मानव अधिकार पर निबंध : आज हमें कहीं भी घूमने की स्वतंत्रता है, अपने विचार रखने की स्वतंत्रता है और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की स्वतंत्रता है. ये सभी स्वतंत्रताए हमें मानव अधिकारों के द्वारा ही मिली है जोकि हमारे जीवन को मूल्यवान बनाती है
क्या आप मानव अधिकार पर निबंध लिखना चाहते हैं तो आप एकदम सही जगह पर आए हैं. आज मैं आपको बताऊंगा कि मानव अधिकार पर निबंध कैसे आप लिख सकते हैं. तो आइए जानते हैं

प्रस्तावना
प्रकृति ने कुछ अधिकार मनुष्यों को जन्म से ही प्रदान किए है परंतु मानव ने जब से राष्ट्रों का निर्माण करके अपनी-अपनी शासन व्यवस्था स्थापित की है
तब से अनेक बार अपने ही शासकों द्वारा और बहुधा अन्य किसी राष्ट्र के दूसरे राष्ट्र पर अधिकार कर लेने पर, प्रकृति द्वारा मनुष्यों को प्रदत अधिकारों का हनन होता रहा है
इसी से मानव अधिकार के प्रति एक चिंतन पैदा हुआ. प्रत्येक मानव किसी ना किसी राष्ट्र का नागरिक है तथा नागरिक होने के नाते उस राष्ट्र का अंग भी है
प्रत्येक राष्ट्र की ओर से नागरिक को सुखह, शांति और व्यवस्था के लिए बहुत से अधिकार दिए जाते हैं जिन्हें मानव अधिकार के रूप में जाना जाता है
मानव अधिकार की आवश्यकता सर्वप्रथम व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए होती है और जहां कहीं भी मानव अधिकारों को नकारा गया है वहीं अन्याय, क्रूरता तथा अत्याचार अधिक देखा गया है इसमें मानवता बुरी तरह से अपमानित हुई है
जनमानस की दिशा निरंतर बिगड़ती जा रही है इसमें व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का विकास नहीं कर सकता और ना ही सुखी जीवन व्यतीत कर सकता है. एक तानाशाही के अंतर्गत मूल मानव अधिकार तथा स्वतंत्रता समाप्त हो जाती है
मानव अधिकार का उद्देश्य धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा मानवीय रूप से अंतरराष्ट्रीय समस्या के समाधान तथा जाति, लिंग, भाषा या धर्म में सब प्रकार के भेदभाव दूर करना और स्वतंत्रता का प्रोत्साहन करना है
इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक सामाजिक परिषद ने सन 1946 में मानव अधिकार आयोग की स्थापना की थी. विश्व में सभी जगह इस दृष्टि से सभ्यता दिखाई देती है कि संपूर्ण मानवता के लिए अधिकार सुलभ होने चाहिए
लेकिन व्यवहार में स्थिति संतोषजनक नहीं है. आज भी विश्व के कई देशों में मानव अधिकारों का हनन किया जा रहा है और विभिन्न कुप्रथाओं का प्रोत्साहन किया जा रहा है
वैश्विक स्तर पर स्वतंत्रता, शिक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता, रोजगार, सुरक्षा, न्याय, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार मानव अधिकारों का मुख्य स्वरूप है. इसके निम्नलिखित प्रकार है
1. स्वतंत्रता का अधिकार
संसार का कोई भी प्राणी किसी का गुलाम नहीं बनना चाहता, कम से कम मनुष्य तो किसी भी कीमत पर किसी की गुलामी नहीं करना चाहता वह सदैव स्वतंत्र रहना चाहता है. स्वतंत्रता एक ऐसा अधिकार है जिसे मनुष्य अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझता है
2. शिक्षा का अधिकार
शिक्षा जीवन का अनिवार्य अंग बन गया है. शिक्षा के अभाव में मानव जाति का विकास असंभव है. शिक्षा प्राप्ति का अधिकार मानव के लिए अनिवार्य है
शिक्षा से जहां मानव की जातिगत उन्नति होती है वहीं राष्ट्र का विकास भी होता है. शिक्षा के द्वारा ही राष्ट्र में जीवन जागरण की ज्योति उत्पन्न होती है
हर राष्ट्र को चाहिए कि शिक्षा के अधिकार में किसी भी प्रकार का भेदभाव ना किया जाए. सब नागरिकों को समान रूप से शिक्षा प्राप्ति के अवसर मिलने चाहिए
3. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार भी मानव जीवन के लिए अनिवार्य है क्योंकि धर्म मानव जीवन का एक अपरिहार्य विषय है. धर्म के द्वारा ही मानव के चरित्र का विकास होता है
धर्म मानव को जीवन में ज्ञान व प्रकाश की ज्योति प्रदान करता है. यही कारण है कि धर्म हर मानव के जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण महत्व रखता है
4. रोजगार का अधिकार
रोजगार अथवा काम करने का अधिकार भी हर मानव को प्राप्त होना चाहिए क्योंकि किसी भी राष्ट्र का विकास या व्यक्ति का विकास धन के अभाव में नहीं हो सकता
अतः हर मानव को धनोपार्जन का अधिकार होना चाहिए. हर राष्ट्र के नागरिक को यह अधिकार होना चाहिए कि वह अपनी इच्छा एवं योग्यता अनुसार कोई भी काम कर सके
5. सुरक्षा का अधिकार
मानव अधिकारों में जीवन का एक बड़ा अधिकार अपने जीवन तथा संपत्ति की सुरक्षा का भी होता है. अतः जनरक्षा का अधिकार भी मानव को सुलभ होना चाहिए. सरकार को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि जनरक्षा के साधनों का सब नागरिकों को लाभ पहुंच रहा है या नहीं
6. न्याय का अधिकार
मानव अधिकारों का अर्थ मनुष्य को जीवन के प्रति सकारात्मक बनाना है. अत: जीवन में न्याय मिलना भी अति अनिवार्य है. न्याय में किसी के साथ पक्षपात नहीं होना चाहिए
न्याय के क्षेत्र में पक्षपात करने वाले को राष्ट्र या सरकार की ओर से दंड मिलना चाहिए और न्याय शीघ्र तथा सस्ता मिलना चाहिए
7. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार
समय-समय पर मानव के मन में विभिन्न प्रकार के विचार उत्पन्न होते हैं. यदि मानव को उन विचारों को अभिव्यक्त करने की स्वतंत्र नहीं होगी तो उसका जीवन पशु जैसा हो जाएगा इसीलिए मानव को विचारों को प्रकट करने की स्वतंत्र अवश्य मिलनी चाहिए
संपूर्ण विश्व में नागरिकों की स्वतंत्रता, सुरक्षा और समस्त राष्ट्र के विकास के लिए मानव अधिकार विशेष महत्व रखते हैं
यदि किसी राष्ट्र में मानव अधिकारों को मान्यता नहीं दी जाती तो निश्चित ही उस राष्ट्र का विनाश संभव है
मानव अधिकार न होने से राष्ट्र में अत्याचार, भ्रष्टाचार, शोषण आदि समस्याओं में बढ़ोतरी होगी और संपूर्ण राष्ट्र में अराजकता फैल जाएगी जिसका परिणाम केवल विनाश होगा
उपसंहार
हमारा देश भारत हमेशा से मानव अधिकारों के प्रति सजग रहा है और वह विश्व मंच पर मानव अधिकारों का समर्थन करता रहा है
मानव अधिकारों का उल्लंघन विश्व के समक्ष एक गंभीर समस्या बनी हुई है. यदि मानव अधिकारों के उल्लंघन को नहीं रोका गया तो निश्चित ही यह मानवता के विनाश का एक कारण बनेगा
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FAQ’s – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
मानव अधिकार दिवस प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को मनाया जाता है
हमारे मौलिक अधिकार कौन-कौन से हैं ?
भारतीय संविधान में 6 मौलिक अधिकारों का वर्णन मिलता है जोकि निम्नलिखित है :
1. समानता का अधिकार
2. स्वतंत्रता का अधिकार
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
5. सांस्कृतिक तथा शिक्षा संबंधी अधिकार
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार
संक्षेप में
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