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TOP 10 : Class 2 Short Moral Stories in Hindi

Class 2 Short Moral Stories in Hindi : कहानियां हमारे जीवन में सदाचार को विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यदि बचपन से ही कहानियों को सुनकर हम सदाचारी गुणों को अपने अंदर ला सकते हैं तो बच्चों के लिए कहानियां और भी फायदेमंद हो जाती है

क्या आप कक्षा 2 के बच्चों के लिए नैतिक कहानियां Moral Stories for Class 2 Kids in Hindi ढूंढ रहे हैं तो आज का यह कलेक्शन आपके लिए एकदम सही है. आज मैं आपको कक्षा 2 के बच्चों के लिए हिंदी नैतिक कहानियां बताऊंगा. तो आइए बिना समय गवाएं पढ़ते हैं

Class 2 Short Moral Stories in Hindi

Class 2 Short Moral Stories in Hindi

कक्षा 2 के बच्चों के लिए सबसे बेहतरीन हिंदी कहानियां निम्नलिखित है :-

  1. बाघ और दो मित्र
  2. जैसी करनी, वैसी भरनी
  3. एकता में बल
  4. टोपीवाला और बंदर
  5. होशियार सियार
  6. ईमानदारी का फल
  7. सदा सच बोलो
  8. कपटी मगरमच्छ
  9. सच्चा मित्र
  10. चालाक लोमड़ी

1. बाघ और दो मित्र

एक गाँव में दो मित्र थे. एक था लखन, दूसरे का नाम था रामू. एक बार दोनों ने निर्णय किया कि विदेश जाकर पैसा कमाया जाये. दोनों ने जरूरत का सामान लेकर पैदल ही यात्रा शुरू की, चलते-चलते रात हो गयी. वे एक जंगल में एक स्थान पर बैठे ही थे कि तभी उन्हें बाघ की आवाज सुनाई दी

जल्दी में उन्हें कुछ सुझाई नहीं पड़ा. लखन अकेला एक पेड़ पर चढ़ गया उसने रामू की कोई परवाह नहीं की. रामू की समझ में न आया कि अब क्या करें. अतः वह जान बचाने के लिए जमीन पर सांस रोककर लेट गया

थोड़ी देर बाद बाघ वहाँ आया और रामू को चारों तरफ से सूंघने लगा. वह कान के पास मूँह लगा कर सूंघने लगा. जब उसे विश्वास हो गया कि रामू मरा हुआ है तो वह चला गया क्योंकि बाघ मरे हुए व्यक्ति को नहीं खाता

थोड़ी देर बाद लखन पेड़ से नीचे उतरा और रामू से पूछा कि बाघ ने तुम्हारे कान में क्या कहा था. इस पर रामू ने कहा कि बाघ ने कहा कि स्वार्थी मित्रों से बचना चाहिए. इस बात पर लखन बहुत शर्मिदा हुआ

⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇

1. बुरे समय में हमें किसी का साथ नहीं छोड़ना चाहिए
2. स्वार्थी मित्रों से दोस्ती नहीं करनी चाहिए

2. जैसी करनी, वैसी भरनी

एक बार एक चूहा वन में घूम रहा था. घूमते-घूमते चूहे को एक साधु मिले, चूहे ने साधु को प्रणाम किया तो साधु बहुत प्रसन्न हुए. साधु ने चूहे से कहा – “मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ, इसलिए तुम्हें जो कुछ भी चाहिए वह मुझसे माँग लो”

चूहे ने तुरंत कहा – “अगर आप मुझसे प्रसन्न हैं तो आप मुझे एक ताकतवर शेर बना दीजिए” साधु ने ऐसा ही किया और चूहे को शेर बना दिया. उसके बाद जैसे ही साधु जाने लगे तो शेर जोर से दहाड़ा और कहने लगा – “अब तुम नहीं जा सकते, क्योंकि मुझे बहुत जोर से भूख लगी है. मैं तुम्हें खाकर अपनी भूख मिटाऊँगा”

साधु को शेर की इस हरकत पर बहुत क्रोध आया और उन्होंने शेर को फिर चूहा बना दिया. चूहा बहुत दुखी हुआ उसने साधु से हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए कहा – “मुझे फिर से शेर बना दीजिए, मैं आपको वचन देता हूँ कि अब आपको नहीं खाऊँगा”

साधु ने चूहे से कहा – “तुम मुझे एक बार धोखा दे चुके हो, अब मैं तुम पर विश्वास नहीं कर सकता” चूहे को अपने किए पर बहुत पश्चाताप हुआ. वह अपनी गलती समझ चुका था

प्रिय बच्चो ! यदि कोई व्यक्ति हम पर उपकार करता है, तो हमें उसे धोखा नहीं देना चाहिए अन्यथा हमें पश्चाताप करना पड़ेगा

⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇

1. किसी ने ठीक कहा है “जैसी करनी, वैसी भरनी”
2. यदि हम किसी को धोखा देते हैं तो हमें पश्चाताप करना पड़ता है

3. एकता में बल

एक किसान था उसके चार लड़के थे. लेकिन उन लड़कों में आपस में मेल नहीं था. वे आपस में हमेशा लड़ते-झगड़ते रहते थे. एक दिन किसान बहुत बीमार पड़ा, जब वह मृत्यु के निकट पहुँच गया तब उसने अपने चारों लड़कों को बुलाया और मिल-जुलकर रहने की शिक्षा दी

किन्तु लड़कों पर उसकी बात का कोई प्रभाव नहीं पड़ा. तब किसान ने लकड़ियों का एक गट्ठर मँगवाया और अपने लड़कों से उसे तोड़ने को कहा. किसी से वह गट्ठर नहीं टूटा

फिर लकड़ियों को गट्ठर से अलग किया गया. पुन: किसान ने अपने सभी लड़कों को बारी-बारी से बुलाया और उसे तोड़ने (लकड़ियों) को कहा सबने आसानी से लकड़ियों को तोड़ दिया

अब लड़कों की आँखे खुलीं तभी उन्होंने समझा कि एकता में (आपस में मिल- जुलकर रहने में) कितना बल है और वे सभी आपस में मिलजुल कर रहने लगे

⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇

1. हमें मिलजुल कर रहना चाहिए
2. हमें बड़ों की बातों से सीख लेनी चाहिए

4. टोपीवाला और बंदर

एक बार की बात है एक टोपी वाला था. वह एक टोकरी में टोपियाँ रखकर बेचने जा रहा था. वह चलते चलते थक गया उसने अपनी टोकरी सिर से उतारकर नीचे रख दी और एक पेड़ के नीचे सो गया

उसी पेड़ पर बहुत से बंदर बैठे थे. बंदरों ने नीचे आकर टोकरी में से एक-एक टोपी पहन ली. सभी बंदर टोपियाँ पहनकर पेड़ पर चढ़ गये. टीपी वाले की आँख खुली तो वह बंदरों से टीपियाँ वापस लेने का उपाय सोचने लगा

टीपी वाले को एक उपाय सूझा उसने अपने सर पर पहनी टोपी नीचे फेंक दी. नकलची बंदरों ने भी वही किया. टोपीवाले को देखकर सभी बंदरों ने भी अपनी-अपनी टोपियाँ नीचे फेंक दी. टीपी वाले ने अपनी टोपियाँ टोकरी में रखी और खुशी-खुशी वहाँ से चला गया

⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇

1. विपत्ति के समय धीरज और साहस से काम लेना चाहिए
2. हमें किसी की नकल नहीं करनी चाहिए

5. होशियार सियार

एक जंगल में एक शेर निवास करता था. वह बहुत ही खूँखार (भयानक) था. वह प्रतिदिन एक मृग का शिकार करता और आराम से खाता

वहीं पर ही एक बार एक सियार आया, जोकि बहुत ही चतुर था. वह शेर को देखकर डर जाता है. तभी शेर सियार के समीप आकर, जब उसे खाने को तैयार होता है

तभी सियार भय से रोने लगता है. सियार को रोते देख शेर पूछता है – तुम क्यों रो रहे हो, तब सियार कहता है महाराज वन में एक दूसरा शेर आया है. जोकि मेरे पुत्रों को मार के खा गया. इसी कारण मैं रो रहा हूँ

तब वह शेर पूछता है कि वह दूसरा शेर कहाँ रहता है. तब सियार कहता है कि पास में एक कुआँ है वह वहीं पर रहता हैं. फिर शेर कहता है मैं अभी जाता हूँ और दूसरे शेर को अभी मारता हूँ. तब सियार शेर से कहता है आइये मैं आपको दिखाता हूँ

फिर वह शेर को कुएँ के पास ले जाता है और कुएँ के पानी के अन्दर देखने को बोलता है और शेर उस कुएँ में अपनी छाया देखकर गुस्से में दहाड़ता है. शेर के दहाड़ने की आवाज कुएं में गूँजने लगती है

वह गूँजी आवाज को दूसरे शेर की आवाज समझता है तथा दूसरा शेर समझकर अति क्रोध में उस दूसरे शेर को मारने के लिए कुएं में छलाँग लगा देता है और वहीं वह मर जाता है. इस प्रकार सियार अपनी चतुरता से अपनी जान बचाता है

⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇

1. जिसके पास बुद्धि होती है, वही बलवान होता है
2. समस्या के समय बुद्धि से काम लेना चाहिए

6. ईमानदारी का फल

एक दिन लकड़हारा नदी के किनारे लगे पेड़ पर चढ़कर लकड़ियाँ काट रहा था. अचानक उसके हाथ से कुल्हाड़ी फिसल गई और नदी के गहरे पानी में गिर गई

उसने कुल्हाड़ी को पानी में बहुत ढूँढ़ा परंतु कुल्हाड़ी नहीं मिली. इस कुल्हाड़ी से ही लकड़ियाँ काटकर वह अपने परिवार का पालन-पोषण करता था. अब वह क्या करेगा, यह सोचकर वह नदी के किनारे बैठकर रोने लगा

लकड़हारे की ऐसी शोकाकुल स्थिति देखकर जल देवता नदी से बाहर निकले. उन्होंने लकड़हारे से रोने का कारण पूछा

लकड़हारे ने रोते हुए कहा – महाराज, मेरी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई है. उस कुल्हाड़ी से लकड़ियाँ काटकर मैं अपने परिवार का पालन-पोषण किया करता था. अब कुल्हाड़ी के खो जाने से मैं लकड़ियाँ कैसे काटूंगा?

जल देवता को लकड़हारे पर दया आ गई. उन्होंने नदी में डुबकी लगाई और एक सोने की कुल्हाड़ी लेकर ऊपर आए. उन्होंने लकड़हारे से पूछा – क्या यही तुम्हारी कुल्हाड़ी है?

लकड़हारा बोला – महाराज, यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है. जल देवता ने जल में फिर से डुबकी लगाई और इस बार चाँदी की कुल्हाड़ी लेकर जल से बाहर आए

नहीं, यह कुल्हाड़ी भी मेरी नहीं है लकड़हारे ने उत्तर दिया. जल देवता ने एक बार फिर नदी में डुबकी लगाई. इस बार वे लोहे की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आए. अपनी कुल्हाड़ी को देखते ही लकड़हारा खुशी से उछल पड़ा और बोला – हाँ, यही मेरी कुल्हाड़ी है

जल देवता लकड़हारे की ईमानदारी पर बहुत प्रसन्न हुए. उन्होंने सोने और चाँदी की कुल्हाड़ियाँ भी उपहार के रूप में लकड़हारे को दे दीं

प्रिय बच्चो! हमें ईमानदारी तथा सच्चाई का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए. इसी से हमें सच्चा सुख प्राप्त होता है

1. ईमानदार व्यक्ति से भगवान भी प्रसन्न होते हैं
2. ईमानदारी का फल हमेशा मीठा होता है

7. सदा सच बोलो

बहुत समय पहले की बात है. किसी गाँव में रामलाल नाम का एक गड़रिया रहता था. उसका एक लड़का था – श्याम, श्याम बचपन से ही शरारती था और हमेशा झूठ बोलता था

श्याम पढ़ता-लिखता नहीं था इसलिए रामलाल उसे भेड़ों को चराने के लिए जंगल भेज दिया करता था. एक दिन श्याम जब अपनी भेड़ें चरा रहा था तो उसे गाँव के लोगों से मजाक करने की सूझी

उसने जोर-जोर से शोर मचाना शुरू किया – “बचाओ ! बचाओ ! भेड़िया आया, भेड़िया आया” गाँव वाले लाठियाँ लेकर वहाँ पहुँचे और उससे पूछा – “कहाँ है भेड़िया ?” श्याम ने उत्तर दिया – “भेड़िया तो भाग गया” यह सुनकर गाँव वाले अपने-अपने घरों को लौट गए

श्याम गड़रिए ने गाँव वालों को इसी तरह कई बार परेशान किया. अब गाँव वाले समझ चुके थे कि श्याम हमेशा झूठ बोलता है. एक दिन सचमुच भेड़िया आ गया और श्याम ने फिर उसी प्रकार शोर मचाया – “बचाओ ! बचाओ ! भेड़िया आया, भेड़िया आया” परंतु इस बार गाँव का कोई आदमी वहाँ नहीं पहुँचा

भेड़िया श्याम की एक भेड़ को उठाकर ले गया. श्याम को झूठ बोलने की सजा मिल गई. वह अपनी मूर्खता के कारण अपनी एक भेड़ खो चुका था

प्रिय बच्चो ! हमें कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए और सच्चाई के रास्ते पर चलना चाहिए

⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇

1. हमें कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए. हमें हमेशा सच्चाई के रास्ते पर चलना चाहिए
2. यदि आप झूठ बोलते हैं, तो आपको भी श्याम गड़रिए की तरह पछताना पड़ सकता है

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8. कपटी मगरमच्छ

एक वन के बीच में नदी बहती थी. उस नदी में एक मगरमच्छ रहता था. नदी के किनारे एक पेड़ था उस पेड़ पर एक बंदर रहता था. मगरमच्छ और बंदर में गहरी मित्रता थी. बंदर और मगरमच्छ दोनों नदी के किनारे बैठकर बहुत बातें किया करते थे. बंदर मगरमच्छ के लिए पेड़ों से मीठे-मीठे फल तोड़कर लाता था

एक दिन बंदर ने कहा – “मित्र, मैं नदी की सैर करना चाहता हूँ, लेकिन मुझे पानी में तैरना नहीं आता” मगरमच्छ बोला – “मैं तुम्हें नदी की सैर कराऊँगा” ये सुनकर बंदर बहुत खुश हुआ और दूसरे दिन प्रातः ही नदी के किनारे पहुँच गया

बंदर को देखकर मगरमच्छ किनारे पर आ गया और बंदर से बोला – “मित्र आओ, मेरी पीठ पर बैठ जाओ” बंदर खुशी-खुशी मगरमच्छ की पीठ पर जा बैठा. जब मगरमच्छ तैरते-तैरते नदी के किनारे से काफी दूर पहुँच गया, तो उसके मन में लालच आया

उसने बंदर से कहा – “मित्र, मैं तुम्हारा दिल खाना चाहता हूँ” बंदर भी चालाक था. उसे मगरमच्छ की चालाकी समझने में देर न लगी. बंदर ने मगरमच्छ से कहा – “मित्र, काश ! तुमने मुझे पहले बताया होता. मैं तो अपना दिल पेड़ पर ही छोड़ आया हूँ. तुम मुझे वापस किनारे पर ले चलो. वहाँ मैं पेड़ से अपना दिल लाकर तुम्हें दे दूँगा”

यह सुनकर मगरमच्छ बंदर को वापस किनारे पर ले आया. किनारे पर पहुँचते ही बंदर मगरमच्छ की पीठ से उतरा और पेड़ पर चढ़ गया. बंदर अब सुरक्षित था उसने मगरमच्छ से कहा – “अरे मगरमच्छ ! तू स्वार्थी है, तू मूर्ख है, तू मित्रता के योग्य नहीं है”

प्रिय बच्चो ! हमें किसी के साथ छल-कपट नहीं करना चाहिए

⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇

1. मित्र से कभी भी विश्वासघात नहीं करना चाहिए
2. मुसीबत में दिल से नहीं, दिमाग से काम लेना चाहिए

9. सच्चा मित्र

बहुत समय पहले की बात है. एक गुरु के आश्रम में दो शिष्य पढ़ते थे. एक का नाम कृष्ण तथा दूसरे का नाम सुदामा था. दोनों ही घनिष्ठ मित्र थे. कृष्ण धनी परिवार के थे और सुदामा निर्धन परिवार के, कुछ समय बाद दोनों की पढ़ाई समाप्त हो गई और दोनों अपने-अपने घर चले गए

समय बीतता गया. कृष्ण द्वारिका के राजा बन गए. सुदामा का विवाह हो गया और वे कथावाचन करने लगे, परंतु गरीबी ने उनका पीछा नहीं छोड़ा उनकी स्थिति और भी दरिद्र होती गई. परिवार की दयनीय स्थिति को देखकर सुदामा की पत्नी ने सुदामा को उनके मित्र कृष्ण के पास सहायता लेने के लिए भेजा

सुदामा ने मित्र के घर खाली हाथ जाना उचित नहीं समझा. वे अपने साथ भुने हुए चावल पोटली में बाँधकर ले गए. द्वारिका पहुँचकर सुदामा ने राजमहल के द्वारपाल को अपना नाम बताया और कृष्ण को बुलाने के लिए कहा

कृष्ण ने जब सुदामा का नाम सुना तो वे बहुत खुश हुए और नंगे पैर ही द्वार तक दौड़े चले आए. दरवाजे पर गरीब सुदामा को देखकर कृष्ण ने उन्हें गले लगा लिया. कृष्ण ने अपने मित्र सुदामा को अपने पास राजगद्दी पर बैठाया. परिवार की कुशलता पूछी और खूब सेवा की, कृष्ण ने सुदामा को अच्छे कपड़े पहनाए और अच्छा भोजन कराया

इस तरह कई महीने बीत गए. अब सुदामा अपने गाँव जाने को कहने लगे. कृष्ण ने सुदामा को विदा किया और रास्ते के लिए भोजन साथ बाँध दिया, परंतु इसके अतिरिक्त कुछ नहीं दिया. सुदामा भी संकोचवश कुछ न कह सके, परंतु जब सुदामा अपने गाँव पहुँचे तो पता चला कि उनका साधारण घर एक महल में बदल चुका है और उनकी पत्नी राजसी वस्त्रों में उनके स्वागत के लिए खड़ी है. इस प्रकार सुदामा की गरीबी दूर हो गई. ऐसे होते हैं सच्चे मित्र! जो बिना कहे ही अपने मित्रों की सहायता कर देते हैं

प्यारे बच्चों ! आवश्यकता पड़ने पर हमें अपने मित्रों की सहायता करनी चाहिए

⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇

1. सच्चा मित्र ही आवश्यकता पड़ने पर सहायता करता है
2. सच्चा मित्र ही आपकी समस्या को समझ सकता है

10. चालाक लोमड़ी

किसी जंगल में एक लोमड़ी रहती थी. वह शिकार करके अपना पेट भरती थी. एक दिन लोमड़ी को जंगल में शिकार के लिए कुछ नहीं मिला. वह दिन भर इधर-उधर खाने की खोज में भटकती रही

भटकते-भटकते वह एक पेड़ के पास पहुँची. उसने देखा कि पेड़ पर एक कौवा बैठा है और उसकी चोंच में मांस का टुकड़ा है. लोमड़ी सुबह से भूखी थी इसलिए मांस का टुकड़ा देखकर उसकी भूख और बढ़ गई

वह उस मांस के टुकड़े को प्राप्त करने का उपाय सोचने लगी. अपनी भूख शांत करने के लिए उसने अपने दिमाग में एक योजना बनाई. चालाक लोमड़ी कौवे की प्रशंसा करती हुई बोली -“कालू राजा, आज तुम बहुत सुंदर दिख रहे हो. तुम्हारे पंख भी बहुत चमकीले लग रहे हैं”

कौवा अपनी प्रशंसा सुनकर पेड़ की डाली पर फुदकने लगा. लोमड़ी कौवे से फिर बोली – “कालू राजा, तुम पेड़ पर फुदकते ही रहोगे या अपनी मीठी और सुरीली आवाज में गाना भी सुनाओगे. मैंने सुना है कि तुम्हारी आवाज कोयल की आवाज से भी सुरीली है”

पेड़ पर बैठा कौवा अब तक अपनी बहुत प्रशंसा सुन चुका था. अपनी प्रशंसा सुनकर उससे अब रहा न गया. उसने बिना सोचे-समझे गाना शुरू कर दिया. जैसे ही उसने गाना गाने के लिए मुँह खोला, मांस का टुकड़ा उसकी चोंच से निकलकर नीचे गिर पड़ा

लोमड़ी तो इसी अवसर की प्रतीक्षा कर रही थी. उसने झट से वह टुकड़ा उठा लिया और वहाँ से भाग गई. कौवा लोमड़ी को देखता रह गया. वह लोमड़ी की चालाकी समझ चुका था और अपनी मूर्खता पर पछता रहा था

किसी ने सच ही कहा है – “कोई भी काम करने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार कर लेना चाहिए. जो व्यक्ति बिना सोचे-समझे काम करता है उसे बाद में पश्चाताप करना पड़ता है”

⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇

1. हमें झूठी प्रशंसा सुनकर खुश नहीं होना चाहिए
2. हमें हर काम सोच-समझकर करना चाहिए

आज आप ने जाना

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