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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध

नमस्कार दोस्तों क्या आप आदर्श विद्यार्थी पर निबंध – Essay on ideal student in Hindi खोज रहे हैं तो आज का यह निबंध आपके लिए लाभकारी साबित होगा

दोस्तों हम सभी जानते हैं कि विद्यार्थी जीवन हमारे लिए किसी स्वर्ण काल से कम नहीं होता तो आदर्श विद्यार्थी पर निबंध कैसे लिखा जा सकता है आज की इस पोस्ट में आपको बताया जा रहा है. तो आइए आदर्श विद्यार्थी पर निबंध की शुरुआत करते हैं

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध – Essay on ideal student in Hindi

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध - Essay on ideal student in Hindi, adarsh vidyarthi par nibandh

प्रस्तावना

विद्यार्थी का अर्थ और आदर्श विद्यार्थी → विद्यार्थी का अर्थ विद्या पानेवाला है. सच्चा विद्यार्थी वही है, जो विद्या अर्थ (विद्या के लिए) जीवन जीता हो, जो सीखने की आकाक्षा से ओत-प्रोत हो अर्थात् जिसमें ज्ञान-प्राप्ति की ललक हो

एक आदर्श विद्यार्थी अपने जीवन में सर्वाधिक महत्त्व ज्ञानार्जन को देता है. विद्या-प्राप्ति का यह अर्थ कदापि नहीं है कि विषय के प्रश्नों को परीक्षा में सफलता के लिए याद किया जाए. आदर्श विद्यार्थी तो जो कुछ भी पढ़ता है उसमें गहराई से उतरता है और जीवन की लम्बी यात्रा में अपने अर्जित ज्ञान का लाभ उठाता है

जिज्ञासा और श्रद्धा

यो तो सारा जीवन ही आदमी सीखता है, परन्तु विद्यार्थी जीवन मानव के विकास का स्वर्णिम काल है. उसकी जिज्ञासा की प्रवृत्ति उसको नित नई जानकारी दिलाती है. आदर्श विद्यार्थी केवल कक्षा की पुस्तको और अध्यापकों के अध्यापन पर निर्भर नहीं रहता, वह स्वयं भी जमकर विषय पर मेहनत करता है

आदर्श विद्यार्थी का एक गुण श्रद्धावान् होना भी है. सच्चा विद्यार्थी पुस्तको और गुरुओं के प्रति श्रद्धा रखता है उनकी ओर शंका की दृष्टि नहीं रखता

जिज्ञासा प्रकट करने और शंका करने में जो अन्तर है वह उसे भली-भाँति जानता है उसके लिए ‘श्रद्धावान् लभ्यते ज्ञानम्’ सबसे श्रेष्ठ सूक्ति होती है. जो विद्यार्थी विद्या-अर्जन को खेल मानता है और अपने गुरुजनों का मजाक उड़ाता है वह कभी सफल नहीं होता

आदर्श विद्यार्थी और आज का विद्यार्थी

आदर्श विद्यार्थी एक अनुशासित तपस्वी के समान होता है. वह अपनी निश्चित दिनचर्या बनाता है और उसका कठोरता से पालन करता है. उसे सांसारिक सुख-सुविधाएँ आकर्षित नहीं करती. आराम उसके लिए हराम होता है

वह कठोर जीवन जीने में तपस्वी का-सा आनन्द उठाता है. आज का विद्यार्थी तो इस उक्ति का अक्षरशः पालन करता दिखता है कि ‘अलसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम्, अधनस्य कुतो मित्रम् अमित्रस्य कुतो सुखम्‘ अर्थात् आलसी को विद्या नहीं मिलती, न अज्ञानी को धन, धनहीन के मित्र नहीं होते और मित्र के बिना जीवन में सुख कहाँ

आदर्श विद्यार्थी इसीलिए परिश्रम, लगन और तपस्या का जीवन जीकर स्वयं को दृढ़ व्यक्तित्व का स्वामी बना लेता है. वह पढ़ाई, खेलकूद, व्यायाम, मनोरंजन व अध्ययन के अतिरिक्त अपने व्यक्तित्व के विकास तथा ज्ञानार्जन से सम्बन्धित अन्य गतिविधियों में भी सक्रिय रुचि रखता है

आदर्श विद्यार्थी के अध्ययन और व्यायाम, खेल और मनोरंजन सब के समय निर्धारित और अनुशासित होते हैं. वह बिना आराम किए अपने सब कार्यों के बीच सन्तुलन की मजबूत आधारशिला तैयार कर लेता है

सादा जीवन और उच्च विचार

आदर्श विद्यार्थी प्रदर्शन और ढोंग की दुनिया से कोसों दूर रहता है. वह सादा-सरल जीवन जीता है और महान विचारों से अपने व्यक्तित्व को तराशने में हर पल सतर्क रहता है. जो छात्र फैशनपरस्ती, बनाव- शृंगार, व्यसन, सैर- सपाटा आदि के भुलावे में आ जाते हैं, वे अन्ततः अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं और अपना जीवन बरबाद कर लेते हैं

आदर्श विद्यार्थी व्यर्थ की बातों में समय नष्ट नहीं करता. वह मितव्ययिता से काम लेता है अर्थात कम बोलता है, कम सोता हैं तथा कम खाता है और उसका ध्यान ज्ञानार्जन की और अधिक-से-अधिक रहता है. ज्ञान का एक-एक तिनका वह चुनता रहता है जैसे कि ध्यानमग्न बगुला करता है

पाठ्येतर गतिविधियों में सक्रियता और रुचि

एक आदर्श विद्यार्थी विद्यालय में विद्यार्जन के साथ-साथ विद्यालय में होनेवाली सभी पाठ्येतर गतिविधियों में भी रुचि दिखाता है तथा उनमें सकिय भागीदारी निभाता है. सांस्कृतिक उत्सवों, नृत्य, गान, अभिनय, भाषण, काव्यपाठ, स्काउट, गाइड, एन०सी०सी० आदि में भी वह भाग लेता है. विद्यार्जन के गम्भीर पलों को कलात्मक अभिरुचियो से वह सरल बना लेता है

उपसंहार

विद्यार्थी जीवन मानव-जीवन का स्वर्णिम काल होता है. इस समय में सांसारिक और पारिवारिक चिन्ताएँ नहीं होती. अत: वह इस समय मधुमक्खी के समान बनकर ज्ञानरूपी पुष्पों से जितना ज्ञान रस और सुगन्ध अपने मस्तिष्करूपी कोष में एकत्रित कर लेता है उतना ही वह सामर्थ्यवान् बन जाता है. आगामी जीवन में यही ज्ञान उसका मार्गदर्शक बन जाता है

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संक्षेप में

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