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गुरु तेग बहादुर पर निबंध

Sumit Baurai by Sumit Baurai
in Hindi Essay

Guru Teg Bahadur Essay in Hindi : दोस्त क्या आप गुरु तेग बहादुर पर निबंध लिखना चाहते हैं तो आपने एकदम सही पोस्ट को खोला है

आज मैं आपको गुरु तेग बहादुर जी पर निबंध कैसे लिखते हैं इसके बारे में जानकारी दूंगा. यह निबंध कक्षा 1 से लेकर 12 तक के सभी विद्यार्थियों के लिए काफी उपयोगी है. तो आइए गुरु तेग बहादुर साहिब पर निबंध जानते हैं

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गुरु तेग बहादुर पर निबंध – Guru Teg Bahadur Essay in Hindi
प्रस्तावना
गुरु तेग बहादुर का बचपन
गुरु तेग बहादुर का दर्शन और उपदेश
समाज के प्रति उनका योगदान
गुरु तेग बहादुर की मृत्यु
गुरु तेग बहादुर शहादत दिवस
गुरु तेग बहादुर की स्मृति और विरासत
उपसंहार

गुरु तेग बहादुर पर निबंध – Guru Teg Bahadur Essay in Hindi

Guru Teg Bahadur Essay in Hindi

प्रस्तावना

सिख समुदाय में सिख धर्म का गठन करने का श्रेय सिखों के 10 धर्म गुरुओं को जाता है. सिखों के पहले धर्म गुरु, गुरु नानक थे और उसके बाद नौ अन्य गुरु थे. अंतिम गुरु गुरु गोविंद सिंह थे

गुरु तेग बहादुर सिखों के नौवें धर्म गुरु थे. वह गुरु अर्जन देव के पोते थे उन्हें 1665 से उनके निधन तक सिख नेता माना जाता था. गुरु तेग बहादुर जयंती 1 अप्रैल को गुरु तेग बहादुर के जन्मदिवस के अवसर पर मनाई जाती है

इस शुभ अवसर पर गरीबों को भोजन कराने के लिए गुरुद्वारों में लंगर जैसे विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. वर्ष 2021 में, सिख समुदाय द्वारा गुरु तेग बहादुर की 400 जयंती या प्रकाश पर्व मनाया गया

गुरु तेग बहादुर का बचपन

गुरु तेग बहादुर का जन्म पंजाब के अमृतसर शहर में 1 अप्रैल 1621 को हुआ था. उनके पिता का नाम गुरु हरगोबिंद सिंह और माता का नाम नानकी जी था वे उनके सबसे छोटे पुत्र थे

उन्होंने कम उम्र में ही हिंदी, संस्कृत, गुरुमुखी और कई अन्य धार्मिक दर्शन सीखे. उन्हें पुराणों, उपनिषदों और वेदों का भी ज्ञान था. वह धनुर्विद्या और घुड़सवारी में माहिर थे. उन्होंने अपने पिता से तलवारबाजी भी सीखी

उनका प्रारंभिक नाम त्याग मल था. 13 साल की उम्र में वह करतारपुर की लड़ाई में अपने पिता के साथ शामिल होने गए थे. युद्ध जीतने के बाद, उनके पिता ने उनका नाम बदलकर तेग बहादुर कर दिया. उनका विवाह 1632 में करतारपुर में माता गुजरी से हुआ था. दसवें गुरु “गोविंद सिंह” गुरु तेग बहादुर के पुत्र थे

गुरु तेग बहादुर का दर्शन और उपदेश

अगस्त 1664 में सिख संगत नाम से मशहूर, सिख लोगों के एक समूह ने “टिक्का समारोह” का आयोजन किया और गुरु तेग बहादुर को 9वें सिख गुरु के रूप में सम्मानित किया

गुरु तेग बहादुर ने मानव जीवन के सही उद्देश्य के बारे में समझाया और विभिन्न प्रकार के मानवीय कष्टों के पीछे के कारणों के बारे में शिक्षा दी

गुरुजी ने सम्पूर्ण जगत को शांति और सद्भाव का मार्ग दिखाया. उन्होंने अपने शिष्यों को परिणाम की चिंता करे बगैर कर्म करते रहने की प्रेरणा दी

उन्होंने अपने अनुयायियों को यह शिक्षा दी कि हमें परिणाम की चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि वह हमारे हाथों में न होकर “नानक” के हाथों में है, सब कुछ उस परमपिता परमेश्वर द्वारा नियंत्रित किया जाता है

इसके साथ ही उन्होंने अपने शिष्यों को सर्वशक्तिमान ईश्वर की सर्वव्यापकता से भी परिचित कराया. उन्होंने अपने शिष्यों को यह सिखाया की ईश्वर सारे संसार में और उसके हर एक कण में व्याप्त है. हम सब के भीतर ईश्वर विराजमान है

उन्होंने अपने शिष्यों को शांति का पाठ भी पढ़ाया और यह ज्ञान दिया कि शांति ही जीवन की मुक्ति का मार्ग है. गुरु तेग बहादुर के दर्शन और उपदेश मानवता को प्रेरित करते हैं. उन्होंने अपने अनुयायियों को अहंकार, लालच, मोह, इच्छा और अन्य अपूर्णताओं को दूर करने का तरीका सिखाया

समाज के प्रति उनका योगदान

“गुरु ग्रंथ साहिब” सिख पवित्र पुस्तक में गुरु तेग बहादुर के विभिन्न कार्य मौजूद हैं. उन्होंने 116 शबद, 57 श्लोक, 15 राग और 115 भजन लिखे थे

गुरु तेग बहादुर ने गुरु नानक के आदर्शों और सिद्धांतों का प्रचार करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया. वे जिन स्थानों पर गए और रुके, उन्हें सिखों के पवित्र स्थलों में बदल दिया गया है

सिख संदेश फैलाने की अपनी यात्रा के दौरान, उन्होंने पानी के कुएं स्थापित करके और गरीबों के लिए लंगर का आयोजन करके लोगों की मदद की

मुगल सेना ने कश्मीरी पंडितों को अपना धर्म बदलने के लिए मजबूर किया. मौत की सजा के डर से कश्मीरी पंडितों ने गुरु जी से मदद लेने का फैसला किया. पंडित कृपा राम के नेतृत्व में लगभग 500 कश्मीरी पंडित गुरु जी के पास आए

गुरु तेग बहादुर ने उन्हें औरंगजेब से बचाया. उन्होंने आनंदपुर साहिब शहर की भी स्थापना की थी. गुरु तेग बहादुर समाज के मानवता, सिद्धांतों और आदर्शों के रक्षक थे. भारतीयों की धार्मिक मान्यताओं को बचाने में उनके योगदान के कारण उन्हें “हिंद दी चादर” (भारत की ढाल) माना जाता था

गुरु तेग बहादुर की मृत्यु

मुगल बादशाह औरंगजेब ने लोगों को अपना धर्म इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए मजबूर किया. उसने यह सोचा कि अगर गुरु तेग बहादुर मुसलमान हो गए तो लोग इस्लाम स्वीकार करेंगे. उन्होंने पांच अन्य सिखों और गुरु तेग बहादुर को प्रताड़ित किया

औरंगजेब ने गुरु को या तो इस्लाम स्वीकार करने या चमत्कार करने का आदेश दिया. हालांकि, गुरु तेग बहादुर ने इनकार कर दिया और मुगलों के खिलाफ विरोध किया. अंत में, उन्होंने गुरु तेग बहादुर को मौत की सजा सुनाई

11 नवंबर 1675 को दिल्ली के चांदनी चौक के केंद्र में गुरु तेग बहादुर का सिर काट दिया गया था. भाई जैता ने गुरु तेग बहादुर का कटा हुआ सिर लिया और उसे लेकर आनंदपुर साहिब चले गए

इस यात्रा के बीच में भाई जैता ने मुगलों से गुरु तेग बहादुर जी का सिर छिपाने और बचाने के लिए सोनीपत के ग्रामीणों से मदद मांगी. तब कुशल सिंह दहिया नामक एक ग्रामीण ने आगे आकर मुगलों को देने के लिए अपना सिर अर्पित कर दिया

ग्रामीणों ने गुरु तेग बहादुर के सिर को कुशल सिंह के सिर से बदल दिया. इस तरह, भाई जैता ने दाह संस्कार प्रक्रिया के लिए गुरु गोविंद सिंह (गुरु तेग बहादुर के पुत्र) को गुरु तेग बहादुर जी का सिर सफलतापूर्वक सौंप दिया. हालाँकि, भाई लखी शाह ने गुरु तेग बहादुर के शरीर को उनके पास के घर में जला दिया ताकि यह मुगलों के हाथों तक न पहुंच सके

गुरु तेग बहादुर शहादत दिवस

हर साल 24 नवंबर को गुरु तेग बहादुर शहादत दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसे कभी-कभी गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस के रूप में भी जाना जाता है. यह दिन अपने नागरिकों के धर्म को बचाने के लिए गुरुजी द्वारा किए गए बलिदानों को याद करने के लिए मनाया जाता है

यह पावन पर्व यूं तो अधिकतर सिख समुदाय द्वारा मनाया जाता है परंतु सम्पूर्ण भारत गुरुजी के योगदान और ज्ञान के लिए शुक्रगुज़ार है. गुरुजी के जन्मदिवस के इस पावन अवसर पर सिखों द्वारा गुरुद्वारे जाया जाता है और गुरुजी के द्वारा लिखे गए भजनों का पठन-पाठन किया जाता है

इसके अलावा इस शुभ दिन पर विभिन्न सिख पूजा और अनुष्ठानो को भी सम्पन्न किया जाता है. इस दिन राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और कई अन्य जैसे राजनीतिक नेताओं सहित कई प्रसिद्ध हस्तियां गुरु तेग बहादुर जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं

गुरु तेग बहादुर की स्मृति और विरासत

गुरु तेग बहादुर की याद में, विभिन्न गुरुद्वारे बनाए गए हैं. उनके नाम से कई स्कूल और कॉलेज भी स्थापित किए गए हैं. पंजाब में कई सड़कों के नाम उनके नाम पर रखे गए हैं

दिल्ली में सरकार द्वारा गुरु तेग बहादुर स्मारक की स्थापना की गई है, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. चांदनी चौक पर गुरुद्वारा शीशगंज साहिब उस स्थान पर बनाया गया है जहां गुरु तेग बहादुर का सिर कलम किया गया था

एक अन्य गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब को उस स्थान के रूप में चिह्नित किया गया है जहां गुरु तेग बहादुर के शरीर को जलाया गया था या उनका अंतिम संस्कार किया गया था

उपसंहार

गुरु तेग बहादुर एक बहुमुखी व्यक्तित्व वाले योद्धा थे. उन्होंने अपने समुदाय के लोगों के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया

वह उन निस्वार्थ शहीदों में से एक थे जिन्होंने विभिन्न भारतीयों को शांतिपूर्वक अपने धर्म का पालन करने में मदद की, सम्पूर्ण देश गुरु तेग बहादुर जी को नमन करता है और हम सदैव उनके आभारी रहेंगे

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संक्षेप में

दोस्तों मुझे उम्मीद है आपको गुरु तेग बहादुर पर निबंध – Guru Teg Bahadur Essay in Hindi पसंद आया होगा. अगर आपको यह निबंध कुछ काम का लगा है तो इसे जरूर सोशल मीडिया पर शेयर कीजिएगा

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