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डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध

Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Essay in Hindi : क्या आप डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध लिखना चाहते हैं तो यह पोस्ट आपके लिए काफी उपयोगी है. इस पोस्ट के माध्यम से आपको बताया गया है डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध कैसे आप लिख सकते हैं. विद्यार्थियों के लिए यह पोस्ट काफी उपयोगी है. तो आइए जानते हैं

Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Essay in Hindi

Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Essay in Hindi

प्रस्तावना

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन स्वतंत्र भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे. इसके साथ ही एक महान शिक्षक भी थे. बीसवीं शताब्दी के विद्वानों में उनका नाम सबसे ऊपर आता है. देशभर में इनके जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है

जन्म और पारिवारिक जीवन

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी नामक गाँव में ब्राह्मण कुल में हुआ. इनके पिता सर्वपल्ली विरास्वामी थे वे भी एक विद्वान ब्राम्हण थे. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का बचपन अधिक सुख सुविधाओं से भरा नहीं था. इनका विवाह 16 साल की उम्र में दूर की चचेरी बहन सिवाकमु से हुआ

प्रारंभिक शिक्षा और शैक्षिक उपलब्धियां

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की आरम्भिक शिक्षा तिरुमनी गांव में ही हुई. आगे की शिक्षा के लिए इनके पिता जी ने क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल, तिरुपति में दाखिला कराया. सन 1900 में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने वेल्लूर के कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की, उसके बाद मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से अपनी आगे की शिक्षा पूरी की. वह शुरू से ही एक मेंधावी छात्र थे इन्होंने 1906 में दर्शन शास्त्र में MA किया था

शिक्षा को डॉ. राधाकृष्णन पहला महत्व देते थे. यही कारण रहा कि वो इतने ज्ञानी विद्वान् रहे. हमेशा कुछ नया सीखने-पढने के लिए उतारू रहते थे. जिस कालेज से इन्होंने M.A किया था वही का इन्हें उपकुलपति बना दिया गया. किन्तु डॉ. राधाकृष्णन ने एक वर्ष के अंदर ही इसे छोड़कर बनारस विश्वविद्यालय में उपकुलपति बन गए. इसी दौरान वे दर्शनशास्त्र पर बहुत सी पुस्तकें भी लिखा करते थे

डॉ. राधाकृष्णन, विवेकानंद और वीर सावरकर को अपना आदर्श मानते थे. डॉ. राधाकृष्णन अपने लेख और भाषणों के माध्यम से समूचे विश्व को भारतीय दर्शनशास्त्र से परिचित कराने का प्रयास किया डॉ. राधाकृष्णन बहुआयामी प्रतिभा के धनी होने के साथ ही देश की संस्कृति को प्यार करने वाले व्यक्ति भी थे

राजनीति में आगमन

अपने सफल अकादमिक करियर के बाद उन्होंने राजनीति में अपना कदम रखा डॉ. राधाकृष्णन ने 1947 से 1949 तक संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य के रूप में कार्य किया. संसद में सभी लोग उनके कार्य और व्यवहार की बेहद प्रंशसा करते थे

13 मई 1952 से 13 मई 1962 तक वे देश के उपराष्ट्रपति रहे. 13 मई 1962 को ही वे भारत के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए. राजेंद्र प्रसाद की तुलना में इनका कार्यकाल काफी चुनौतियों भरा था, क्योंकि जहां एक ओर भारत के चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध हुए, जिसमें चीन के साथ भारत को हार का सामना करना पड़ा. वही दूसरी ओर दो प्रधानमंत्रियों का देहांत भी इन्हीं के कार्यकाल के दौरान ही हुआ था

विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित

शिक्षा और राजनीति में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए डॉ. राधाकृष्णन को सन 1954 में सर्वोच्च अलंकरण “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया. 1962 से उनके सम्मान में उनके जन्म दिवस 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई

सन 1962 में डॉ. राधाकृष्णन को “ब्रिटिश एकेडमी” का सदस्य बनाया गया. पोप जॉन पाल ने इनको “गोल्ड स्पर” भेट किया. इंग्लैंड सरकार द्वारा इनको “आर्डर ऑफ़ मेंरिट” का सम्मान प्राप्त हुआ

डॉ. राधाकृष्णन ने भारतीय दर्शन शास्त्र एवं धर्म के ऊपर अनेक किताबे लिखी जैसे गौतम बुद्धा: जीवन और दर्शन, धर्म और समाज, भारत और विश्व आदि. वे अक्सर किताबे अंग्रेज़ी में लिखते थे

शिक्षक दिवस के रूप में सम्मान

17 अप्रैल 1975 को एक लम्बी बीमारी के बाद डॉ. राधाकृष्णन का निधन हो गया. शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान हमेशा स्मरणीय रहेगा. प्रत्येक वर्ष उनके जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाकर डॉ. राधाकृष्णन के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है

इस दिन देश के विख्यात और उत्कृष्ट शिक्षकों को उनके योगदान के लिए पुरुस्कार प्रदान किए जाते हैं. राधाकृष्णन को मरणोपरांत 1975 में अमेरिकी सरकार द्वारा टेम्पलटन पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो कि धर्म के क्षेत्र में उत्थान के लिए प्रदान किया जाता है. इस पुरस्कार को ग्रहण करने वाले यह प्रथम गैर-ईसाई सम्प्रदाय के व्यक्ति थे

उपसंहार

राधाकृष्णन अपने जीवन के 40 वर्ष एक शिक्षक बन कर रहे. शिक्षा के क्षेत्र में और एक आदर्श शिक्षक के रूप में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को हमेशा याद किया जाएगा. पूरे भारत देश में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के योगदान को कभी भी नकारा नहीं जा सकता. यदि उनकी विचारधाराओं का सही से प्रचार करा जाए तो एक सभ्य समाज की स्थापना की जा सकती है और देश को आगे बढ़ाया जा सकता है

FAQ’s – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म कब और कहाँ हुआ ?

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी नामक गाँव में हुआ

शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है ?

देश के विख्यात और उत्कृष्ट शिक्षकों को शिक्षा क्षेत्र में उनके योगदान के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए शिक्षक दिवस मनाया जाता है

शिक्षक दिवस कब मनाया जाता है ?

शिक्षक दिवस प्रत्येक वर्ष 5 सितंबर को मनाया जाता है

संक्षेप में

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