क्या आप विज्ञापन का महत्व पर निबंध खोज रहे हैं तो यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी. इस पोस्ट में मैंने आपको विज्ञापन और हमारा जीवन पर निबंध समझाया है
इस एक निबंध से आप विज्ञापन का सही मायने में मतलब समझ सकते हैं और विज्ञापन की भूमिका के बारे में भी समझ सकते हैं तो आइए विज्ञापन का महत्व पर निबंध की शुरुआत करते हैं –
विज्ञापन का महत्व – Importance of Advertising in Hindi
प्रस्तावना
किसी वस्तु, उत्पाद अथवा विचारधारा का जन सामान्य के बीच प्रचार प्रसार करना विज्ञापन का सबसे मुख्य उद्देश्य है. प्रचार प्रसार के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए जिन साधनों का प्रयोग किया जाता है उन्हें विज्ञापन कहा जाता है
विज्ञापन के प्रचार-प्रसार के इस व्यापक उद्देश्य में अनेक उद्देश्य निहित होते हैं. समाज को जागरूक, शिक्षित करने, किसी वस्तु के गुण-दोषों का उद्घाटन करके उसको अंगीकृत अथवा तिरस्कृत करने के लिए प्रेरित करने के लिए विज्ञापन का सहारा लिया जाता है
विज्ञापन के प्रकार
विज्ञापनों का वर्गीकरण दो मुख्य आधारों पर किया जा सकता है
- साधनों के आधार पर
- उद्देश्यों के आधार पर
साधनों के आधार पर विज्ञापनों के प्रकार – विज्ञापन में प्रयोग किए जाने वाले साधनों के आधार पर विज्ञापन अनेक प्रकार के होते हैं जैसे- रेडियो विज्ञापन, दूरदर्शन विज्ञापन, होडिग्स विज्ञापन, अखबारी विज्ञापन, पैंफ्लेट विज्ञापन, चलित विज्ञापन आदि
उद्देश्यों के आधार पर विज्ञापनों के प्रकार – जिन उद्देश्यों के लिए विज्ञापन किया जाता है उनके आधार पर भी विज्ञापन के भेद होते हैं जैसे- व्यापारिक विज्ञापन, शैक्षणिक विज्ञापन, नैतिक विज्ञापन, समस्यामूलक विज्ञापन, प्रेरक विज्ञापन, राजनैतिक विज्ञापन आदि
विज्ञापन की भूमिका
प्रत्येक विज्ञापन का निर्माण इसीलिए किया जाता है कि उसके द्वारा लोगों की विचारधारा को परिवर्तित करके वांछित विचारों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जाए सीधे
सरल शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि विज्ञापन लोगों के निर्णयों को प्रभावित करते हैं तभी तो वे किसी वस्तु, उत्पाद, शिक्षा, नीति, समस्या अथवा विचारधारा के प्रति आकर्षित होकर उसे अपनाते हैं
विज्ञापन न केवल किसी व्यक्ति विशेष के निर्णयों को प्रभावित करते हैं बल्कि संपूर्ण समाज के दृष्टिकोण को बदलने की शक्ति भी रखते हैं
इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि परिवार नियोजन के लाभों और साधनों के विस्तृत विज्ञापनों के बल पर हम बहुसंख्यक समाज की विचारधारा को आमूल-चूल परिवर्तित करके जनसंख्या वृद्धि की दर को सीमित करने में सफल हो सके हैं
कभी समाज में लोग बच्चों की अधिक संख्या पर जोर दिया करते थे किंतु आज अधिकांश लोग एक या दो बच्चों को ही सुखी जीवन का आधार मानते हैं. विज्ञापन का चमत्कार ही कहेंगे कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिगरेट, गुटखा, शराब और शीतल पेय पदार्थों को बनाने वाली कंपनियाँ प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये कमाती हैं
विज्ञापन व्यक्ति के विचारों और निर्णयों को प्रभावित करता है. इसी बात को दृष्टिगत रखते हुए दूरदर्शन पर वयस्क फिल्मों का प्रसारण बंद किया गया और फिल्मों में धूम्रपान के दृश्यों को प्रतिबधित करने की बात की जाने लगी है
विज्ञापनों का सामाजिक दायित्व
यह मानवीय प्रवृत्ति है कि वह गुणों की अपेक्षा दोषों के प्रति शीघ्र और अधिक आकर्षित होता है. विज्ञापन क्योंकि प्रचार-प्रसार के साधन हैं अत: किसी समाज को सही अथवा गलत दिशा देने में इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है
इस दृष्टि से विज्ञापन का सामाजिक दायित्व अत्यंत गंभीर और विस्तृत है. विज्ञापनों के निर्माण में इस बात का ध्यान अवश्य रखा जाना चाहिए कि वे जीवन-मूल्यों के प्रतिकूल आचरण करने की प्रेरणा कदापि न देते हों
यह विज्ञापन निर्माता और प्रसारणकर्ता दोनों ही संस्थाओं का उत्तरदायित्व है कि विज्ञापनों में कोई ऐसी बात न दिखाई जाए जो देश, समाज, सभ्यता, संस्कृति, राष्ट्रीय एकता, विश्ववंधुत्व, प्रेम, प्यार, सहिष्णुता, परोपकार, दया जैसी पवित्र भावनाओं को ठेस पहुँचाए
अलगाववाद, आतंकवाद, नशाखोरी, जनसंख्या वृद्धि, दहेज जैसी बुराइयों को प्रोत्साहित करने वाली बाते भी विज्ञापनों में नहीं दिखाई जानी चाहिए
हाँ, पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने, देशप्रेम और मानवता की भावना को विकसित करने, अपनी संस्कृति और जीवन मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करने, आतंकवाद और अलगाववाद को हतोत्साहित करने, एड्स, कैंसर और पोलियो जैसी खतरनाक बीमारियों से बचाव और रोकथाम, शिक्षा, साक्षरता एवं स्वास्थ्य योजनाओं को प्रोत्साहित करने वाली बातों को विज्ञापनों को विषयवस्तु में किसी न किसी रूप में अवश्य सम्मिलित किया जाना चाहिए
उपसंहार
आज प्रसार माध्यमों के क्षेत्र में दिन प्रतिदिन नई-नई तकनीकों के आविष्कार हो रहे हैं जोकि जीवन को पूरी तरह प्रभावित कर रहे हैं मोबाइल और इंटरनेट ऐसी ही आधुनिक तकनीकें हैं जिन्होंने सब प्रकार से जीवन को अपनी गिरफ्त में लिया है
इसलिए विज्ञापन की दुनिया की तकनीकी चकाचौंध में प्रत्येक देश, समाज और नागरिक का यह उत्तरदायित्व है कि वह इस बात के प्रति सतर्क रहे कि कोई इस तकनीकी विकास का दुरुपयोग करके हमारी सभ्यता-संस्कृति, जीवन-मूल्यों, राष्ट्रीय प्रेम और एकता, सांप्रदायिक सद्भाव आदि को हानि न पहुँचा सके
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संक्षेप में
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