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ध्वनि प्रदूषण पर निबंध

Sachin Sajwan by Sachin Sajwan
in Hindi Essay

Noise Pollution Essay in Hindi : नमस्कार दोस्तों क्या आप ध्वनि प्रदूषण पर निबंध खोज रहे हैं तो इस पोस्ट में आज आपको Sound Pollution यानी ध्वनि प्रदूषण पर हेडिंग्स के साथ एक शानदार निबंध किस तरह लिखना है बताया गया है. यह निबंध विद्यार्थियों के लिए काफी उपयोगी है तो आइए जानते हैं

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ध्वनि प्रदूषण पर निबंध – Noise Pollution Essay in Hindi
प्रस्तावना
ध्वनि प्रदूषण के कारण
ध्वनि प्रदूषण का दुष्प्रभाव
ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण
ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण हेतु सरकार के प्रयास
उपसंहार

ध्वनि प्रदूषण पर निबंध – Noise Pollution Essay in Hindi

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प्रस्तावना

किसी भी वस्तु से जनित सामान्य आवाज को ध्वनि कहा जाता है. ध्वनि की तीव्रता जब 1 सीमा से अधिक हो जाती है तो वह मानव एवं अन्य जीव-जंतुओं के लिए घातक साबित होती है तब उसे ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है

ध्वनि की तीव्रता को डेसीबल (db) में नापते हैं. एक सामान्य व्यक्ति के लिए 50 डेसीबल तीव्रता की ध्वनि सुनना उपयुक्त व सामान्य होता है. लेकिन 80 डेसीबल से अधिक तीव्रता की ध्वनि को शोर के अंतर्गत माना जाता है

ध्वनि प्रदूषण के कारण

ध्वनि प्रदूषण का लगातार आए दिन बढ़ने की निम्नलिखित कारण है –

  • कारखानों की मशीनों द्वारा उत्पन्न शोर ध्वनि प्रदूषण का महत्वपूर्ण कारण है.
  • परिवहन के साधन भी ध्वनि प्रदूषण के बड़े स्रोत होते हैं. इनमें रेल परिवहन, हवाई परिवहन तथा मोटर वाहनों के द्वारा उत्पन्न शोर सम्मिलित होता है.
  • मनोरंजन के अन्य साधनों जैसे- टेलीविजन, लाउडस्पीकर से निकलने वाली ध्वनि भी ध्वनि प्रदूषण का प्रमुख कारण है. इसके अतिरिक्त डीजे का बजना, पटाखों का शोर इत्यादि भी ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा देता है.

इसके अतिरिक्त बादलों का गर्जना, बिजली का कड़कना, भूकंप की ध्वनि, तेजी से गिरते पानी की ध्वनि, तूफानी हवाएं इत्यादि भी ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती है, किंतु यह कारण क्षेत्रीय होते तो इनका प्रभाव सीमित तथा क्षणिक होता है

ध्वनि प्रदूषण का दुष्प्रभाव

ध्वनि प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव कानों पर पड़ता है जिससे स्थाई और अस्थाई रूप से श्रवण शक्ति प्रभावित होती है.

उच्च ध्वनि से मानव में पेट का अल्सर, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा, अधिक आक्रामक व्यवहार तथा अन्य मनोवैज्ञानिक दोष उत्पन्न हो जाते हैं.

शोर के कारण चिढ़, चिंता और तनाव जैसे भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक प्रभाव पैदा होते हैं. ध्यान केंद्रित करने की असमर्थता और मानसिक थकान शोर के महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव है.

अत्यधिक तीव्र ध्वनि में लगातार काम करने से व्यक्ति बहरा भी हो सकता है.

अत्यधिक तीव्र ध्वनि कान के पर्दे को फाड़ सकती है.

अत्यधिक तीव्र ध्वनि से सूक्ष्म जीवाणु भी मर जाते हैं, जिससे मृत अवशेषों के अपघटन में बाधा पहुंचती है.

ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण

ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए निम्नलिखित उपायों पर विशेष ध्यान दिया जा सकता है

ध्वनि स्रोतों में शोर शमन यंत्रों का प्रयोग करके जैसे वाहनों में साइलेंसर का प्रयोग, सड़कों के पास भारी मात्रा में वृक्षारोपण करते हुए ध्वनि प्रदूषण का प्रभाव कम किया जा सकता है.

तीव्र ध्वनि क्षेत्रों में ग्रीन बेल्ट यानी पौधों एवं वृक्षों को लगाकर ध्वनि प्रदूषण को रोका जा सकता है.

ध्वनि ग्रहण करने वाले व्यक्ति द्वारा सुरक्षा उपकरणों का प्रयोग किया जा सकता है.

ग्रीन मफलर टेक्निक इसके अंतर्गत अधिक आबादी वाले या ध्वनि प्रदूषण वाले क्षेत्रों तथा सड़कों के किनारे, औद्योगिक क्षेत्रों और राजमार्गों के आस-पास रिहायशी इलाकों में 4-6 पंक्तियों में वृक्षारोपण कर ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सकता है. क्योंकि ध्वनि को पेड़ फिल्टर करते हैं और इसे नागरिकों तक पहुंचने से रोकते हैं.

ध्वनि तरंगों के संचारण पथ को नियंत्रित करके भी ध्वनि प्रदूषण कम किया जा सकता है.

लाउडस्पीकर एवं डीजे से उत्पन्न कान फोड़ने वाले शोर को संबंधित लोगों को समझा-बुझाकर तथा प्रभावी निषेधात्मक कानूनों द्वारा कम किया जा सकता है.

ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण हेतु सरकार के प्रयास

ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के संदर्भ में भारत में अलग से अधिनियम का कोई प्रावधान अभी तक नहीं है. ध्वनि प्रदूषण को वायु अधिनियम, 1981 के संशोधन के अंतर्गत सम्मिलित किया गया है.

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 ध्वनि प्रदूषण को रोकने और नियंत्रण करने हेतु सरकार को कानून बनाने की शक्ति प्रदान करता है.

भारतीय दंड संहिता धारा 268, धारा 290 और धारा 291 के अंतर्गत ध्वनि प्रदूषको को अवरोध की श्रेणी में रखते हुए दंड का प्रावधान किया गया है.

सरकार ने ध्वनि प्रदूषण के बढ़ते स्तर को नियंत्रित करने के लिए ध्वनि प्रदूषण नियम, 2000 को अधिनियमित किया है. इसमें पाच लाउडस्पीकर/सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली के प्रयोग को प्रतिबंधित करता है.

ध्वनि प्रदूषण के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट का 2005 में फैसला आया जिसमें बताया गया था कि सार्वजनिक स्थानों पर रात 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे के बीच लाउडस्पीकर्स के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

उपसंहार

अन्य प्रदूषण की भांति ही ध्वनि प्रदूषण भी आने वाले समय के लिए एक गंभीर समस्या बन सकता है. इसीलिए हमें आने वाली भविष्य की पीढ़ियों के लिए ध्वनि प्रदूषण का निजात करना अति आवश्यक है

उपयुक्त उपायों का प्रयोग करके ध्वनि प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है. हम स्वयं ही प्रयास करके ध्वनि प्रदूषण को कम कर सकते हैं बल्कि हमें जागरूक होना चाहिए कि कोई भी प्रदूषण हमारे लिए कितना घातक साबित हो सकता है. आइए इसी के साथ एक शपथ लेते हैं कि पर्यावरण और प्रकृति हमारी सब हमारी अपनी है इसकी स्वच्छता और सफाई हमारा परम कर्तव्य है

Read More –

  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध
  • मृदा प्रदूषण पर निबंध
  • प्रदूषण की समस्या पर निबंध
  • प्राकृतिक आपदा पर निबंध

संक्षेप में – 

दोस्तों उम्मीद है आपको ध्वनि प्रदूषण पर निबंध – Noise Pollution Essay in Hindi अच्छा लगा होगा. अगर आपको यह निबंध कुछ काम का लगा है तो इसे जरूर सोशल मीडिया पर शेयर कीजिएगा.

अगर आप नई नई जानकारियों को जानना चाहते हैं तो MDS BLOG के साथ जरूर जुड़िए जहां की आपको हर तरह की नई-नई जानकारियां दी जाती है MDS BLOG पर यह पोस्ट पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद!

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