दोस्तों क्या आप इलेक्ट्रॉन क्या है – What is Electron in Hindi खोज रहे हैं. तो आपने एकदम सही पोस्ट को चुना है. आज मैं आपको आसान शब्दों में इलेक्ट्रॉन के बारे में पूरी जानकारी दूंगा
Hello दोस्तों कैसे हैं आप लोग? हमें उम्मीद है आप सभी अच्छे होंगे और अपने व अपने परिवार का ख्याल रख रहे होंगे. मैं आपका दिल से धन्यवाद करता हूँ कि आप अपना कीमती समय निकालकर हमारा ब्लॉग पढ़ने आये हैं. आइए इलेक्ट्रॉन के बारे में जानते हैं
इलेक्ट्रॉन क्या है – What is Electron in Hindi
एक इलेक्ट्रॉन पदार्थ का एक बहुत ही छोटा टुकड़ा या भाग होता है. इसका प्रतीक e⁻ और β⁻ होता है. इसकी खोज जे.जे थॉमसन ने 1897 में की थी
इलेक्ट्रॉन एक उप-परमाण्विक कण यानी Subatomic particle है. प्रत्येक परमाणु कुछ इलेक्ट्रॉनों से बना होता है जो परमाणु के नाभिक को घेरे रहते हैं
एक इलेक्ट्रॉन किसी परमाणु से अलग भी हो सकता है. इसे एक प्राथमिक कण माना जाता है क्योंकि इसे किसी भी छोटी चीज या इकाई में तोड़ा नहीं जा सकता है. इसका विद्युत आवेश ऋणात्मक होता है
इलेक्ट्रॉनों का द्रव्यमान या भार बहुत कम होता है. इसलिए उन्हें तेजी से स्थानांतरित या Move करने के लिए बहुत कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है. इलेक्ट्रॉन लगभग प्रकाश की गति से Move कर सकते हैं
इलेक्ट्रॉन गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुम्बकीय और कमजोर अंतःक्रियाओं या Interactions में भाग लेते हैं. सामान्य परिस्थितियों में विद्युत चुम्बकीय बल सबसे मजबूत होता है. इलेक्ट्रॉन एक दूसरे से पीछे हटते हैं या एक दूसरे से दूर जाते हैं क्योंकि उनके पास एक जैसा ऋणात्मक विद्युत आवेश या इलेक्ट्रिक चार्ज होता है
इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन की ओर आकर्षित होते हैं क्योंकि प्रोटॉन के पास विपरीत यानी धनात्मक विद्युत आवेश होता है. एक इलेक्ट्रॉन में एक विद्युत क्षेत्र यानी इलेक्ट्रिक फील्ड होता है. टीवी, मोटर, मोबाइल फोन और कई अन्य चीजों को संचालित करने वाली बिजली असल मे कुछ और नही है बल्कि तारों या अन्य कंडक्टरों के माध्यम से चलने वाले कई इलेक्ट्रॉन हैं
इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की
इलेक्ट्रॉन की खोज का श्रेय जे.जे थॉमसन को दिया जाता है. जिन्होंने अपने प्रयोगों के द्वारा 1897 में इलेक्ट्रान की खोज की थी
जे.जे थॉमसन ने एक Discharge tube में 0.01mm Hg के कम दबाव पर गैस लेकर प्रयोग किए, Discharge tube एक लंबी कांच की ट्यूब होती है जिसमें दो धातु की प्लेट होती हैं. जो एक बैटरी के विपरीत या Oppositely चार्ज किए गए ध्रुवों या पोल्स से जुड़ी होती हैं
इन धातु प्लेटों को कैथोड और एनोड कहा जाता है. उच्च वोल्टेज के उपयोग से Negative charge वाले कणों का उत्सर्जन हुआ जिसकी वजह से गैस का आयनन या Ionisation हो गया. इन Negatively charged कणों को ही इलेक्ट्रॉन कहा गया और इनकी उत्पत्ति कैथोड किरणों (Cathode Rays) से हुई
इलेक्ट्रॉन के गुण
पदार्थ के संघटन की सबसे छोटी इकाई परमाणु होती है. परमाणु केंद्र में एक नाभिक तथा नाभिक के चारों ओर परिक्रमा करने वाले एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉनों होते है. नाभिक में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते हैं जिन्हें सामूहिक रूप से न्यूक्लियॉन कहा जाता है
प्रोटॉन 1.00728 amu के द्रव्यमान वाले धनात्मक आवेशित कण होते हैं और न्यूट्रॉन 1.00867 amu के द्रव्यमान वाले इलेक्ट्रिकली न्यूट्रल कण होते हैं
इलेक्ट्रॉन ऋणात्मक रूप से आवेशित कण होते हैं जिनका द्रव्यमान 0.000549 amu होता है. प्रोटॉन और न्यूट्रॉन, इलेक्ट्रॉनों की तुलना में लगभग 1836 गुना भारी होते हैं. इलेक्ट्रॉनों की संख्या प्रोटॉन की संख्या के बराबर होती है जिसकी वजह से ही किसी तत्व का एक तटस्थ परमाणु या न्यूट्रल Atom बनता है
किसी भी तत्व में उपस्थित इलेक्ट्रॉनो का arrangement ही उस तत्व के रासायनिक गुणों को निर्धारित करती हैं. जबकि परमाणु संरचना परमाणु की स्थिरता और रेडियोधर्मी परिवर्तन को निर्धारित करती है
इलेक्ट्रॉनों का चार्ज
इलेक्ट्रॉन एक ऋणावेशित कण है अर्थात एक इलेक्ट्रॉन में ऋणात्मक आवेश या नेगेटिव चार्ज होता है. एक इलेक्ट्रान का विद्युत आवेश या नेगेटिव चार्ज 1.6×10−19 कूलाम के बराबर होता है
इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान या भार
एक इलेक्ट्रॉन का भार या उसका द्रव्यमान 9.109×10−31 किलोग्राम होता है. प्रोटॉन के द्रव्यमान या भार की तुलना में इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान बहुत ही कम होता है
छोटे आकार और कम द्रव्यमान या भार के कारण इलेक्ट्रॉनों का अध्ययन बेहतर तरीके से करने के लिए Classic mechanics की बजाय Quantum mechanics का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि Quantum scale पर पदार्थ अलग तरह से व्यवहार करता है
इलेक्ट्रॉन कैसे Move करते हैं
इलेक्ट्रॉन ऋणात्मक आवेशित घटकों या नेगेटिव चार्ज Components से धन आवेशित घटकों यानी पॉजिटिव चार्ज Components की ओर गति या Move करते हैं
प्रत्येक सर्किट के नेगेटिव चार्ज वाले हिस्सों में अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन होते हैं. जबकि पॉजिटिव चार्ज वाले हिस्से अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन चाहते हैं. जिसके चलते इलेक्ट्रॉन एक जगह से दूसरी जगह चले जाते हैं. जैसे ही ये इलेक्ट्रॉन गति करते हैं वैसे ही डिवाइस में करंट प्रवाहित होने लगता है
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संक्षेप में
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