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जल पर निबंध हिंदी में

Essay on Water in Hindi : दोस्त क्या आप भी लिखना चाहते हैं जल पर निबंध तो यह पोस्ट आपने एकदम सही चुनी है

आज की इस पोस्ट में मैं आपको बताऊंगा कि आप जल पर निबंध किस प्रकार से लिख सकते हैं. यह पोस्ट कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 सभी वर्ग के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है. तो आइए पानी पर निबंध की शुरुआत करते हैं

जल पर निबंध – Essay on Water in Hindi

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प्रस्तावना

जल अर्थात् पानी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि इस पृथ्वी पर जीवन का उन्मेष जल में है. प्रकृति ने जीवन का रोपण किया है और वहाँ से ही धरा भंडार पर जीव-जंतुओं का विस्तार हुआ

जिस प्रकार प्राणवायु के बिना हम जीवित नहीं रह सकते हैं उसी प्रकार जल के अभाव में जीवन के समस्त लक्षणों का विलोपन होना सहज एवं स्वाभाविक है

सर्भ वनस्पतियों, जीव-जंतुओं के लिए जल एक परम आवश्यक तत्व है, लेकिन मानव समुदाय के लिए के इसकी उपयोगिता कई गुना अधिक है

दैनिक जीवन के कार्यों से लेकर सामुदायिक कार्य, वैज्ञानिक कार्य तथा नानाविध क्रियाकलायों का लोत जल ही हैं इसीलिए कहा भी गया है जल ही जीवन है

स्वच्छ पेयजल

आदिकाल से प्रकृति मानव की सहचरी रही है. प्रकृति के पाँचो तत्वों जिनसे मानव विकसित व पल्लवित हुआ, में जल अपना अलग ही स्थान रखता है. लेकिन द्रुतगति से हो रही वैज्ञानिक व तकनीकी उपलब्धियों ने जल की उपलब्धता व स्वच्छता पर ग्रहण लगा दिया है

20 वीं शताब्दी में नए-नए आविष्कार हुए भूगर्भ में छिपे हुए जल का भी दोहन प्रारंभ हो गया. जिस कारण भूमि में जल के स्तर के समीकरण गड़बड़ाने लगे और भूमि से प्राप्त होने वाले जल की मात्रा कम होती चली गई विश्व-मंच पर भूमिगत जल के इस प्रकार अंधाघुंध दोहन पर अनेक वार्ता आयोजित की जा चुकी हैं

लेकिन 21 वीं शताब्दी के प्रथम दशक में भी कोई हल नहीं खोजा जा सका है. पीने के स्वच्छ जल का सर्वत्र अकाल दिखाई दे रहा है पुरातनकाल में जल का अपव्यय नहीं होता था. लोग आवश्यकता के अनुरूप ही श्रमशक्ति द्वारा भूमि से कुओं, तालाबो, रहटों तथा अन्य विधियों से जल का दोहन करते थे

लेकिन मशीनी युग में विद्युत् शक्ति के उपयोग से जल को नष्ट किया जा रहा है और तमाम मीट्रिक टन जल ऐसे होकर समुद्र के खारे जल में जा मिलता है. सागर का जल खारा होने के कारण हमारे पीने तथा अन्य कार्यो के लिए बेकार साबित होता है

जल का संरक्षण

मानव के लिए उपयोगी जल बेकार न चला जाए, इसके लिए इस तथ्य की ओर ध्यान दिया गया कि मानव के लिए उपयोगी जल का संरक्षण किया जाए इसके लिए वैज्ञानिको ने अनेक प्रकार की विधियों को अपनाने पर बल दिया है. अनेक देशों में वर्षा के जल का संरक्षण करने के उपायों को भी खोजा गया है

वहाँ पर मकानों की छत को इस प्रकार से बनाया गया है, ताकि वह वर्षा जल को एकत्रित कर सके उसके पश्चात् नल के पाइपों द्वारा इस जल को इच्छित गंतव्य तक पहुँचा दिया जाता है और इस प्रकार वर्षा जल का संरक्षण हो जाता है

इसी प्रकार भूमि पर अधिक पेड़-पौधे उगाने से भी पानी के अवांछित बहाव को रोका जा सकता है. भूमि से उतने वाले जल का जितना आवश्यक हो दोहन ही किया जाना चाहिए. नलों से भी अनावश्यक जल के बहाव पर अंकुश लगाया जाना चाहिए

यदि प्राकृतिक जल की मात्रा कम हो गई या समाप्त हो गई तो इसे पुन: प्राप्त करना असंभव हो जाएगा. अत: इसके संरक्षण पर ध्यान दिया जाना चाहिए तथा जल को बर्बाद होने से बचाना चाहिए

जल का प्रदूषण से बचाव

मानव ने एक ओर तो वैज्ञानिक उपलब्धियों को प्राप्त कर स्वयं को गौरवान्वित किया है तो दूसरी ओर उसने प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर स्वयं को प्रकृति का कोपभाजन बनाया है. तकनीकी उपलब्धि के साथ ही प्रदूषण की समस्या ने भी विकराल रूप धारण कर लिया है

जिस प्रकार सुरसा का मुख हनुमान जी को निगल जाने के लिए बड़ता चला गया था, उसी प्रकार प्रदूषण भयंकर रूप धारण करता जा रहा है. वस्तुत: वायु, जल, मिट्टी, पौधे और पशु-जगत सभी मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं

जब मानव अपने विकास की धुन में इनका सीमा से अधिक उपयोग करता है तो प्रकृति के ये घटक प्रदूषित हो जाते हैं और प्रकृति का स्वाभाविक संतुलन गड़बड़ा जाता है

गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों का जल अनेक स्थलों पर आज पीने योग्य भी नहीं रहा है. प्रदूषित जल मानव के शरीर में पहुँचकर अस्थि कैंसर जैसे भयानक रोगों को जन्म देता है

इन सब प्रदूषणों से बचाव के उपायों को सुनिश्चित करने हेतु वर्ष 1972 ई० में स्टाकहोम में एक विश्व पर्यावरण बचाव सम्मेलन का आयोजन किया गया इसीलिए अब ‘विनाश के बिना विकास’ का नारा दिया जा रहा है

भारत में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय का गठन केंद्र सरकार के अंतर्गत किया गया है. उत्तर प्रदेश में भी पर्यावरण सचिव की नियुक्ति शासन स्तर पर की गई है. अत: हमें प्रदूषण से जल को बचाना ही होगा और इसमें जल संरक्षण व उसकी स्वच्छता की महती भूमिका होगी

उपसंहार

जल हमारे जीवन जीने की महत्वपूर्ण इकाइयों में से एक है. आने वाले समय में हमें जल संरक्षण बहुत अधिक मात्रा में करना होगा क्योंकि शुद्ध जल पृथ्वी में बहुत ही कम मात्रा में रह गया है और जो जल शुद्ध है उसे मनुष्य वैज्ञानिक गतिविधियों के अंतर्गत दूषित कर रहा है

हमें जल का संरक्षण करना चाहिए ताकि हमारे आने वाली भव्य पीढ़ियां एक संरक्षित जीवन यापन कर सकें. जल की अहमियत हम सभी पृथ्वी वासियों को समझनी चाहिए

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संक्षेप में

दोस्तों मुझे उम्मीद है आपको जल पर निबंध – Water Essay in Hindi अच्छा लगा होगा. मेरा मानना है कि हम सभी को अपने आवश्यकता अनुसार ही जल का उपयोग करना चाहिए और जल की कीमत समझनी चाहिए

अगर आपको यह निबंध पसंद आया है तो इसे सोशल मीडिया पर जरूर शेयर कीजिएगा ताकि और लोग भी जल पर निबंध से यहां समझ सके कि आने वाले समय में जल कितना महत्वपूर्ण है

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