद जब भगवान राम अयोध्या लौटे थे तो सम्पूर्ण भारतवर्ष में दीपक जलाकर खुशियाँ मनाई गई थी. उसी दिन से यह त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. अनेक विद्वानों का यह भी मत है कि यह त्योहार इससे भी अधिक प्राचीन समय से मनाया जाता रहा है
वैज्ञानिक दृष्टि से दिवाली का महत्त्व
दिवाली का पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्त्व तो है ही इसका वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्त्व है. वर्षा-ऋतु में उत्पन्न कीड़ों-मकोड़ों, जल में घास-फूस एवं गन्दगी के सड़ने से उत्पन्न विषैली गैसों तथा घरों में व्याप्त सीलन को दूर करने की दृष्टि से भी दिवाली के त्योहार को महत्त्वपूर्ण भूमिका है
लोग दिवाली का त्योहार आने के बहुत पूर्व से ही अपने घर एवं उसके आस-पास की सफाई प्रारम्भ कर देते हैं. वे घर एवं दुकानों पर नया रंग-रोगन करवाते हैं. इससे घर की सीलन एवं उसके कोनों आदि में छुपे हुए कीड़े-मकोड़ों का नाश हो जाता है. वैज्ञानिक दृष्टि से इसे स्वच्छता अभियान माना जा सकता है
दिवाली से लाभ
दिवाली मात्र एक त्योहार ही नहीं है अपितु इससे अनेक लाभ भी हैं. घर- मोहल्ले की सफाई, वातावरण की शुद्धि, आपसी सद्भाव की भावना का विकास तथा नए कार्य व नई योजनाओं को प्रारम्भ करने की प्रेरणा के साथ-साथ दिवाली हमें अँधेरे से लड़ने का भी सन्देश देती है
दिवाली से हानि
मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जो अपने ईष्ष्या-द्वेष पर आधारित विचारों एवं अज्ञानतापूर्ण व्यवहार के द्वारा किसी लाभप्रद रीति-रिवाज को भी हानिकारक बना देता है. दिवाली के दिन जुआ खेलने, मदिरापान करने और अशिष्ट आचरण से विनाश को आमन्त्रित करने वालों की आज भी कमी नहीं है
ऐसे लोग इस त्योहार की पवित्रता को कलंकित कर समाज को हानि ही पहुंचाते हैं. इस दिन देशभर में पटाखों के रूप में अरबों रुपये का बारूद फूँक दिया जाता है. इससे देश की अर्थव्यवस्था तो प्रभावित होती ही है, वातावरण भी प्रदूषित होता है. अनेक लोग पटाखों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं का शिकार होकर अपनी जिन्दगी नरक बना लेते हैं
उपसंहार
दिवाली हिन्दुओं का एक महत्त्वपूर्ण और पावन त्योहार है. धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक आदि विभिन्न दृष्टियों से इस पर्व का विशिष्ट महत्त्व है. मानव-जीवन में सुख, शान्ति और समृद्धि लाने में सहायक अनेक मंगलकारी प्रेरणा इस पर्व के महत्व की पृष्ठभूमि में छिपी हुई है
अतः किसी भी त्योहार को मनाते समय उसमें निहित कल्याणकारी भावों को भी समझना चाहिए. दिवाली के त्यौहार के लिए भी हमें यही दृष्टिकोण अपनाना उचित होगा तभी हम इसका वास्तविक आनंद प्राप्त कर सकते हैं
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संक्षेप में
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