क्या आप भी कन्या भ्रूण हत्या पर निबंध – Essay on Female Foeticide in Hindi पर निबंध खोज रहे हैं. तो यह पोस्ट आपके लिए काफी लाभकारी साबित होगी. यह पोस्ट सभी छात्रों के लिए अनुकूल है. आइए भ्रूण हत्या पर निबंध जानते हैं
कन्या भ्रूण हत्या पर निबंध – Essay on Female Foeticide in Hindi
प्रस्तावना
कन्या भ्रूण हत्या एक कन्या भ्रूण को उसके पूर्ण विकास से पहले गर्भ में गिरा दिये जाने की प्रक्रिया को कहा जाता है. कन्या भ्रूण हत्या हमारे देश का एक शर्मनाक और चौंकाने वाला सच बन गया है
भारत में कई लोगों द्वारा पुत्रियों को पुत्रों से कम समझा जाता है और खुद के ऊपर बोझ माना जाता है. लोग चिकित्सा तकनीकों का दुरुपयोग करके बच्चे के जन्म से पहले ही उसका लिंग पता कर लेते हैं व कन्या होने पर उसे गर्भ में ही मार देते हैं. जो कि एक बेहद शर्मनाक बात है
कन्या भ्रूण हत्या क्या है?
कन्या भ्रूण हत्या, Ultrasound scan जैसे लिंग पहचान परीक्षणों के बाद जन्म लेने से पहले मां के गर्भ से कन्या भ्रूण को समाप्त करने के लिए गर्भपात की प्रक्रिया को कहा जाता है. भारत में कन्या भ्रूण हत्या और यहां तक कि किसी भी प्रकार का लिंग पहचान परीक्षण करना ग़ैरकानूनी अपराध है. ऐसा कराने वाले माता-पिता और डॉक्टर दोनों ही इस अपराध के दोषी हैं और सज़ा के हकदार हैं
कन्या भ्रूण हत्या के कारण
कन्या भ्रूण हत्या की प्रथा काफी समय से चली आ रही है. खासकर उन परिवारों के लिए जो केवल पुत्र संतान को प्राथमिकता देते हैं. कन्या भ्रूण हत्या का कारण कई धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक और भावनात्मक कारण हैं
हालांकि अब समय बहुत बदल गया है. किंतु अब भी परिवारों में कई कारण और मान्यताएं चल रही हैं जो इस अपराध को बढ़ावा देती हैं. इसके कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं
- आमतौर पर माता-पिता बेटी नहीं चाहते क्योंकि उन्हें बेटी की शादी में दहेज के रूप में एक बड़ी रकम देनी होती है
- ऐसी मान्यता है कि लड़कियां केवल खर्च करने वाली होती हैं और लड़के ही कमाने वाले होते हैं. इस प्रकार माता-पिता समझते हैं कि बेटा जीवन भर पैसा कमाएगा और अपने माता-पिता की देखभाल करेगा और लड़कियों की एक दिन शादी हो जाएगी और उनका एक अलग परिवार होगा
- ऐसी मान्यता है कि बेटा भविष्य में परिवार को आगे बढ़ाएगा. लेकिन लड़की को पति के परिवार का पालन-पोषण करना होता है
- कई माता-पिता और दादा-दादी के लिए परिवार में एक लड़का होना सामाजिक प्रतिष्ठा का कारक होता है
- परिवार की नई दुल्हन पर एक लड़के को जन्म देने का दबाव होता है. इसलिए उसे लिंग पहचान के लिए जाने और लड़की होने पर गर्भपात कराने के लिए मजबूर किया जाता है
- समाज में लोगों की अशिक्षा, असुरक्षा और गरीबी भी बालिकाओं को बोझ समझे जाने के प्रमुख कारण हैं
कन्या भ्रूण हत्या का लिंगानुपात पर प्रभाव
लिंगानुपात एक विशिष्ट क्षेत्र में महिलाओं और पुरुषों के अनुपात को दर्शाता है. कन्या भ्रूण हत्या और जन्म के बाद एक बच्ची की हत्या कर देने जैसी कई प्रथाओं का लिंग अनुपात पर विपरीत प्रभाव पड़ा है. इस प्रकार यह कई सामाजिक बुराइयों को जन्म देती है और बढ़ावा देती है
भारतीय जनगणना के अनुसार, भारत का लिंग अनुपात 107.48 है. यानी 2019 में प्रति 100 महिलाओं पर 107.48 पुरुष हैं. भारत में प्रति 1000 पुरुषों पर 930 महिलाएं हैं. अर्थात भारत में 51.80% पुरुष जनसंख्या की तुलना में केवल 48.20 प्रतिशत महिला आबादी है
कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम के उपाय
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कन्या भ्रूण हत्या एक सामाजिक बुराई, अपराध है और महिलाओं के भविष्य के खतरनाक है. इसलिए हमें भारतीय समाज में कन्या भ्रूण हत्या के कारणों पर ध्यान देना चाहिए. कन्या भ्रूण हत्या मुख्य रूप से लिंग निर्धारण के कारण होती है इसे रोकने के कुछ उपाय निम्नलिखित हैं
इसके खिलाफ कानून लागू किया जाना चाहिए और इस अपराध का दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए. यदि कोई डॉक्टर या चिकित्सा संस्थान लिंग निर्धारण परीक्षण कर रहा हो तो उसे बंद करवा देना चाहिए और लाइसेन्स रद्द कर दिया जाना चाहिए
अवैध लिंग निर्धारण और गर्भपात के लिए विशेष रूप से बनाये गए चिकित्सा उपकरणों पर प्रतिबंध होना चाहिए. जो माता-पिता अपनी बच्ची को मारना चाहते हैं, उन पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए
लोगों को जागरूक करने के लिए नियमित रूप से अभियान और सेमिनार आयोजित किए जाने चाहिए. महिलाओं में जागरूकता फैलानी चाहिए ताकि वे अपने अधिकारों के प्रति अधिक जागरूक हो सकें
उपसंहार
यह सच्चाई है कि जितना महत्व इस संसार में पुरुषों का है उतना ही महिलाओं का भी है. उनके बिना वर्तमान, अतीत और भविष्य की कल्पना करना भी सम्भव नहीं है इसलिए बेटी बचाओ और भविष्य सुरक्षित करो
कन्या भ्रूण हत्या एक दंडनीय अपराध है और इसके खतरनाक परिणाम हैं. लड़कों की ही भांति लड़कियों के भी अधिकार हैं और उन्हें भी जीने का हक़ है. वे बोझ नहीं हैं वे भी लड़कों के जैसे सभी क्षेत्रों में अपना योगदान देने में पूर्ण रूप से सक्षम हैं
जन सांख्यिकी रिपोर्ट में भारत को चेतावनी दी गई है कि अगले बीस वर्षों में विवाह के लिए दुल्हनों की कमी होगी. जिसका मुख्य कारण प्रतिकूल लिंगानुपात है. अपनी मानसिकता में बदलाव लाओ और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ
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संक्षेप में
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Bhut aacha nibandh thanku
Aapne jo nibandh bataya hai Ye bhut hi Helpful hai Thanku Sachin Sir.
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