क्या आप अनुशासनहीनता पर निबंध (Essay on Indiscipline in Hindi) लिखना चाहते हैं तो यह पोस्ट आपके लिए काफी उपयोगी है. इस पोस्ट में आज आपको अनुशासनहीनता पर हिंदी निबंध कैसे लिखें इसके बारे में बताया गया है. तो आइए जानते हैं
अनुशासनहीनता पर निबंध – Indiscipline Essay in Hindi

“अनुशासन चरित्र निर्माण में निभाए अहम भूमिका
भूलकर भी ना करे अनुशासन हीनता”
प्रस्तावना
आज के समय में अनुशासनहीनता की समस्या सर्वव्यापी समस्या बनी हुई है. यह भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी फैली हुई है. अनुशासनहीनता के कारण आज देश में राजनीतिक अस्थिरता, सामाजिक व्यवस्था की उपेक्षा, सांस्कृतिक एवं नैतिक मूल्यों का ह्रास आदि समस्याएँ हमारे समक्ष कई बार आई है
अनुशासनहीनता से अभिप्राय
अनुशासनहीनता से अभिप्राय है कि अनुशासन का पालन न करना या यूं कहें कि स्थापित नियमों एवं प्रतिक्रियाओं का उल्लंघन करना ही अनुशासनहीनता कहलाता है
अनुशासनहीनता के प्रमुख कारण
अनुशासहीनता के अनेक प्रमुख कारण हैं जैसे – व्यक्तिगत कारण, सामाजिक कारण, राजनीतिक कारण, शैक्षिक कारण इत्यादि. कई बार शारीरिक व मानसिक रूप से पिछड़े छात्र अनुशासन की समस्या उत्पन्न कर सकते हैं
किशोरवास्था के दौरान भी छात्रों को यदि उचित मार्गदर्शन न दिया जाए तो अनुशासनहीनता की समस्या उत्पन्न हो जाती है. कुछ छात्रों में सामाजिक या घरेलू कारणों से बुरी आदतें होती हैं जिसके कारण छात्र अनुशासनहीनता की समस्या पैदा कर देते हैं
सामाजिक कारणों में घर का माहौल भी छात्रों के चरित्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. सामाजिक बुराईयाँ भी मनुष्य की नैतिकता को भ्रष्ट करके उसे अनुशासनहीन व्यक्ति बना देती हैं
अनुशासनहीनता के लक्षण
अधिकांशत: अनुशासनहीनता विद्यार्थियों में देखने को मिलती है. झूठ बोलना, चुगली करना, वस्तुएँ चुराना, अपशब्द बोलना व मारपीट करना, समय पर स्कूल न पहुँचना, गृह कार्य न करके लाना इत्यादि अनुशासनहीनता के लक्षण हैं
इसके अलावा माता-पिता व गुरुजनों की आज्ञा का उल्लंघन करना, कक्षा में अकारण अनुपस्थित रहना, किसी की हँसी उड़ाना, परीक्षा में नकल करना, किसी भी विषय की झूठी सूचनाएँ देना, कक्षा में अनुचित व्यवहार करना इत्यादि भी अनुशासनहीनता के अंतर्गत आते हैं
अनुशासनहीनता दूर करने के उपाय
अनुशासनहीनता दूर करने हेतु मनोवैज्ञानिक ढंग से समस्या को सुलझाया जाना चाहिए. विद्यालयों में प्रधानाध्यापक द्वारा प्रभावपूर्ण प्रबन्ध होना चाहिए, जिससे अनुशासन बना रहे. पाठशाला में सहगामी क्रियाओं का आयोजन भी अनुशासन को बढ़ावा देता हैं
पुस्तकालय में पर्याप्त ज्ञानवर्धक पुस्तकों का होना तथा छात्रों को पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना आवश्यक है. छात्रों का शैक्षिक तथा व्यावसायिक मार्ग निर्देशन करना भी उनमें अनुशासन को बनाए रखेगा. छात्रों और शिक्षकों के बीच ज्यादा संवाद होना चाहिए. राजनीति में छात्रों की संलिप्तता सीमित होनी चाहिए
छात्र का कर्तव्य अध्ययन करना है उसे अपना अधिकांश समय अध्ययन में बिताना चाहिए. उसे अनुपयोगी चीजों में अपना समय बरबाद नहीं करना चाहिए. इन सभी प्रयत्नों से छात्रों में अनुशासनहीनता के मामले निश्चित रूप से कम होंगे
उपसंहार
एक आदर्श और अनुशासित छात्र ही आगे चलकर देश के आदर्श नागरिक बनते हैं और राष्ट्र निर्माण और राष्ट्र विकास का भार अपने मजबूत कंधों पर उठाते हैं अतः छात्र के जीवन में अनुशासन का होना बहुत जरुरी है
शिक्षकों को अनुशासन का महत्व छात्रों को बताना होगा ताकि भविष्य में छात्र सही राह पर चल सके और अपने जीवन में एक मुकाम हासिल करके अपना, अपने परिवार, समाज और देश का नाम रोशन कर सके और देश को बेहतर बनाने में अपना योगदान देकर देश की अर्थव्यवस्था को ओर बेहतर बना सके
“अनुशासन सीखें, अनुशासन सिखाएं
राष्ट्र निर्माण में भूमिका अपनी निभाएं”
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संक्षेप में
उम्मीद है आपने इस पोस्ट को पूरा पढ़ा होगा. अनुशासनहीनता पर निबंध आपके लिए कितना उपयोगी था कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं. यदि आपको लगता है कि इस निबंध में और अधिक सुधार किया जा सकता है तो अपने विचार हमारे साथ जरूर रखें