लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक पर निबंध
Bal Gangadhar Tilak par Essay in Hindi : हमारे देश भारत को स्वतंत्रता प्राप्त कराने के लिए विभिन्न स्वतंत्रता सेनानियों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है जिनमें से किसी की भी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक भी हमारे स्वतंत्रता सेनानियों में एक प्रमुख स्थान रखते हैं. आज आपको बाल गंगाधर तिलक पर निबंध बताया गया है जोकि विद्यार्थियों के लिए काफी उपयोगी है. आइए जानते हैं
बाल गंगाधर तिलक पर निबंध – Bal Gangadhar Tilak par Essay in Hindi
प्रस्तावना
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक एक शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतन्त्रता सेनानी थे. वह लोकमान्य तिलक के नाम से प्रसिद्ध थे. वह अत्यंत लोकप्रिय नेता थे “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर ही रहूँगा” का प्रसिद्ध नारा उन्हीं के द्वारा दिया गया था
जन्म एवं परिवार
बाल गंगाधर तिलक का जन्म23 जुलाई 1856 में महाराष्ट्र स्थित रत्नागिरी जिले के एक गाँव चिखली में हुआ. इनका मूल नाम केशव गंगाधर तिलक था. इनके पिता गंगाधर तिलक संस्कृत के विद्वान थे और विद्यालय में शिक्षक थे. तिलक मात्र 16 वर्ष के थे जब इनके पिता की मृत्यु हो गई थी. इनका विवाह सन 1871 में तापीबाई से हुआ, जो बाद में सत्यभामाबाई के नाम से जानी जाने लगी
शिक्षा
बाल गंगाधर तिलक ने डेक्कन कॉलेज से गणित में स्नातक की उपाधि प्रथम श्रेणी में प्राप्त की. एलएलबी करने के लिए उन्होंने एमए की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी. सन 1879 में उन्होंने सरकारी लॉ कॉलेज से एलएलबी की, बाद में उन्होंने पुणे के एक निजी स्कूल में गणित पढ़ाना शुरू किया
तिलक अंग्रेजी शिक्षा के घोर आलोचक थे. तिलक को लिखने का शौक था. इन्होंने “केसरी” नामक एक समाचार पत्रिका की शुरुआत की थी, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांतिकारी गति विधियों का खुला समर्थन करती थी
राजनीतिक करियर
तिलक का राजनीतिक जीवन बहुत लंबा था. गांधी से पहले, तिलक व्यापक रूप से सबसे प्रसिद्ध एवं ज्ञात भारतीय राजनीतिक नेता थे. वह कट्टरपंथी राष्ट्रवादी नेता थे उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा
मांडले जेल में उन्होंने एक लंबा समय बिताया. एक अंग्रेज लेखक के अनुसार तिलक भारतीय अशांति के जनक थे. उनके अनुसार स्वराज पाने के लिए गाँधीजी के अहिंसा के विचार को छोड़कर कोई भी तरीका अपनाना श्रेष्ठ था
इन्होंने सन 1916-18 में जीएस खापर्डे और एनी बेसेंट के साथ ऑल इंडिया होम रूल लीग की स्थापना में मदद की. बाद में इन्होंने महाराष्ट्र में अपनी होमरूल लीग की शुरुआत कर दी
बाल गंगाधर तिलक के विचार
बाल गंगाधर तिलक हर सार्वजनिक मामले में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते थे. वे मानवता की सेवा को ही भगवान की सेवा करना मानते थे. उन्होंने स्वराज पाने हेतु भारतीय आबादी को एकजुट करने का प्रयास किया. तिलक स्वामी विवेकानंद को बहुत सम्मान देते थे
समाज सुधारक
तिलक एक राष्ट्रवादी और देशभक्त होने से साथ-साथ एक समाज सुधारक भी थे. उनका मानना था कि सामाजिक सुधार अवश्य होना चाहिए किंतु स्वशासन के तहत ना कि ब्रिटिश शासन के अधीनता में, आज गणेशोत्सव इतनी भव्यता के साथ मनाया जाता है इसका श्रेय तिलक को ही जाता है
निष्कर्ष
बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु 1 अगस्त 1920 को बाम्बे मे हुई उस समय वे 64 वर्ष के थे. एक नेता के रुप मे बाल गंगाधर तिलक इतने लोकप्रिय हो गए थे कि उन्हे लोकमान्य तिलक कहा जाने लगा था. देश आज भी उस महान पुरुष को याद करता है तथा उनके राष्ट्रवाद का सम्मान करता है
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संक्षेप में
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