MDS BLOG™
No Result
View All Result
Saturday, February 4, 2023
  • Login
  • HOME
  • Computer
  • Educational
  • Hindi Essay
  • Health care
  • Internet
  • Speech
MDS BLOG™
  • HOME
  • Computer
  • Educational
  • Hindi Essay
  • Health care
  • Internet
  • Speech
No Result
View All Result
MDS BLOG™
No Result
View All Result
Home Educational Hindi Essay

कृषि का महत्व पर निबंध

Sachin Sajwan by Sachin Sajwan
in Hindi Essay

कृषि का महत्व पर निबंध : हमारे देश के विकास एवं आर्थिक सहायता में कृषि का सबसे बड़ा योगदान रहा है. भारत एक विशाल कृषि प्रधान देश है जहां बहुत अधिक मात्रा में खेती की जाती है

क्या आप कृषि का महत्व पर निबंध लिखना चाहते हैं तो यह पोस्ट आपके लिए एकदम सही है. इस पोस्ट में आपको बताया गया है कि अर्थव्यवस्था में कृषि की क्या भूमिका है? तो आइए निबंध पढ़ते हैं

पाठ्यक्रम show
कृषि का महत्व पर निबंध
प्रस्तावना
देश में खाद्यान्न की स्थिति
हमारी कृषि नीति
रसायन और कीटनाशकों का दुष्प्रयोग व बचाव के उपाय
उपसंहार

कृषि का महत्व पर निबंध

कृषि का महत्व पर निबंध

प्रस्तावना

भारत एक कृषिप्रधान देश है. इसकी कुल जनसंख्या का 55 प्रतिशत भाग जीविकोपार्जन के लिए कृषि पर निर्भर है. कृषि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की धुरी है क्योंकि यह न केवल लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करती है अपितु देश के गैर-कृषि क्षेत्र तथा औद्योगिक क्षेत्र के लिए कच्चा माल भी उपलब्ध कराती है

इस प्रकार परोक्षत: कृषि देश के अनेक उद्योगों की भी धुरी है. कपड़ा, जूट, रेशम, डेयरी, खाद्य प्रसंस्करण आदि ऐसे ही उद्योग हैं जो पूर्णतः कृषि उत्पादों पर आधारित हैं. भारत में खेती करने वाले बहुसंख्य किसान-मजदूर गाँवों में निवास करते हैं, जिनके जीवन का आधार एकमात्र कृषि ही है

मगर यह भारत की विडम्बना ही है कि देश के आर्थिक विकास का मूलाधार बने किसान-मजदूरों की दशा अत्यन्त शोचनीय है. बहुसंख्य किसान-मजदूरों को आज भी जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं – रोटी, कपड़ा और मकान से वंचित रहना पड़ता है. वे बस किसी प्रकार जीवन जी रहे हैं

देश में खाद्यान्न की स्थिति

देश के किसान-मजदूरों की दशा भले ही दयनीय हो, किन्तु हमने खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली है. हम प्रतिवर्ष निर्धारित लक्ष्य से अधिक खाद्यान्न उत्पन्न करके आज निर्यात की स्थिति में पहुँच चुके हैं

केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों तथा कृषक समुदाय के संयुक्त प्रयासों के परिणामस्वरूप हमें वर्ष 2010-11 में 244.78 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन में सफलता प्राप्त हुई है

इस रिकॉर्ड उत्पादन में फसल उत्पादन की अच्छी तकनीक, कृषि तथा सहकारिता विभाग की नीतियों का विशेष योगदान रहा है. आठवीं पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत देश के खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि हुई, किन्तु वर्ष 2009-10 के अन्तर्गत देश के विभिन्न भागों में पड़े भयंकर सूखे के कारण खाद्यान्न उत्पादन 218.1 मिलियन टन तक सीमित रहा

वर्ष 2011-12 के दौरान कुल खाद्यान्न उत्पादन 259.32 मिलियन टन हुआ, जो अब तक का सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन था. यद्यपि खाद्यान्न के उत्पादन में प्रतिवर्ष निरन्तर वृद्धि हो रही है किन्तु 1980-90 के दशक में जो वृद्धि दर प्राप्त हुई थी, उसे आज तक प्राप्त नहीं किया जा सका

हमारी कृषि नीति

हमारी कृषि नीति का मुख्य बिन्दु ऐसी अर्थव्यवस्था की स्थापना करना है जो देश की 100 करोड़ से अधिक जनसंख्या को खाद्य एवं पोषण उपलब्ध करा सके तथा बढ़ते हुए औद्योगिक आधार के लिए कच्चा माल उपलब्ध करा सके और निर्यात के लिए अतिरेक कायम कर सके

इसके साथ ही इस नीति का उद्देश्य हमारे किसान समुदाय के लिए तीव्र एवं न्यायपूर्ण प्रतिफल प्रणाली सुनिश्चित करना है जिससे समाज को किसानों द्वारा उपलब्ध कराई गई सेवाओं का उचित प्रतिफल मिल सके

राष्ट्रीय कृषि नीति के निम्नलिखित उद्देश्य निर्धारित किए गए हैं :-

  1. कृषि क्षेत्र में 4 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त करना
  2. ऐसे विकास को प्रोन्नत करना जिसमें हमारे संसाधनों का कुशलतापूर्वक प्रयोग होने के साथ-साथ जल, भूमि और जैव-विविधता को सुरक्षित रखा जा सके
  3. ‘समानता के साथ विकास’ अर्थात् ऐसा विकास सुनिश्चित करना जो विभिन्न क्षेत्रों एवं किसानों को प्राप्त हो सके
  4. ऐसा विकास लाना जो माँग द्वारा संचालित हो और स्वदेशी बाजार के लिए किया जाए
  5. विकास का उद्देश्य आर्थिक उदारीकरण एवं वैश्वीकरण की चुनौतियों का मुकाबला करते हुए कृषि वस्तुओं के निर्यात से अधिकतम लाभ प्राप्त करना
  6. ऐसा विकास करना जो तकनीकी, पर्यावरण एवं आर्थिक दृष्टि से पोषणीय हो

रसायन और कीटनाशकों का दुष्प्रयोग व बचाव के उपाय

देश को निरन्तर बढ़ती जनसंख्या के लिए, खाद्यान्नों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है कि खाद्यान्नों का उत्पादन उसी अनुपात में बढ़ाया जाए जिस अनुपात में जनसंख्या में वृद्धि हो रही है. हमारा कृषि क्षेत्र सीमित है अतः हमारे पास खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ाने का एकमात्र उपाय यही है कि हम प्रति हेक्टेयर उपज में वृद्धि करें

यह वृद्धि तभी सम्भव है जब हम फसलों को उचित पोषण प्रदान करके उनकी विभिन्न रोगों एवं कीटों से रक्षा कर सकें. ये दोनों कार्य खेती में उर्वरकों एवं कीटनाशकों के प्रयोग द्वारा सम्भव किए जा सकते हैं

खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के लिए आज जहाँ खेती में वैज्ञानिक उपकरणों एवं तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है, वहीं रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के प्रयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है जिससे प्रति हेक्टेयर उत्पादन में वृद्धि हो सके

यदि हम अपने देश में रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग की बात करें तो इसमें निरन्तर भारी वृद्धि हो रही है. इस बात का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 1981-82 में देश में कुल उर्वरकों की खपत 60 लाख टन थी, जो वर्तमान में बढ़कर 264.9 लाख टन हो गई है

हमारे देश में प्रति हेक्टेयर उर्वरकों की औसत खपत अनुमानित 135. 27 किलोग्राम है. जो अनेक विकासशील देशों की तुलना में अत्यधिक है. देश में खाद्यान्न की बढ़ती जरूरतों की पूर्ति के लिए उर्वरकों की खपत बढ़ाने की आवश्यकता है. इस खपत में वृद्धि के साथ-साथ पोषक तत्त्वों के उपयोग के साथ द्वितीयक एवं सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के पर्याप्त प्रयोग में सन्तुलन की आवश्यकता है

कृषि में यद्यपि अनेक प्रकार के रसायनों का प्रयोग किया जाता है, किन्तु अब कृषि में रासायनिक कीटनाशकों के स्थान पर जैविक कीटनाशकों के प्रचलन में वृद्धि हो रही है. जो जनस्वास्थ्य एवं पर्यावरण की दृष्टि से सराहनीय है

खेती में रसायनों एवं कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग के कारण भूमि के बंजर होने, मृदा प्रदूषण, जल प्रदूषण और स्वास्थ्य सम्बन्धी अन्य समस्याएँ विकराल रूप लेती जा रही हैं. इन रसायनों एवं कीटनाशकों के प्रयोग के कारण ही किसान के मित्र अनेक पक्षियों एवं कीटों के अस्तित्व पर ही संकट मँडराने लगा है

गौरैया, कौए, गिद्ध, सारस आदि पक्षी लुप्त होने के कगार पर हैं. इसका एकमात्र कारण खेती में विभिन्न रसायनों एवं कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग है. यह बात ठीक है कि कृषि में खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाना हमारी विवशता है किन्तु इसके लिए हम कृषि में रसायनों एवं कीटनाशकों के प्रयोग के लिए बाध्य नहीं हैं

हम इनके प्रयोग के बिना भी अपने खाद्यान्न उत्पादन को बढ़ा सकते हैं. इनके दुष्प्रभावों से बचने के लिए हम निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं :-

  1. समुचित फसलचक्र को अपनाकर
  2. रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर वर्मी कम्पोस्ट जैसे जैविक खाद का प्रयोग करके
  3. नए रोग एवं कीटरोधी बीजों का प्रयोग करके
  4. नीम जैसे जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करके
  5. किसान के मित्र कीटों एवं पक्षियों का संरक्षण करके

उपसंहार

इस प्रकार उपयुक्त उपायों को अपनाकर हम वृद्धि में थोड़ी-सी सावधानी रखकर जहाँ अपने खाद्यान्न उत्पादन को सफलतापूर्वक बढ़ा सकते हैं, वहीं जैविक खेती को बढ़ावा देकर अपने पर्यावरण की रक्षा करने के साथ-साथ अपने स्वास्थ्य को भी उत्तम बनाए रख सकते हैं

जैविक खेती के प्रयोग का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इस विधि से उत्पन्न खाद्यान्नों का बाजार-मूल्य भी अत्यधिक होता है, जिससे हम बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा भी कमा सकते हैं. साथ ही अपने देशी मुद्रा कोष में भी वृद्धि कर सकते हैं

Read More :

  • पर्यावरण का महत्व
  • वृक्षारोपण का महत्व
  • पेड़ों का महत्व

संक्षेप में

कृषि का महत्व पर निबंध आपके लिए कितना उपयोगी था कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं. यदि आपको लगता है कि इस निबंध में और अधिक सुधार किया जा सकता है तो अपना सुझाव हमें जरूर दें

यह पोस्ट कितनी उपयोगी थी ?

Average rating / 5. Vote count:

अब तक कोई वोट नहीं, इस पोस्ट को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें

MDS Thanks 😃

पोस्ट अच्छी लगी तो सोशल मीडिया पर हमें फॉलो करें

हमें खेद है कि यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी नहीं थी !

हमें बताएं कि हम इस पोस्ट को कैसे बेहतर बना सकते हैं ?

ShareSendTweetSharePin

Related Posts

विश्व कैंसर दिवस पर निबंध

विश्व कैंसर दिवस पर निबंध हिंदी में

परीक्षा पर निबंध

परीक्षा पर निबंध हिंदी में

स्वच्छता का महत्व

स्वच्छता का महत्व पर निबंध हिंदी में

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

छत्रपती शिवाजी महाराज जबरदस्त मराठी शायरी

छत्रपती शिवाजी महाराज जबरदस्त मराठी शायरी

विश्व कैंसर दिवस पर निबंध

विश्व कैंसर दिवस पर निबंध हिंदी में

परीक्षा पर निबंध

परीक्षा पर निबंध हिंदी में

स्वच्छता का महत्व

स्वच्छता का महत्व पर निबंध हिंदी में

ग्रंथ हमारे गुरु पर निबंध

ग्रंथ हमारे गुरु पर हिंदी निबंध

Essay on Climate Change in Hindi

जलवायु परिवर्तन पर निबंध हिंदी में

  • About us
  • Contact Us
  • Home
  • Privacy Policy

✨ My Digital Support ✨

© 2023 ⭑MDS Authority⭑ All rights reserved.
No Result
View All Result
  • HOME
  • Computer
  • Educational
  • Hindi Essay
  • Health care
  • Internet
  • Speech

© 2019-2022 MDS BLOG - SAJWAN COMPANY About MDS All rights reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In