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मृदा प्रदूषण पर निबंध इसके कारण, प्रभाव और उपाय

नमस्कार दोस्तों क्या आप मृदा प्रदूषण पर निबंध – Essay on soil pollution in Hindi ढूंढ रहे हैं. तो आपने एक सही पोस्ट का चुनाव किया है. इस पोस्ट में मैं आज आपको मृदा प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखें और इसके कारण, प्रभाव और उपाय क्या है इसके बारे में बताऊंगा. आइए निबंध की शुरुआत करते हैं –

मृदा प्रदूषण पर निबंध – Essay on soil pollution in Hindi

मृदा प्रदूषण पर निबंध - Essay on soil pollution in Hindi

प्रस्तावना

जब मनुष्य या प्रकृति के द्वारा मृदा की गुणवत्ता का ह्रास होता है, तो उसे मृदा प्रदूषण कहा जाता है. भूमि प्रदूषण मनुष्य की विभिन्न प्रक्रियाओं जैसे अपशिष्ट का जमाव, कृषि रसायन का उपयोग, खनन ऑपरेशन तथा नगरीकरण का परिणाम है. आजकल मृदा प्रदूषण एक विशिष्ट समस्या बनती जा रही है. मृदा प्रदूषण के विभिन्न कारण हो सकते हैं

मृदा प्रदूषण के कारण

1 → मृदा अपरदन, मृदा में रहने वाले सूक्ष्म जीवों में कमी तथा तापमान में अत्यधिक उतार-चढ़ाव के कारण होता है.

2 → शहरीकरण द्वारा तथा उद्योगों से निकले अपशिष्ट जिन्हें भूमि पर बहा दिया जाता है जैसे धातु, अम्ल, क्षार, रंजक, पदार्थ, कीटनाशक आदि के द्वारा भी मृदा अपरदन होता है.

3 → लवण युक्त भूमिगत जल वाले क्षेत्रों में सिंचाई करने से ऊपरी मृदा उपजाऊ लायक नहीं रहती तथा प्रदूषित हो जाती है.

4 → मिट्टी में विषैले पदार्थ या खरपतवार जैसे कार्बोफ्यूरान, डीडीटी, फ्यूरेट आदि के प्रयोग से भी मृदा प्रदूषण होता है. साथ ही साथ मिट्टी में अपशिष्ट पदार्थ का कूड़ा करकट मिलने से भी मृदा प्रदूषित होती है.

5 → औद्योगिक अपशिष्ट जल, नगरीय अपशिष्ट तथा मेडिकल एवं अस्पताल के अवशिष्ट को भूमि में फेंकने से मृदा प्रदूषित हो जाती है. औद्योगिक ठोस अपशिष्ट तथा कीचड़, जहरीले कार्बनिक, अकार्बनिक, रासायनिक मिश्रण एवं भारी धातु से मृदा अपरदन होता है.

6 → इसके अतिरिक्त एक प्रक्रिया जहां भूमि की सतह का खनन कर भूमिगत जमा पदार्थ को निकाला जाता है जिसे विवृतखनन के नाम से जाना जाता है, से ऊपरी भूमि का पूरी तरह से नुकसान हो जाता है तथा पूरा क्षेत्र जहरीले धातु एवं रसायन से संक्रमित हो जाता है. यह भी मृदा प्रदूषण का मूल कारण है.

मृदा प्रदूषण के प्रभाव

1 → मृदा प्रदूषण प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से मानव, जीव-जंतु तथा वनस्पतियों को प्रभावित करता है.

2 → मृदा प्रदूषण से मिट्टी के मौलिक गुणों का ह्रास होता है. इसकी उत्पादन क्षमता कम हो जाती है जिसके फल स्वरुप फसलों एवं वनस्पतियों का विकास नहीं हो पाता है.

3 → रासायनिक प्रदूषण मिट्टी में मिलकर वनस्पति एवं फसलों को प्रभावित करते हैं. इसका प्रभाव जीव-जंतु एवं अपेक्षाकृत बड़े जीव जंतु पर अधिक देखने को मिलता है. मनुष्य पर भी इन सभी का प्रभाव पड़ता है.

4 → कीटनाशकों के प्रयोग से मृदा के भौतिक, रासायनिक तथा जैविक गुणों का ह्रास होता है. जिससे मृदा की उर्वरता तथा उत्पादन क्षमता में कमी आ जाती है.

5 → मृदा प्रदूषण आहार श्रृंखला के माध्यम से सबसे उच्च पोषण स्तर तक अपना नकारात्मक प्रभाव डालता है. इसके अंतर्गत मृदा में उपस्थित रासायनिक तत्व पौधों तथा फसलों के माध्यम से मनुष्य शरीर में पहुंचकर शरीर को रोगग्रस्त करते हैं.

मृदा प्रदूषण नियंत्रित करने के उपाय

1 → खाद के रूप में जैविक खाद, जैसे- गोबर, पत्ती की खाद आदि का अधिक मात्रा में और रासायनिक खाद का प्रयोग कम मात्रा में करके मृदा प्रदूषण नियंत्रित किया जा सकता है.

2 → औद्योगिक अपशिष्टों को बिना उचित उपचार के व घातक रसायनों को छाने बिना भूमि पर बहाने पर प्रतिबंध लगाना चाहिए.

3 → शहरी कचरे का यंत्रों द्वारा निस्तारण करके निस्तारित कचरे को विद्युत उत्पादन और खाद उत्पादन आदि ने प्रयोग किया जाना चाहिए.

4 → कृषि उत्पादन के लिए कम-से-कम कीटनाशकों का प्रयोग किया जाना चाहिए.

5 → वनों की कटाई पर प्रतिबंध लगाकर मृदा अपरदन तथा इसके पोषक तत्वों को सुरक्षित करने के लिए मृदा संरक्षण प्रणाली को अपनाया जाना चाहिए.

6 → भूमि उपयोग तथा फसल प्रबंधन पर ध्यान दिया जाए तथा पॉलिथीन को मिट्टी के संपर्क से दूर रखा जाए तो भी प्रदूषण कम किया जा सकता है.

7 → बाढ़ नियंत्रण हेतु योजना बनाई जानी चाहिए.

8 → ढालू भूमि पर सीढ़ीनुमा कृषि पद्धति अपनाने पर बल दिया जाना चाहिए.

मृदा प्रदूषण कम करने के लिए भारत के कदम

भारत में मृदा प्रदूषण कम करने की दिशा में राष्ट्रीय भूमि उपयोग एवं संरक्षण बोर्ड का गठन किया गया  है. जो देश की भूमि संसाधनों के स्वास्थ्य एवं वैज्ञानिक प्रबंधन के लिए नीति नियोजन व निगरानी के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करते हैं

फरवरी 2015 में, आरंभ की गई मृदा स्वास्थ्य बोर्ड योजना का उद्देश्य मिट्टी की जांच के द्वारा आवश्यक उर्वरकों व पोषक तत्वों की समुचित मात्रा का उपयोग करके कृषि उत्पादकता में वृद्धि करना था. यह एक कार्ड है जिसमें मिट्टी के स्वास्थ्य की वर्तमान स्थिति के विषय में सूचनाएं संग्रहित की जाती है

भारत में मिट्टी के परीक्षण हेतु एक लघु प्रयोगशाला मृदापरीक्षक का विकास भी किया गया है. यह मृदा परीक्षण एक डिजिटल मोबाइल मिनी लैब किट है. जो किसानों को उनके घर पर मिट्टी परीक्षण सुविधा देने के लिए विकसित किया गया है

उपसंहार

मृदा प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है. क्योंकि मृदा में उपस्थित विषैले पदार्थ या कीटनाशक फसलों में मिलकर हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं और शरीर को बुरी तरह क्षतिग्रस्त करते हैं

जिसके फलस्वरूप नई-नई बीमारियां उत्पन्न हो जाती है. इसीलिए आज हमें मृदा प्रदूषण एवं पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना चाहिए क्योंकि हम पर्यावरण पर आश्रित हैं और पर्यावरण से हम हैं पर्यावरण हम से नहीं

हमें सदैव अपने आस-पास के वातावरण को शुद्ध रखना चाहिए इसके लिए हमें वृक्षारोपण को भी बढ़ावा देना चाहिए. तभी मृदा प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है और एक सुखमय भविष्य की कल्पना की जा सकती है

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संक्षेप में – 

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