बेरोजगारी पर निबंध : आज बेरोजगारी हमारे देश भारत की एक बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है जिसने कि युवाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है और उन्हें बाहर देश जाने या आत्महत्या करने पर विवश कर दिया है
समाचार पत्रों में हम आए दिन बेरोजगारी के बारे में पढ़ते रहते हैं. तो क्या आप बेरोजगारी पर निबंध की तलाश कर रहे हैं तो आप एकदम सही जगह पर आए हैं
बेरोजगारी हमारे देश भारत के विकास में एक बहुत बड़ी बाधा बनी हुई है इसी संदर्भ में मैंने आज आपको बेरोजगारी की समस्या पर निबंध हिंदी में बताया है. जोकि विद्यार्थियों के लिए काफी उपयोगी है. तो आइए पढ़ते हैं
बेरोजगारी पर निबंध – Berojgari Essay in Hindi

प्रस्तावना
क्या कभी आपने उस युवक के चेहरे को देखा है जोकि विश्वविद्यालय से डिग्री लेकर बाहर आया है और रोजगार की तलाश में भटक रहा है. क्या आपने कभी उस युवक की आंखों में झांक कर देखा है जो बेरोजगारी की आग में अपनी डिग्री को जलाकर राख कर देने के लिए विवश है
क्या आपने कभी उस नौजवान की पीड़ा का अनुभव किया है जो देश में रोजगार दफ्तरों में चक्कर लगाता है और रात में देर तक अखबार विज्ञापनों में अपनी योग्यता के अनुरूप रोजगार की तलाश में रहता है
घर से जिसे निकम्मा कहा जाता है और समाज में आवारा, वह निराशा की नींद सोता है और आंसुओं को पीकर समाज को अपनी मौन व्यथा सुनाता है. बेरोजगारी ने आज की युवा पीढ़ी को अंदर से तोड़कर रख दिया है
बेरोजगारी का अर्थ
बेरोजगारी तब होती है जब एक व्यक्ति जो योग्य है, काम करने के लिए तैयार है और उसे काम नहीं मिलता है. बाल, विद्रोही, विकलांग व्यक्तियों को बेरोजगार की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है. जो लोग काम करने के इच्छुक नहीं होते हैं वे बेरोजगार की श्रेणी में नहीं आते हैं
बेरोजगारी की समस्या
भारत की आर्थिक समस्याओं के तहत बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है. वास्तव में, बेरोजगारी एक बुराई है जिसके द्वारा न केवल उत्पादक श्रम शक्ति नष्ट हो जाती है बल्कि देश का आर्थिक विकास भी अवरुद्ध हो जाता है
श्रमिक जो अपने काम के माध्यम से देश के आर्थिक विकास में सक्रिय रूप से समर्थन कर सकते हैं, काम की कमी के कारण बेरोजगार रहते हैं. इसलिए बेरोजगारी हमारे आर्थिक विकास के लिए एक बाधा है
बेरोजगारी एक अभिशाप का स्वरूप
बेरोजगारी किसी भी देश और समाज के लिए एक अभिशाप है. यह गरीबी, भूख और मानसिक अशांति फैलाती है. युवा लोगों के बीच बेरोजगारी के कारण विद्रोह और अनुशासनहीनता को भी बढ़ावा मिला है
चोरी, हिंसा, अपराध और आत्महत्या जैसी समस्याओं की जड़ में काफी हद तक बेरोजगारी मौजूद है. बेरोजगारी एक भयानक जहर है जो पूरे देश के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक जीवन को कई कारणों से प्रदूषित करता है
बेरोजगारी के कारण
हमारे देश में बेरोजगारी के अनेक कारण हैं ऐसे प्रमुख कारणों का उल्लेख निम्नलिखित है
1) जनसंख्या वृद्धि से बेरोजगारी – बेरोजगारी का मुख्य कारण जनसंख्या में तेजी से वृद्धि है. भारत में कुछ दशकों में जनसंख्या विस्फोट हुआ है, हमारे देश की जनसंख्या में हर साल लगभग 4.5% की वृद्धि होती है. जबकि इस दर पर बढ़ने वाले लोगों के लिए इस देश में रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं है
2) दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली – भारतीय शिक्षा अधिक सैद्धांतिक है. यह व्यावहारिकता से बिल्कुल अलग है. यह पुस्तक के ज्ञान पर विशेष ध्यान देती है. यहां के स्कूल कॉलेजों से निकलने वाले छात्र दफ्तर के लिपिक ही बन पाते हैं. वे निजी उद्योग नहीं लगा सकते जो बेरोजगारी की एक समस्या है
3) कुटीर उद्योगों की उपेक्षा – ब्रिटिश सरकार की कुटीर विरोधी उद्योग नीति के कारण, देश में कुटीर उद्योग व्यवसाय गिर गया है और इसके परिणामस्वरूप, कई कारीगर बेरोजगार हो गए हैं. स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भी घरेलू उद्योगों के विकास पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया जिसके कारण बेरोजगारी बढ़ती रही
4) धीमी औद्योगीकरण प्रक्रिया – पंचवर्षीय योजनाओं में, देश के औद्योगिक विकास के लिए प्रशासनिक कदम उठाए गए थे. लेकिन देश पर्याप्त रूप से औद्योगिकीकरण नहीं कर सका जिसका अर्थ है कि यह बेरोजगारों के लिए रोजगार पैदा नहीं कर सका जो बेरोजगारी का कारण बन गया है
5) कृषि का पिछड़ापन – भारत की लगभग दो-तिहाई आबादी कृषि पर निर्भर करती है. कृषि की अत्यंत पिछड़ी परिस्थितियों के कारण कृषि बेरोजगारी की समस्या व्यापक हो गई है
6) विदेशी प्रशिक्षित व्यक्तियों की नियुक्ति – हमारे देश में योग्य और प्रसिद्ध लोगों की कमी है. इसलिए, किसी भी क्षेत्र के अच्छे कामकाज के लिए प्रशिक्षित कर्मचारियों को विदेशों से बुलाया जाता है. इस वजह से देश में योग्य और प्रशिक्षित लोगों के बेरोजगारी की समस्या बढ़ जाती है
बेरोजगारी दूर करने के उपाय
देश में बेरोजगारी को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं
1) जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण – जनसंख्या में उच्च वृद्धि बेरोजगारी का मूल कारण है इसे नियंत्रित करना बहुत जरूरी है, इसके लिए जनता को परिवार नियोजन के महत्व को समझना चाहिए और छोटे परिवार की चेतना को जागृत करना चाहिए
2) शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन – शिक्षा व्यवसाय को उन्मुख बनाकर हमारी शिक्षा प्रणाली में शारीरिक शिक्षा को भी उच्च महत्व दिया जाना चाहिए. ताकि बेरोजगारी कम हो सके
3) कुटीर उद्योग विकसित करना – मेरा मानना है कि देश में कुटीर उद्योगों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि बेरोजगारी की समस्या से छुटकारा मिल सके और हर व्यक्ति को रोजगार मिल सके
4) औद्योगिकरण – देश में बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण होना चाहिए, इसके लिए बड़े उद्योगों की तुलना में छोटे उद्योगों को अधिक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए. सही अर्थों में इसे ही औद्योगीकरण कहा जाता है
5) सहकारी खेती – हमारे देश में कृषि के क्षेत्र में अधिकाधिक व्यक्तियों को रोजगार देने के लिए सहकारी खेती को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए
6) सहायक उद्योगों का विकास – मुख्य उद्योगों के साथ-साथ सहायक उद्योगों को विकसित किया जाना चाहिए, उदाहरण के लिए कृषि, पशुपालन और मुर्गी पालन के साथ-साथ सहायक उद्योगों को विकसित करके ग्रामीण लोगों को बेरोजगारी से मुक्त किया जा सकता है
7) राष्ट्र निर्माण संबंधी विविध कार्य – देश में बेरोजगारी को दूर करने के लिए, राष्ट्र निर्माण से संबंधित विभिन्न कार्यों का विस्तार किया जाना चाहिए. जैसे सड़कों का निर्माण, रेल परिवहन का विकास, पुल निर्माण, भवन निर्माण और वृक्षारोपण कई युवाओं को रोजगार प्रदान कर सकते हैं और देश से बेरोजगारी को कम कर सकते हैं
उपसंहार
हमारी सरकार बेरोजगारी मिटाने के लिए जागरूक है और इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. परिवार नियोजन, बैंकों का राष्ट्रीयकरण, कच्चे माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने की सुविधा, कृषि भूमि का सीमांकन, नए नए उद्योगों की स्थापना, प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना आदि कुछ ऐसे कार्य हैं जो बेरोजगारी को दूर करने में बहुत हद तक मदद करते हैं. इसीलिए ऐसे कार्यों को बढ़ावा मिलना चाहिए
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संक्षेप में
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