Moral Stories in Hindi : बच्चों की सभा में यदि कहानियों का जिक्र ना हो तो मजा नहीं आता क्योंकि बच्चों को कहानियां बहुत पसंद होती है और कहानियों के माध्यम से ही उनके जीवन में बदलाव लाया जा सकता है
कहानी ही एक ऐसा माध्यम है जोकि उनके जीवन के मार्गदर्शन के लिए बहुत उपयोगी है और विभिन्न प्रकार की कहानियों से बच्चों को विभिन्न प्रकार की प्रेरणा मिलती है जिससे कि वे जीवन में एक बेहतर इंसान बनने की ओर अग्रसर होते हैं
सच बोलू तो Moral Stories in Hindi काफी लोकप्रिय है जोकि बच्चों को एक बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करती है. दोस्त श्रवण कुमार की कहानी भी आप पढ़ सकते हैं
हर कहानी का कुछ ना कुछ उद्देश्य होता है, लक्ष्य होता है और कुछ ना कुछ प्रेरणा जरूर मिलती है जीवन में एक सफल और अच्छा इंसान बनने के लिए, इसलिए हिंदी कहानियां हर किसी को पसंद है
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका MDS BLOG में और आज मैं आपको Hindi Moral Stories बताऊंगा. तो आइए मजा लेते हैं हिंदी कहानियों का
Top 10 Moral Stories in Hindi

बच्चों को बेहतरीन कहानियों से रूबरू कराने के लिए आज मैंने “Inspirational Stories in Hindi” लिखी हुई है. वैसे तो यह कहानियां सभी आयु वर्ग के लिए उपयोगी है खासकर यह बच्चों के लिए ही प्रस्तुत की गई है
आपसे उम्मीद रहेगी कि Hindi Moral Stories को पढ़कर आपको बहुत मजा आएगा और आप इन कहानियों से अच्छी प्रेरणा लेकर अपने जीवन में उनका अनुसरण करेंगे
1. सच्ची मित्रता : Moral Story in Hindi

एक जंगल था उसमें एक नदी बहती थी. उस नदी के किनारे पीपल का एक पेड़ था. उस पीपल के पेड़ पर एक तोता रहता था
एक दिन तोते ने देखा कि नदी में एक चींटी बह रही है यह देखकर तोते को उस पर दया आ गई. उसने पेड़ से एक पत्ता तोड़कर नदी में डाल दिया
पत्ता बहता-बहता चींटी के पास पहुँच गया. चींटी उस पत्ते पर चढ़ गई और किनारे आ गई
चींटी ने तोते को धन्यवाद दिया और कहा “तोते भाई, तुमने मेरी रक्षा की है, मैं भी किसी दिन तुम्हारे काम आऊँगी”
एक दिन की बात है. तोता डाल पर बैठा आराम कर रहा था. चींटी पेड़ के नीचे घूम रही थी उसी समय एक शिकारी आया उसके हाथ में धनुष-बाण था. वह तोते को मारना चाहता था
तोते को निशाना बनाकर उसने अपने धनुष पर बाण चढ़ाया. चींटी ने उसे देख लिया उसने शिकारी के पैर पर इतनी जोर से काटा कि उसका निशाना चूक गया और इतने में तोता उड़ गया
इस तरह चींटी ने अपने मित्र तोते की रक्षा की, प्यारे बच्चो! आवश्यकता पड़ने पर हमें अपने मित्रों की सहायता करनी चाहिए
⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇
1. हमें असहायों की सहायता करनी चाहिए
2. हमें आवश्यकता पड़ने पर अपने मित्रों की सहायता करनी चाहिए
3. आवश्यकता के समय मित्र ही काम आते हैं
2. बड़ों का कहना मानो : Hindi Moral Story For Kids
बहुत समय पहले की बात है. एक जंगल में तोतों का एक झुंड रहता था सभी तोते अपने मुखिया की बात मानते थे. एक दिन मुखिया तोते ने अपने सभी छोटे तोतों को समझाया तुम सभी किसी भी बगीचे में जाना, परंतु अमरूद के बगीचे में मत जाना
सभी तोतों को मुखिया तोते की बात समझ में आ गई, परंतु एक तोता मुखिया की बात नहीं समझा वह बोला – मुखिया जी, हम अमरूद के बगीचे में क्यों नहीं जा सकते?
मुखिया तोते ने जवाब दिया – उस बगीचे में एक शिकारी है, तुम उसके जाल में फँस जाओगे. तोते ने कहा – पर उस बगीचे में बहुत मीठे अमरूद होते हैं, ऐसे अमरूद किसी बगीचे में नहीं मिलेंगे
मुखिया तोते ने कहा – मीठे फल धरती पर गिरे होते हैं, शिकारी यह बात जानता है जैसे ही तुम मीठे फल खाने के लिए उस बगीचे में जाओगे, शिकारी तुम्हें अपने फैलाए हुए जाल में फँसा लेगा
परंतु उस तोते ने मुखिया तोते की बात नहीं मानी. वह मीठे अमरूदों का स्वाद चखने की ठान चुका था. अतः एक दिन वह अमरूद के बगीचे की तरफ उड़ गया
उसने वहाँ पहुँचकर जैसे ही अमरूद पर अपनी चोंच गड़ाई तभी एक जाल उसके ऊपर गिर पड़ा और वह फँस गया. शिकारी उस तोते को पिंजरे में बंद करके अपने घर ले गया
यदि वह तोता मुखिया तोते की बात मान लेता तो जाल में नहीं फँसता और न ही पिंजरे में बंद होता
इस प्रकार मुखिया तोते की बात न मानकर वह तोता कैदी बन गया, प्यारे बच्चो! हमें हमेशा अपने से बड़ों की आज्ञा का पालन करना चाहिए क्योंकि बड़े ही हमें सही रास्ता दिखाते हैं
⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇
1. हमें अपने से बड़ों की आज्ञा का पालन करना चाहिए
2. बड़ों का कहना मानने वाले जीवन में सदैव सुखी रहते हैं
3. बड़े ही हमें सही रास्ता दिखाते हैं
3. शरारत का फल : Short Moral Story in Hindi

एक बंदर बहुत शरारती था. गाँव के सभी लोग उसे ‘नटखट’ नाम से पुकारते थे. वह कभी किसी के कपड़े फाड़ता, कभी किसी के बर्तन उठाकर ले जाता, तो कभी किसी के फल खा जाता. इस प्रकार गाँव के सभी लोग उससे बहुत परेशान थे
एक बार आँधी में एक नीम का पेड़ गिर गया. पेड़ के मालिक ने उसे बढ़ई को बेच दिया. एक दिन बढ़ई पेड़ को आरी से चीर रहा था. पेड़ को चीरते-चीरते दोपहर हो गई और वह थक भी गया
बढ़ई ने पेड़ के चीरे हुए भाग में एक लकड़ी का टुकड़ा फँसाया और खाना खाने चला गया. तभी उधर नटखट आ गया वह पेड़ के चिरे हुए भाग पर बैठकर दोनों हाथों से लकड़ी के फँसे हुए टुकड़े को हिलाने लगा
लकड़ी का टुकड़ा बार-बार हिलाने पर बाहर निकल गया, किंतु पेड़ के चिरे हुए भाग में नटखट की पूँछ फँस गई. पहले तो नटखट ने अपनी पूँछ को निकालने का बहुत प्रयत्न किया परंतु जब पूँछ नहीं निकली तो उसने फुदकना और चिल्लाना शुरू कर दिया
नटखट का शोर सुनकर गाँव के लोग उसके पास इकट्ठा हो गए. गाँव के लोगों ने कहा इसकी पूँछ कोई नहीं निकालेगा, इसको अपनी शरारत की सजा मिल गई
नटखट अपनी पूँछ हिला-हिलाकर बहुत परेशान हो गया. अंत में वह थककर चूर हो गया और सभी से हाथ जोड़कर माफी माँगने लगा
इतनी देर में बढ़ई खाना खाकर वापस आ गया और उसने बंदर की बुरी हालत देखी. माफी माँगते हुए बंदर पर बढ़ई को दया आ गई उसने लकड़ी के टुकड़े को पेड़ के चिरे भाग में चोट मारकर ज्यों ही फँसाया, बंदर की पूँछ बाहर निकल गई
पूँछ निकलते ही नटखट तेजी से भागा और फिर उस गाँव में कभी वापस नहीं आया. अब गाँव के सभी लोग आराम से रहने लगे, प्यारे बच्चो! हमें कभी शरारत नहीं करनी चाहिए अन्यथा नटखट बंदर की तरह हमें भी शरारत की सजा मिल सकती है
⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇
1. शरारत करना बुरी आदत है
2. आपकी शरारत से दूसरों का नुकसान हो सकता है
3. अपनी शरारत से आप स्वयं भी संकट मे फँस सकते हैं
4. बुरी संगति : Moral Story for Kids in Hindi
राजीव जी का एक ही पुत्र था उसका नाम ‘शेखर’ था. राजीव जी शेखर को बहुत प्यार करते थे. शेखर की माँ भी अपने लाडले पुत्र को बहुत प्यार करती थी
वह उसे मक्खन और मलाई खिलाकर प्रसन्न रखती थी. शेखर सदा अपने माता-पिता का आदर करता था वह समय पर स्कूल जाता तथा खूब मन लगाकर पढ़ता था
दुर्भाग्यवश शेखर की मित्रता कुछ बुरे लड़कों से हो गई. वह बुरे लड़कों के साथ बाजार में घूमने लगा, वह जुआ भी खेलने लगा. इस वजह से शेखर स्कूल से अनुपस्थित रहने लगा
धीरे-धीरे वह अपने याद किए हुए पाठों को भूल गया जिससे अध्यापकों से उसकी पिटाई होती और परिणाम यह हुआ कि जब स्कूल में परीक्षा हुई तो वह उत्तीर्ण भी न हो सका
यह सब देखकर उसके पिताजी बहुत चिंतित रहने लगे. स्कूल में उन्होंने शेखर को बहुत समझाया, परंतु उस पर कुछ असर नहीं हुआ. तब राजीव जी ने उसे समझाने का एक उपाय सोचा
एक दिन राजीव जी ने शेखर को पाँच रुपए का एक नोट दिया और कहा – बेटा, बाजार से पाँच रुपए के ताजे और बढ़िया सेब ले आओ. शेखर बाजार जाकर पाँच रुपए के सेब खरीद लाया. सभी सेब ताजा और बढ़िया थे
तब राजीव जी ने शेखर को पचास पैसे और देकर कहा – जाओ, बाजार से एक सड़ा-गला सेब और खरीद लाओ. शेखर सड़ा-गला सेब ले आया राजीव जी ने शेखर से कहा – सड़े हुए सेब को सभी अच्छे सेबों के साथ रख दो
शेखर ने पिताजी की आज्ञानुसार वैसा ही किया. दूसरे दिन राजीव जी ने शेखर से वे सेब मँगवाए और कहा – इन सेबों को खाओ. शेखर सेबों को देखकर घबरा गया सभी सेब सड़ गए थे
उसकी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था कि ऐसा कैसे हो गया. तब राजीव जी ने शेखर से कहा – बेटा, तुमने देखा कि बुरी संगति से कितनी हानि होती है. एक सड़े हुए सेब के कारण ताजे सेब भी सड़ गए
शेखर को अपने पिताजी की बात समझ में आ गई और उसी दिन से शेखर ने बुरे लड़कों की संगति छोड़ दी. शेखर फिर से एक अच्छा बालक बन गया
प्यारे बच्चो! इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बुरी संगति से अकेला रहना भला है क्योंकि बुरी संगति हमारे चरित्र को विकृत कर देती है
⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇
1. हमें बुरे लोगों के बीच नहीं रहना चाहिए
2. बुरी संगति से अकेला रहना भला होता है
3. बुरी संगति हमारे चरित्र को विकृत कर देती है
5. चालाक लोमड़ी : Inspirational Story in Hindi

किसी जंगल में एक लोमड़ी रहती थी. वह शिकार करके अपना पेट भरती थी. एक दिन लोमड़ी को जंगल में शिकार के लिए कुछ नहीं मिला वह दिन भर इधर-उधर खाने की खोज में भटकती रही
भटकते-भटकते वह एक पेड़ के पास पहुँची. उसने देखा कि पेड़ पर एक कौवा बैठा है और उसकी चोंच में मांस का टुकड़ा है
लोमड़ी सुबह से भूखी थी, इसलिए मांस का टुकड़ा देखकर उसकी भूख और बढ़ गई. वह उस मांस के टुकड़े को प्राप्त करने का उपाय सोचने लगी. अपनी भूख शांत करने के लिए उसने अपने दिमाग में एक योजना बनाई
चालाक लोमड़ी कौवे की प्रशंसा करती हुई बोली – कालू राजा, आज तुम बहुत सुंदर दिख रहे हो, तुम्हारे पंख भी बहुत चमकीले लग रहे हैं. कौवा अपनी प्रशंसा सुनकर पेड़ की डाली पर फुदकने लगा
लोमड़ी कौवे से फिर बोली – कालू राजा, तुम पेड़ पर फुदकते ही रहोगे या अपनी मीठी और सुरीली आवाज में गाना भी सुनाओगे. मैंने सुना है कि तुम्हारी आवाज कोयल की आवाज से भी सुरीली है
पेड़ पर बैठा कौवा अब तक अपनी बहुत प्रशंसा सुन चुका था. अपनी प्रशंसा सुनकर उससे अब रहा न गया उसने बिना सोचे-समझे गाना शुरू कर दिया. जैसे ही उसने गाना गाने के लिए मुँह खोला, मांस का टुकड़ा उसकी चोंच से निकलकर नीचे गिर पड़ा
लोमड़ी तो इसी अवसर की प्रतीक्षा कर रही थी उसने झट से वह टुकड़ा उठा लिया और वहाँ से भाग गई. कौवा लोमड़ी को देखता रह गया वह लोमड़ी की चालाकी समझ चुका था और अपनी मूर्खता पर पछता रहा था
किसी ने सच ही कहा है- कोई भी काम करने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार कर लेना चाहिए. जो व्यक्ति बिना सोचे-समझे काम करता है उसे बाद में पश्चाताप करना पड़ता है
⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇
1. हमें झूठी प्रशंसा सुनकर खुश नहीं होना चाहिए
2. हमें हर काम सोच-समझकर करना चाहिए
3. हमें लालच नहीं करना चाहिए
6. परिश्रम का फल : Moral Story in Hindi
एक गाँव में एक धनी किसान रहता था उसके पास बहुत जमीन थी. उसके यहाँ बहुत-से आदमी काम करते थे. उस किसान के दो लड़के थे जब दोनों लड़के बड़े हो गए, तो किसान ने उन्हें आधी-आधी जमीन बाँट कर दे दी. काम करने के लिए आदमी भी बराबर-बराबर संख्या में बाँट दिए
बड़ा लड़का आलसी था. वह कभी भी खेतों को देखने तक नहीं जाता था. वह अपने आदमियों (नौकरों) से ही खेतों पर काम कराया करता था. उसके आदमी मनमाना काम करते थे
वे समय पर न तो हल चलाते और न ही बीज बोते थे. उन आदमियों ने कभी भी खेती पर ध्यान नहीं दिया. इस प्रकार धीरे-धीरे उसके खेतों की उपज घट कर बहुत कम हो गई और किसान का बड़ा लड़का निर्धन हो गया
किसान का छोटा लड़का बहुत परिश्रमी था. वह सुबह उठकर रोज अपने खेतों पर जाता और अपने आदमियों से कठिन परिश्रम कराता, छोटा लड़का खेतों पर स्वयं भी काम करता था
उसे देखकर उसके आदमी भी खूब परिश्रम करते थे. उसके खेतों में समय पर हल चलाया जाता, समय पर बीज बोए जाते और समय पर सिंचाई की जाती थी. इससे उसकी उपज दिनों-दिन बढ़ती गई. धीरे-धीरे कुछ ही वर्षों में वह बहुत धनी हो गया
एक दिन किसान ने अपने दोनों बेटों को बुलाया. किसान ने बड़े लड़के से पूछा – बेटा, क्या हाल-चाल हैं? उसने कहा पिताजी मैं निर्धन हो गया हूँ, मेरा भाग्य खराब है
फिर किसान ने अपने छोटे लड़के का हाल-चाल पूछा छोटा लड़का मुस्कराकर बोला – पिताजी, आपकी कृपा है दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की हो रही है बहुत आनंद आ रहा है
किसान ने दोनों लड़कों से कहा – देखो, तुम दोनों को मैंने बराबर-बराबर जमीन दी. काम करने के लिए आदमी भी बराबर-बराबर दिए, फिर भी तुम दोनों में से एक निर्धन हो गया और एक धनी. यह दोष तुम्हारे भाग्य का नहीं, परिश्रम का है
पिता जी की बात सुनकर बड़े लड़के को अपनी गलती का अहसास हो गया. उस दिन से वह भी रोज सुबह उठकर खेतों पर जाने लगा और ठीक ढंग से काम करने लगा
उसके खेतों की उपज भी बढ़ने लगी. इस प्रकार वह भी परिश्रम करके अपने छोटे भाई की तरह धनवान बन गया और आनंदपूर्वक जीवन व्यतीत करने लगा
प्यारे बच्चो! हमें भी भाग्य के भरोसे नहीं बैठना चाहिए और परिश्रम पर विश्वास करना चाहिए
⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇
1. कोई भी काम भाग्य के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए
2. परिश्रम पर विश्वास करना चाहिए
3. परिश्रम करने वाला ही आनंदपूर्वक रहता है
7. लालच का फल : Short Story for Kids in Hindi

किसी जंगल में तालाब के किनारे एक शेर रहता था. अब वह बूढ़ा हो गया था बुढ़ापे के कारण वह कमजोर भी हो गया था. उसके दाँत गिर गए थे उसके नाखून व पंजे भी कमजोर हो गए थे
वह न तो दौड़ सकता था और न ही अपने लिए शिकार करने में समर्थ था लेकिन उसके पास सोने का एक कंगन था
तालाब के पास से जब भी कोई राहगीर गुजरता, शेर उससे कहता – अरे भाई, तुम मेरे पास आओ मेरे पास सोने का एक कंगन है वह कंगन मैं तुम्हें दान करना चाहता हूँ. बुढ़ापे में मैं अब धर्मात्मा बन गया हूँ मेरा विश्वास करो
लेकिन किसी भी राहगीर ने शेर की बात पर विश्वास नहीं किया और सभी अपने रास्ते चलते बने
एक दिन एक व्यक्ति तालाब के पास से गुजर रहा था. उस व्यक्ति को देखते ही शेर ने फिर से कहा – भैया, जल्दी से इस तालाब में नहाकर मेरे पास आओ. मैं तुम्हें सोने का एक कंगन दान में दूँगा. मेरा समय अब समाप्त हो गया है और मैं मरने वाला हूँ. मरने से पहले मैं तुम्हें वह कंगन दान करना चाहता हूँ
वह व्यक्ति लालची था इसलिए शेर की बातों में आ गया. जैसे ही वह तालाब में नहाने के लिए अंदर उतरा, वैसे ही कीचड़ में फँस गया. उस व्यक्ति को कीचड़ में फँसा देखकर शेर मन ही मन बहुत खुश हुआ
शेर ने उस व्यक्ति से कहा – तुम बिल्कुल चिंता मत करो, मैं अभी आकर तुम्हें कीचड़ से निकाल दूँगा. यह कहकर शेर धीरे-धीरे उस व्यक्ति के पास पहुँच गया और उसे मारकर खा गया
प्यारे बच्चो! हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए क्योंकि लालच से आदमी का पतन होता है
⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇
1. लालच बुरी बला है हमें इससे दूर रहना चाहिए
2. लालच के कारण हम कभी भी संकट में पड़ सकते हैं
3. लोभ और लालच करने से मनुष्य का पतन होता है
8. चतुर खरगोश : Short Story in Hindi
रामपुर गाँव के पास एक बहुत बड़ा और घना जंगल था. उस जंगल में एक शेर रहता था वह बहुत शक्तिशाली था. वह हर रोज बहुत-से जानवरों को मारता और खा जाता था. जंगल के सभी जानवर उस शेर से परेशान थे. सभी जानवर जंगल में डरे-डरे रहते थे
एक दिन जंगल के सभी जानवर मिलकर शेर के पास गए और कहने लगे – महाराज, आप हमें मारना बंद कर दें हम प्रतिदिन एक जानवर आपके भोजन के लिए भेज दिया करेंगे
शेर ने कुछ देर तक सोच-विचार कर जानवरों की बात मान ली. शेर बहुत खुश था क्योंकि अब प्रतिदिन बिना परिश्रम के ही एक जानवर उसके भोजन के लिए आने लगा था
एक दिन खरगोश की बारी आई वह बहुत चतुर था. चलते-चलते रास्ते में खरगोश ने एक कुआँ देखा उसने कुएँ में झाँका तो उसे पानी में अपनी परछाई दिखाई दी, तभी उसके दिमाग में अपने साथियों के साथ-साथ स्वयं अपनी रक्षा का भी उपाय आया
खरगोश जान-बूझकर शेर के पास देर से पहुँचा. उसे देखते ही शेर गरज उठा और बोला – तुम इतनी देर से क्यों आए हो? खरगोश ने नम्रता से जवाब दिया – महाराज, इसमें मेरी कोई गलती नहीं है. जब मैं आपके पास आ रहा था तब मुझे रास्ते में एक दूसरा शेर मिला और कहने लगा कि इस जंगल का राजा मैं हूँ
वह मुझे खाना चाहता था. लेकिन मैं बड़ी मुश्किल से जान बचाकर आपके पास आया हूँ. शेर गुस्से से लाल हो गया और बोला – कहाँ है वह शेर? पहले मुझे उस शेर से मिलाओ. उसे मारने के बाद ही मैं तुम्हें खाऊँगा
खरगोश शेर को उसी कुएँ के पास ले गया. जब शेर ने कुएँ में झाँका तो कुएँ में उसे अपनी परछाई दिखाई दी. परछाई को दूसरा शेर समझकर वह गुस्से से पागल हो गया
उसे पूरा विश्वास हो गया कि कुएँ में दूसरा शेर है. दूसरे शेर को मारने के लिए उसने कुएँ में छलाँग लगा दी और पानी में डूबकर मर गया
खरगोश बहुत खुश हुआ और खुशी-खुशी अपने साथियों के पास लौट आया. सभी जानवर खरगोश को जीवित देखकर हैरान हो गए. खरगोश ने सारी कहानी अपने साथियों को सुनाई
सभी जानवरों ने खरगोश की बुद्धि की प्रशंसा की और कहा – खरगोश, तुम बहुत चतुर और निडर हो. इस प्रकार उस दिन से सभी जानवर जंगल में आराम से रहने लगे
प्यारे बच्चो! हमें भी खरगोश की तरह संकट के समय बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए और शेर की तरह असहाय एवं कमजोरों को दुखी नहीं करना चाहिए
⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇
1. हमें कभी किसी पर अत्याचार नहीं करना चाहिए
2. शारीरिक बल से बुद्धिबल श्रेष्ठ है
3. समस्या के समय हमें बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए
9. ईमानदारी का फल : Small Moral Story in Hindi

किसी गाँव में एक लकड़हारा रहता था. वह प्रतिदिन जंगल में जाकर लकड़ियाँ काटता और उन्हें बाजार में ले जाकर बेच देता. लकड़ियाँ बेचने से उसे जो पैसे मिलते, उनसे वह अपने परिवार का पालन-पोषण करता था
एक दिन लकड़हारा नदी के किनारे लगे पेड़ पर चढ़कर लकड़ियाँ काट रहा था. अचानक उसके हाथ से कुल्हाड़ी फिसल गई और नदी के गहरे पानी में गिर गई
उसने कुल्हाड़ी को पानी में बहुत ढूँढ़ा परंतु कुल्हाड़ी नहीं मिली. इस कुल्हाड़ी से ही लकड़ियाँ काटकर वह अपने परिवार का पालन-पोषण करता था. अब वह क्या करेगा, यह सोचकर वह नदी के किनारे बैठकर रोने लगा
लकड़हारे की ऐसी शोकाकुल स्थिति देखकर जल देवता नदी से बाहर निकले. उन्होंने लकड़हारे से रोने का कारण पूछा
लकड़हारे ने रोते हुए कहा – महाराज, मेरी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई है. उस कुल्हाड़ी से लकड़ियाँ काटकर मैं अपने परिवार का पालन-पोषण किया करता था. अब कुल्हाड़ी के खो जाने से मैं लकड़ियाँ कैसे काटूंगा?
जल देवता को लकड़हारे पर दया आ गई. उन्होंने नदी में डुबकी लगाई और एक सोने की कुल्हाड़ी लेकर ऊपर आए. उन्होंने लकड़हारे से पूछा – क्या यही तुम्हारी कुल्हाड़ी है?
लकड़हारा बोला – महाराज, यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है. जल देवता ने जल में फिर से डुबकी लगाई और इस बार चाँदी की कुल्हाड़ी लेकर जल से बाहर आए
नहीं, यह कुल्हाड़ी भी मेरी नहीं है लकड़हारे ने उत्तर दिया. जल देवता ने एक बार फिर नदी में डुबकी लगाई. इस बार वे लोहे की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आए. अपनी कुल्हाड़ी को देखते ही लकड़हारा खुशी से उछल पड़ा और बोला – हाँ, यही मेरी कुल्हाड़ी है
जल देवता लकड़हारे की ईमानदारी पर बहुत प्रसन्न हुए. उन्होंने सोने और चाँदी की कुल्हाड़ियाँ भी उपहार के रूप में लकड़हारे को दे दीं
प्रिय बच्चो! हमें ईमानदारी तथा सच्चाई का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए. इसी से हमें सच्चा सुख प्राप्त होता है
⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇
1. ईमानदार व्यक्ति से भगवान भी प्रसन्न होते हैं
2. ईमानदारी का फल हमेशा मीठा होता है
3. ईमानदार व्यक्ति की सभी लोग प्रशंसा करते हैं
10. सोचो, समझो, फिर करो : Hindi Moral Kahani
एक गाँव में यादराम नाम का किसान रहता था उसकी पत्नी का नाम लाजो था. उनकी कोई संतान नहीं थी. अपने एकांत को दूर करने के लिए लाजो अपने पति से किसी जानवर को घर लाने के लिए कहने लगी
एक दिन यादराम बाजार गया था उसने वहाँ नेवले का एक प्यारा-सा बच्चा देखा. यादराम अपनी पत्नी को प्रसन्न करने के लिए नेवले के बच्चे को घर ले आया. नेवले के बच्चे को देखकर लाजो बहुत खुश हुई. दोनों नेवले को बहुत प्यार से पालने लगे और नेवला भी दोनों को प्यार करने लगा
कुछ समय बाद किसान के घर एक पुत्र हुआ. लाजो अपने पुत्र और नेवले का पालन-पोषण ध्यानपूर्वक करती थी. अब भी लाजो के मन में नेवले के प्रति प्यार पहले जैसा ही था
एक बार खेती के लिए कुछ औजार और बीज खरीदने के लिए यादराम को शहर जाना पड़ा. उस दिन लाजो अपने पुत्र को पालने में सुलाकर स्वयं पानी लेने कुएँ पर चली गई
अब घर पर बच्चे के पास सिर्फ पालतू नेवला ही था. नेवला प्यार-से बच्चे के पास इस तरह से चक्कर लगा रहा था, मानो वह उसकी रखवाली कर रहा हो
उसी समय कहीं से एक साँप घर में घुस आया. साँप धीरे-धीरे रेंगता हुआ बच्चे की तरफ बढ़ने लगा. साँप बच्चे तक पहुँच पाता, इससे पहले ही नेवले की नजर साँप पर पड़ गई
नेवला तुरंत साँप पर टूट पड़ा दोनों में काफी देर तक घमासान लड़ाई हुई. अंत में नेवले ने साँप के टुकड़े-टुकड़े कर दिए
उसके इस कार्य पर मालकिन बहुत खुश होगी. यह सोचकर नेवला दरवाजे के पास बैठ गया. लाजो जब पानी लेकर घर लौटी और उसने नेवले का मुँह खून से भरा देखा तो उसके होश उड़ गए
वह सोचने लगी कि आज नेवले ने अवश्य ही मेरे पुत्र को जख्मी कर दिया है इसलिए इसका मुँह खून से लथपथ है. उसने क्रोध में आकर पानी से भरा हुआ घड़ा नेवले पर दे मारा. इस चोट से नेवला लहूलुहान हो गया और तड़प-तड़पकर मर गया
लाजो भागी-भागी अंदर गई. उसने देखा कि उसका पुत्र सुरक्षित है और पालने में आराम से सो रहा है परंतु पास में एक साँप मरा हुआ पड़ा है. यह देखकर लाजो को पूरी बात समझ में आ गई और वह इस घटना से बहुत दुखी हुई
उसे अपने ऊपर बहुत क्रोध आया क्योंकि वह अपने पुत्र के रक्षक की भक्षक बन गई थी. बिना सोचे-समझे लाजो ने जो काम किया, उसके लिए उसे पछताना पड़ा
प्यारे बच्चो! हमें कोई भी कार्य सोच-समझकर करना चाहिए अन्यथा लाजो की तरह हमें भी पश्चाताप के आँसू बहाने पड़ सकते हैं
⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇
1. बिना सोचे-समझे किसी कार्य को करने से हमें पश्चाताप करना पड़ सकता है
2. गुस्से में हमें कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए
3. क्रोध आत्मघाती होता है इससे केवल हमारा ही नुकसान होता है
आज आपने क्या सीखा?
दोस्त उम्मीद है आपको यह लेख Moral Stories in Hindi जरूर पसंद आया होगा. अगर आपको यह कहानियां अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कीजिए ताकि उन्हें भी Moral Stories for Kids in Hindi पढ़ कर मजा आ जाए
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