क्या आप भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध (Bharat Chhodo Andolan Essay in Hindi) लिखना चाहते हैं तो यह Post आपके लिए एकदम सही है
हम सभी जानते हैं कि कितने संघर्षों के बाद हमारे देश को आजादी मिली है इसीलिए आजादी का महत्व हमें कभी भी नहीं भूलना चाहिए. न जाने कितनी जाने हमारे देश को आजाद करने में कुर्बान हुई है. तो आइए दोस्तों भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध जानते हैं
Bharat Chhodo Andolan Essay in Hindi

“आजादी की संघर्षमाला में अंतिम पुष्प हुआ साबित,
आजादी की पृष्ठभूमि बन देश को किया गर्वित”
प्रस्तावना
भारत छोड़ो आंदोलन हमारे देश भारत के महान स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ एक जन आंदोलन था. इसे अगस्त आंदोलन या अगस्त क्रांति भी कहा जाता है
भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत
भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 8 अगस्त 1942 को हुई थी. यह एक आंदोलन था जिसका लक्ष्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना था. यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन में शुरू किया गया था. गांधीजी के एक आह्वान पर समूचे देश में यह आंदोलन एक साथ आरम्भ हुआ. यह भारत को तुरन्त आजाद करवाने के लिए आरम्भ किया गया
भारत छोडो आंदोलन के कारण
भारत छोड़ो आंदोलन के प्रमुख कारणों में एक क्रिप्स मिशन का पूरी तरह से असफल होना था. बर्मा में भारतीयों के साथ किए गए दुर्व्यवहार से भी भारतीयों के मन में आंदोलन प्रारम्भ करने की तीव्र भावना जागृत हुई थी
अंग्रेज सरकार भारतीयों को भी द्वितीय विश्व युद्ध में सम्मिलित कर चुकी थी, परन्तु अपना स्पष्ट लक्ष्य घोषित नहीं कर रही थी. यदि स्वतंत्रता एवं समानता के लिए युद्ध हो रहा है तो भारत को भी स्वतंत्रता एवं आत्मनिर्णय का अधिकार क्यों नहीं दिया जाता?
ब्रिटिश सरकार की नीतियों से भारत की आर्थिक स्थिति अत्यन्त खराब हो गई थी. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी आक्रमण का भय भी भारतीयों को था. भारतीयों को लगता था कि यदि ऐसा हुआ तो अंग्रेज जापानी सेना का सामना नहीं कर पाएंगे. ये सभी भारत छोड़ो आंदोलन के प्रमुख कारण थे
आंदोलन के प्रति अंग्रेजों की नीति
अंग्रेजों ने प्रारम्भ में ही दमनकारी नीति अपनाई थी. भारत छोड़ो आंदोलन को कुचलने के लिए 9 अगस्त को ही कांग्रेस पार्टी को अवैध घोषित कर दिया गया था. 9 अगस्त 1942 को प्रातः काल के पहले ही गांधीजी, मौलाना आजाद, कस्तूरबा गांधी, सरोजनी नायडू सहित कई बड़े नेता गिरफ्तार कर लिए गए, समाचार पत्रों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया, जिससे अनेक पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन बंद हो गया, सभाओं और जुलूसों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था
आंदोलन की असफलता
भारत छोड़ो आंदोलन के असफलता का मुख्य कारण आंदोलन की सुनियोजित तैयारी का ना होना था और सरकार के दमन चक्र का अत्यधिक कठोर होना था
आंदोलन के परिणाम
भारत छोड़ो आंदोलन के परिणाम इस प्रकार हैं
- ब्रिटिश सरकार ने हजारों भारतीय आंदोलनकारियों को बन्दी बना लिया था
- इस आंदोलन के बाद अंतर्राष्ट्रीय जनमत इंग्लैण्ड के विरूद्ध हो गया
- भारत छोड़ो आंदोलन में जमींदार, युवा, मजदूर, किसान और महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया
- भारत छोड़ो आंदोलन के प्रति मुस्लिम लीग की उपेक्षा को देखते हुए लीग का महत्व अंग्रेजों की दृष्टि में बढ़ गया
- भारत छोडो आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता के लिए पृष्ठभूमि तैयार कर दी थी
- भारत छोडो आंदोलन से अंग्रेजों को यह भलीभांती विदित हो गया कि यहाँ उनका राज्य कोई नहीं चाहता
उपसंहार
असफल होने के बावजूद भी आजादी की लड़ाई में यह भारत छोड़ो आंदोलन अंतिम आंदोलन साबित हुआ इसने अंग्रेजों को भारत को स्वतंत्र करने हेतु विवश कर ही दिया. फलस्वरूप 15 अगस्त 1947 को हमारे देश भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली और एक नए भारत की शुरुआत हुई. भारत को स्वतंत्र कराने में विभिन्न आंदोलनों की अहम भूमिका है जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता
भारत छोड़ो आंदोलन से संबंधित FAQ’s –
भारत छोड़ो आंदोलन कब और कहाँ हुआ था?
भारत छोड़ो आंदोलन 8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन में हुआ था
भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत किसने की थी?
महात्मा गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी
भारत छोड़ो आंदोलन का दूसरा नाम क्या है?
भारत छोड़ो आंदोलन का दूसरा अगस्त आंदोलन या अगस्त क्रांति है
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संक्षेप में
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