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लैंगिक भेदभाव पर निबंध

Sachin Sajwan by Sachin Sajwan
in Hindi Essay

दोस्तों नमस्कार क्या आप लैंगिक भेदभाव पर निबंध – Gender discrimination Essay in Hindi जानना चाहते हैं तो यह पोस्ट एकदम सही है आपके लिए

इस पोस्ट के माध्यम से आज लिंग भेदभाव पर निबंध यानि जिसे की लिंग असमानता भी कहा जाता है पर निबंध हम जानेंगे. तो आइए जानते हैं

पाठ्यक्रम show
लैंगिक भेदभाव पर निबंध – Gender discrimination Essay in Hindi
प्रस्तावना
लैंगिक भेदभाव का अर्थ
लैंगिक भेदभाव के कारण
लैंगिक भेदभाव की समाप्ति के उपाय
उपसंहार

लैंगिक भेदभाव पर निबंध – Gender discrimination Essay in Hindi

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“लड़का-लड़की एक समान
दोनों को दो पूरा सम्मान”

प्रस्तावना

हमारे देश भारत में लैंगिक भेदभाव का मुद्दा एक सामाजिक मुद्दा है. लैंगिक भेदभाव समाज में किसी भी व्यक्ति के साथ उसकी लैंगिक पहचान के आधार पर भेदभाव करने को संदर्भित करता है

भारत में पितृप्रधान समाज की व्यवस्था देखने को मिलती है. फलस्वरूप महिलाएं लैंगिक भेदभाव की अधिक शिकार हैं. महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा निम्न समझा जाता है

लैंगिक भेदभाव का अर्थ

लैंगिक भेदभाव का अर्थ लैंगिक आधार पर महिलाओं के साथ भेदभाव करना है. जहां स्त्रियों को पुरुषों के समान ना तो अवसर मिलता है और न ही समान व्यवहार

स्त्रियों को एक कमजोर वर्ग के रूप में देखा जाता है और उनका शोषण और अपमान किया जाता है. महिलाओं के साथ यह भेदभाव सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, खेल, मनोरंजन आदि प्रत्येक क्षेत्र में ही किया जाता है

लैंगिक भेदभाव के कारण

— संकीर्ण विचारधारा —

लड़के और लड़की में भेद का प्रमुख कारण समाज के लोगों की संकीर्ण विचारधारा है. लोग लड़के को बुढ़ापे का सहारा, वंश चलाने वाला और घर खर्च चलाने वाला समझते हैं जबकि लड़की के मामले में ऐसा नहीं समझा जाता

बेटी के पढ़ाने लिखाने में पैसा खर्च करना लोग पैसे की बर्बादी समझते हैं. हालाँकि वर्तमान में बालिकाओं ने उस संकीर्ण सोच और मिथकों को तोड़ने का कार्य किया है फिर भी लड़कियों का महत्व लड़कों की अपेक्षा कम ही आंका जाता है जिससे लिंग भेदभाव में वृद्धि होती है

— प्राचीन मान्यताएं —

लैंगिक भेदभाव का एक प्रमुख कारण भारतीय मान्यताएं एवं परंपराएं भी हैं. भारत में श्राद्ध और पिण्ड दान का अधिकार पुत्रों को ही प्राप्त है

अथर्ववेद के अनुसार स्त्री को बचपन में पिता के अधीन, युवावस्था में पति के अधीन तथा वृद्ध होने पर पुत्र के अधीन रहना चाहिए, इस प्रकार स्त्रियों का अस्तित्व ना के बराबर ही रह जाता है जिससे लैंगिक भेदभाव और अधिक प्रबल हो जाता है

— जागरूकता का अभाव —

समाज में लैंगिक मुद्दों के प्रति जागरूकता का अभाव है. फलस्वरूप लड़के और लड़कियों के पालन-पोषण, शिक्षा, करियर आदि विभिन्न स्तरों पर भेदभाव किया जाता है

भारत में लड़कियां रक्ताल्पता और कुपोषण की अधिक शिकार होती हैं. बहुत सी लड़कियां पढ़ाई में होशियार होने के बावजूद उच्च शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाती हैं. किसी भी क्षेत्र में नौकरी करने वालों में लड़कियों की संख्या लड़कों की अपेक्षा बेहद कम होती है

— अशिक्षा —

लैंगिक भेद में अशिक्षा की भूमिका भी कम नहीं है. अशिक्षित व्यक्ति परिवारों तथा समाज में चली आ रही पुरातन सोच और ख्यालों को ही मानते रहते हैं तथा बिना सोचे समझे उनका पालन करते हैं

इसी कारण लड़के का महत्व लड़की की अपेक्षा अधिक मानते हैं. जबकि शिक्षित व्यक्ति अपने जीवन मे एक स्त्री का अस्तित्व और महत्वता आसानी से अनुभव कर सकता है

लैंगिक भेदभाव की समाप्ति के उपाय

लैंगिक भेदभाव में कमी लाने हेतु महिलाओं को सशक्त बनाना अति आवश्यक है क्योंकि जब महिलाएं सशक्त बनेगी तब वह अपने अधिकारों के प्रति अधिक जागरूक होंगी व अपने प्रति होने वाले अन्याय का दमन कर सकेंगी

  • महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सामाजिक और वैधानिक दोनों स्तर पर प्रयास किए जाने चाहिए
  • जागरूकता कार्यक्रमों की मदद से धीरे-धीरे सामाजिक धारणाएं को बदलने की कोशिश की जानी चाहिए
  • समाज के अधिक प्रभावी पुरुष वर्ग को महिलाओं के प्रति अपनी सोच में बदलाव लाकर उनका सम्मान करना चाहिए इससे स्त्रियों को बहुत सी सामाजिक बंदिशों से स्वतः ही छुटकारा मिल जाएगा
  • सरकार द्वारा स्त्रियों से जुड़ी हुई सामाजिक कुप्रथाओं व बुराइयों जैसे कि दहेज प्रथा, बाल विवाह प्रथा, शारीरिक व मानसिक शोषण आदि के विरुद्ध कड़े से कड़े कानून बनाकर सख्त दंड का प्रावधान रखा जाना चाहिए जिससे इनसे जुड़े अपराधों में कमी आए फलस्वरूप समाज द्वारा लड़कियों के साथ होने वाले भेदभाव में कमी आए
  • महिलाओं के विरुद्ध घरेलू हिंसा की रोकथाम के लिए भी सख्त से सख्त दंडात्मक कानून बनाए जाने चाहिए
  • महिलाओं की मदद हेतु विभिन्न राष्ट्रीय व स्थानीय महिला आयोगों द्वारा तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित की जानी चाहिए
  • सरकारी व प्राइवेट विभागों में महिलाओं की भी बराबर भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए
  • समान कार्य के लिए समान मजदूरी का कानून जमीनी स्तर पर कार्यान्वित होना चाहिए

उपसंहार

भारत में लैंगिक भेदभाव हर क्षेत्र में व्याप्त है. हालांकि इसको मिटाने के लिए सरकार तथा विभिन्न समाज कल्याण विभागों द्वारा काफी कुछ किया गया है, जिससे काफी बदलाव आया है

किंतु फिर भी काफी कुछ अभी भी किए जाने की जरूरत है. खासकर के समान वेतन, मातृत्व, उद्यमिता, संपत्ति जैसे मामलों में लैंगिक भेदभाव को खत्म करने के लिए आगे कड़े प्रयत्न करने होंगे

हमें समझना होगा कि इंसान तो आखिर इंसान होता है चाहे किसी भी लिंग का हो, अगर सभी को जीवन में आगे बढ़ने का समान अवसर मिलेगा तो इससे परिवार, समाज और देश का विकास होगा

“लैंगिक असमानता से पीड़ित समाज
देश को बदलाव की जरूरत आज “

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संक्षेप में

दोस्तों उम्मीद है आपको लैंगिक भेदभाव पर निबंध – Gender discrimination Essay in Hindi अच्छा लगा होगा. अगर आपके यह निबंध अच्छा लगा तो अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कीजिएगा

यदि आप निबंध को पढ़ने में रुचि रखते हैं तो आप MDS BLOG के साथ जुड़ सकते हैं जहां कि आप को विभिन्न प्रकार के निबंध हर रोज जानने को मिलते हैं. यह पोस्ट पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!

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