Hindi Speech

होली पर भाषण

Holi Speech in Hindi : रंगों का त्योहार होली जीवन को रंगने और जीवन में खुशियां लाने का एक शुभ अवसर है. संपूर्ण भारतवर्ष में होली को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है

क्या आप होली पर भाषण बोलना चाहते हैं तो आज मैं आपको बताऊंगा कि किस प्रकार आप होली पर एक अच्छा सा भाषण तैयार कर सकते हैं. तो आइए जानते हैं

होली पर भाषण – Holi Speech in Hindi

Holi Speech in Hindi

माननीय प्रधानाचार्य जी, सभी टीचर्स और मेरे सहपाठियों… आप सभी को मेरा नमस्कार और होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं! मेरा नाम……. है मैं कक्षा 12 का विद्यार्थी हूँ. आज मैं आप सब के समक्ष होली पर भाषण देने हेतु उपस्थित हुआ हूँ

“रंगों का त्यौहार है होली, खुशियां बेशुमार है होली
रंग भरे पानी से धोता, मन की मैल अपार है होली”

होली – जोश और उत्साह का त्यौहार, रूठे को मनाने का त्यौहार होली पूरे भारतवर्ष में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है. यूं तो यह हिन्दू धर्म का त्यौहार है लेकिन हर धर्म, हर जाति के लोग सब कुछ भूलकर होली की मस्ती में झूम उठते हैं

होली प्रत्येक वर्ष हिन्दी महीने फाल्गुन में मनाई जाती है. यह त्यौहार हमें बुराई का त्याग कर धर्म और अच्छाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है. होली खेलने से एक दिन पहले रात को होलिका दहन किया जाता है

इसके पीछे भी एक मान्यता है. विष्णु भक्त प्रहलाद के बारे में तो आप सभी ने पढ़ा ही होगा. प्रहलाद का पिता हिरण्यकश्यप बहुत अभिमानी था उसे अपने पुत्र की विष्णु भक्ति बिल्कुल नहीं भाती थी

इसलिए उसने बहन होलिका के साथ मिलकर प्रहलाद को मारने की योजना बनाई. होलिका जिसको आग में ना जलने का वरदान प्राप्त था, प्रहलाद को लेकर आग में बैठ गई

लेकिन भगवान की कृपा से होलिका रूपी बुराई अग्नि में जलकर भस्म हो गई और धर्म तथा अच्छाई का प्रतीक प्रहलाद सुरक्षित बच गया

बस तभी से होलिका दहन की प्रथा शुरू हो गई और अगले दिन बड़े ही धूमधाम के साथ रंगों का त्यौहार होली मनाई जाती है

रंगों की इस धूम में सभी आपसी गिले-शिकवे भूल कर बिल्कुल खो जाते हैं. लेकिन आज हमारे समाज में कुछ लोग जाति-धर्म के नाम पर अराजकता फैलाए हुए हैं जिससे देश की प्रगति में बाधा आ रही है

तो आइए इस बार होली पर हम सभी एक संकल्प लेते हैं कि धर्म-जाति को भूलकर एक भारतीय के रूप में अपनी एक पहचान बनाएंगे और अंत मे इन शब्दों के साथ मैं अपने भाषण को समाप्त करता हूँ –:

“नफरत के रंगों में आज फिरते हैं सब रंगे से
चलो इस बार इक हो जाएं सबको रंगें तिरंगे से”

Read More : होली पर निबंध

संक्षेप में

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