Moral Stories in Hindi : कहानियां हमारे जीवन में शिक्षा का एक सबसे अच्छा माध्यम होती है क्योंकि कहानियों के माध्यम से ही हम सही और गलत का निर्णय लेने के लिए सक्षम बन पाते हैं. अगर बात बच्चों की करी जाए तो बच्चों को नैतिक कहानियां सुनना काफी पसंद होता है
क्या कभी आपने सोचा है कि बचपन से ही हमें कहानियां क्यों सुनाई जाती है? तो इसका जवाब है की कहानी एक ऐसा माध्यम है जोकि बच्चों के जीवन के मार्गदर्शन के लिए बहुत उपयोगी है और विभिन्न प्रकार की कहानियों से बच्चों को विभिन्न प्रकार की प्रेरणा मिलती है जिससे कि वे जीवन में एक बेहतर इंसान बनने की ओर अग्रसर होते हैं
सच बोलू तो नैतिक कहानियां काफी लोकप्रिय है जोकि बच्चों को एक बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करती है. हर कहानी का कुछ ना कुछ उद्देश्य होता है, लक्ष्य होता है और कुछ ना कुछ प्रेरणा जरूर मिलती है जीवन में एक सफल और अच्छा इंसान बनने के लिए
तो क्या आप भी 10 सबसे लोकप्रिय नैतिक कहानियां हिंदी में ढूंढ रहे हैं तो आप एकदम सही जगह पर आए हैं. आज मैं आपको Top 10 Story For Moral In Hindi बताऊंगा जोकि बच्चों को आप सुना सकते हैं. तो आइए पढ़ते हैं
10 नैतिक कहानियां हिंदी में – Top 10 Moral Stories in Hindi

बच्चों को बेहतरीन कहानियों से रूबरू कराने के लिए आज मैंने Inspirational Stories in Hindi लिखी हुई है. वैसे तो यह कहानियां सभी आयु वर्ग के लिए उपयोगी है खासकर यह बच्चों के लिए ही प्रस्तुत की गई है
उम्मीद रहेगी कि Short Hindi Moral Stories को पढ़कर आपको बहुत मजा आएगा और आप इन कहानियों से अच्छी प्रेरणा लेकर अपने जीवन में उनका अनुसरण करेंगे. तो आइए पढ़ते है
- साधू की झोपड़ी
- कबूतर और शिकारी
- बड़ों का कहना मानो
- लालची दुकानदार
- बुरी संगति
- हाथी और दर्जी
- परिश्रम का फल
- लालच का फल
- ईमानदारी का फल
- सोचो, समझो, फिर करो
1. साधू की झोपड़ी

किसी गाँव में दो साधू रहते थे. वे दिन भर भीख माँगते थे और मंदिर में पूजा करते थे. एक दिन गाँव में आँधी आ गयी और बहुत जोरों की बारिश होने लगी
दोनों गांव की सीमा से लगी एक झोपड़ी में रहते थे. शाम को जब दोनों वापस लौटे तो देखा कि आँधी तूफान के कारण उनकी झोपडी टूट गयी है
यह देखकर पहला साधू क्रोधित हो उठता है और बुदबुदाने लगता है – भगवान तू मेरे साथ हमेशा ही गलत करता है. मै दिन-भर तेरा नाम लेता हूँ. मंदिर में तेरी पूजा करता हूँ
फिर भी तूने मेरी झोपड़ी तोड़ दी. गाँव में चोर-लुटेरे, झूठे लोगों के तो मकानो को कुछ नहीं हुआ. बेचारे हम साधुओं की झोपडी ही तूने तोड दी. ये तेरा काम है. हम तेरा नाम जपते है पर तू हमसे प्रेम नही करता
तभी दूसरा साधु आता है और झोपड़ी को देखकर खुश हो जाता है. नाचने लगता है और कहता है कि भगवान आज विश्वास हो गया तू हमसे कितना प्रेम करता है
ये हमारी आधी झोपड़ी तूने ही बचाई होगी. वरना इतनी तेज आँधी में हमारी झोपड़ी कैसे बचती. ये तेरी ही कृपा है कि अभी भी हमारे पास सर ढकने के लिए जगह है. निश्चित ही ये मेरी पूजा का फल है. कल से मैं तेरी और पूजा करूँगा. मेरा तुझ पर विश्वास अब और बढ़ गया है
⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇
1. चाहे कितनी भी गम्भीर परिस्थिति हो हमें नकारात्मक सोच नहीं रखनी चाहिए
2. हमें अपने परमात्मा पर विश्वास रखना चाहिए
2. कबूतर और शिकारी
एक बार एक शिकारी शिकार करने गया. शिकारी को सुबह से शाम हो गयी लेकिन उसके हाथ कुछ ना लगा. अचानक शिकारी के जाल में एक कबूतर फस गया. शिकारी उस कबूतर को देखकर बहुत खुश हुआ और शिकारी कबूतर को अपने साथ लेकर जाने लगा
रास्ते में कबूतर ने शिकारी से पूछा – ‘तुम मुझे कहाँ ले जा रहे हो?’ फिर शिकारी बोला – ‘मैं तुम्हें अपने घर ले जा रहा हूँ, मैं तुम्हें पकाकर खाऊँगा, बड़ा मजा आयेगा’
शिकारी की बात सुनकर कबूतर कुछ ढेर चुप रहा और थोड़ी देर बाद उससे बोला – ‘मेरा जीवन तो अब समाप्त होने वाला है लेकिन उससे पहले मेरी एक आखिरी इच्छा है’ शिकारी ने कबूतर से पूछा बताओ अपनी आखिरी इच्छा, मैं पूरी करूंगा उसे
कबूतर बोला मेरी माँ ने मरने से पहले मुझे दो काम की बात बताई थी. मरने से पहले मैं तुम्हें वो बातें बताना चाहता हूँ. शायद तुम्हारे कुछ काम आ जाये
पहली बात – किसी की भी बात पे बिना सोचे-समझे विश्वास नहीं करना चाहिए
दूसरी बात – कुछ बुरा होने पर या कुछ छूट जाने पर अफसोस नहीं करना चाहिए
कबूतर की बात सुनकर शिकारी आगे बढ़ने लगा. शिकारी कुछ ही दूर चला था कि कबूतर उससे बोला – ‘मेरे पास एक हीरे की अंगूठी है अगर मैं वो अंगूठी तुम्हें दे दूं तो क्या तुम मुझे आजाद कर दोगे’
हीरे का नाम सुनकर शिकारी के मन में लालच आ गया और उसने कहा मैं तुम्हें आजाद कर रहा हूँ. तुम जल्दी से वो हीरा लाकर मुझे दे दो. कबूतर आजाद होते ही दूर एक बड़े से पेड़ पर जाकर बैठ गया और शिकारी से बोला – ‘मेरे पास कोई हीरा नहीं है’
मैंने अभी तुमसे बोला था किसी की बात पे बिना सोचे समझे विश्वास नहीं करना चाहिए. कबूतर की बात सुनकर शिकारी बहुत दुःखी हुआ. उसे दुःखी देखकर कबूतर बोला मैंने तुम्हें यह भी बताया था कि कुछ बुरा होने या छूट जाने का दुःख नहीं करना चाहिए
⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇
1. परेशानी के समय हमें शांत दिमाग से काम लेना चाहिए जैसा कि कबूतर ने लिया
2. हमें कभी भी कुछ बुरा हो जाने या कुछ छूट जाने पर दुःखी नहीं होना चाहिए बल्कि अपनी उस भूल से सीख लेनी चाहिए ताकि भविष्य में कभी ऐसी गलती दोबारा न करें
3. बड़ों का कहना मानो
बहुत समय पहले की बात है. एक जंगल में तोतों का एक झुंड रहता था सभी तोते अपने मुखिया की बात मानते थे. एक दिन मुखिया तोते ने अपने सभी छोटे तोतों को समझाया तुम सभी किसी भी बगीचे में जाना, परंतु अमरूद के बगीचे में मत जाना
सभी तोतों को मुखिया तोते की बात समझ में आ गई, परंतु एक तोता मुखिया की बात नहीं समझा वह बोला – मुखिया जी, हम अमरूद के बगीचे में क्यों नहीं जा सकते?
मुखिया तोते ने जवाब दिया – उस बगीचे में एक शिकारी है, तुम उसके जाल में फँस जाओगे. तोते ने कहा – पर उस बगीचे में बहुत मीठे अमरूद होते हैं, ऐसे अमरूद किसी बगीचे में नहीं मिलेंगे
मुखिया तोते ने कहा – मीठे फल धरती पर गिरे होते हैं, शिकारी यह बात जानता है जैसे ही तुम मीठे फल खाने के लिए उस बगीचे में जाओगे, शिकारी तुम्हें अपने फैलाए हुए जाल में फँसा लेगा
परंतु उस तोते ने मुखिया तोते की बात नहीं मानी. वह मीठे अमरूदों का स्वाद चखने की ठान चुका था. अतः एक दिन वह अमरूद के बगीचे की तरफ उड़ गया
उसने वहाँ पहुँचकर जैसे ही अमरूद पर अपनी चोंच गड़ाई तभी एक जाल उसके ऊपर गिर पड़ा और वह फँस गया. शिकारी उस तोते को पिंजरे में बंद करके अपने घर ले गया
यदि वह तोता मुखिया तोते की बात मान लेता तो जाल में नहीं फँसता और न ही पिंजरे में बंद होता
इस प्रकार मुखिया तोते की बात न मानकर वह तोता कैदी बन गया, प्यारे बच्चो! हमें हमेशा अपने से बड़ों की आज्ञा का पालन करना चाहिए क्योंकि बड़े ही हमें सही रास्ता दिखाते हैं
⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇
1. हमें अपने से बड़ों की आज्ञा का पालन करना चाहिए
2. बड़ों का कहना मानने वाले जीवन में सदैव सुखी रहते हैं
3. बड़े ही हमें सही रास्ता दिखाते हैं
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4. लालची दुकानदार
अकबर के शासन काल में जब बीरबल नौ-रत्नों में एक था तब बीरबल को नगर को लोगों ने आकर एक लालची बर्तनों के दुकानदार की शिकयत की ओर उसे सबक सिखाने के लिए कहा
तब बीरबल उसे सबक सिखाने गए. उन्होंने वहाँ से तीन बड़े-बड़े पतीले खरीदे. कुछ समय बाद वे एक छोटी सी पतीली लेकर दुकानदार के पास गए और बोले – भाई साहब आपके बड़े पतीले ने बच्चा दिया है कृपया आप इसे रख लें
दुकानदार बहुत खुश हुआ और पतीली ले ली. कुछ दिनों के बाद बीरबल एक बड़ा पतीला लेकर उस लालची दुकानदार के पास पहुँचे और बोले – मुझे ये पतीली पंसद नहीं आई. आप मुझे मेरे रूपये वापस कर दीजिए
फिर दुकानदार बोला – लेकिन ये तो एक ही पतीला है और दो पतीले कहाँ है. बीरबल ने कहा – असल में उन दो पतीलों की मौत हो गई है. दुकानदार ये सुनकर बोलता है – तुम मुझे बेवकूफ मत बनाओ, क्या कभी पतीलों की भी मृत्यु हो सकती है
बीरबल ने कहा – जब पतीलों के बच्चे हो सकते है तो उनकी मृत्यु क्यों नहीं हो सकती है. दुकानदार को अपनी करनी पर बहुत पछतावा हुआ और उसे बीरबल को पैसे वापस देने पड़ते हैं
⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇
1. इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हमें लालच नहीं करना चाहिए
5. बुरी संगति
राजीव जी का एक ही पुत्र था उसका नाम ‘शेखर’ था. राजीव जी शेखर को बहुत प्यार करते थे. शेखर की माँ भी अपने लाडले पुत्र को बहुत प्यार करती थी
वह उसे मक्खन और मलाई खिलाकर प्रसन्न रखती थी. शेखर सदा अपने माता-पिता का आदर करता था वह समय पर स्कूल जाता तथा खूब मन लगाकर पढ़ता था
दुर्भाग्यवश शेखर की मित्रता कुछ बुरे लड़कों से हो गई. वह बुरे लड़कों के साथ बाजार में घूमने लगा, वह जुआ भी खेलने लगा. इस वजह से शेखर स्कूल से अनुपस्थित रहने लगा
धीरे-धीरे वह अपने याद किए हुए पाठों को भूल गया जिससे अध्यापकों से उसकी पिटाई होती और परिणाम यह हुआ कि जब स्कूल में परीक्षा हुई तो वह उत्तीर्ण भी न हो सका
यह सब देखकर उसके पिताजी बहुत चिंतित रहने लगे. स्कूल में उन्होंने शेखर को बहुत समझाया, परंतु उस पर कुछ असर नहीं हुआ. तब राजीव जी ने उसे समझाने का एक उपाय सोचा
एक दिन राजीव जी ने शेखर को पाँच रुपए का एक नोट दिया और कहा – बेटा, बाजार से पाँच रुपए के ताजे और बढ़िया सेब ले आओ. शेखर बाजार जाकर पाँच रुपए के सेब खरीद लाया. सभी सेब ताजा और बढ़िया थे
तब राजीव जी ने शेखर को पचास पैसे और देकर कहा – जाओ, बाजार से एक सड़ा-गला सेब और खरीद लाओ. शेखर सड़ा-गला सेब ले आया राजीव जी ने शेखर से कहा – सड़े हुए सेब को सभी अच्छे सेबों के साथ रख दो
शेखर ने पिताजी की आज्ञानुसार वैसा ही किया. दूसरे दिन राजीव जी ने शेखर से वे सेब मँगवाए और कहा – इन सेबों को खाओ. शेखर सेबों को देखकर घबरा गया सभी सेब सड़ गए थे
उसकी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था कि ऐसा कैसे हो गया. तब राजीव जी ने शेखर से कहा – बेटा, तुमने देखा कि बुरी संगति से कितनी हानि होती है. एक सड़े हुए सेब के कारण ताजे सेब भी सड़ गए
शेखर को अपने पिताजी की बात समझ में आ गई और उसी दिन से शेखर ने बुरे लड़कों की संगति छोड़ दी. शेखर फिर से एक अच्छा बालक बन गया
प्यारे बच्चो! इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बुरी संगति से अकेला रहना भला है क्योंकि बुरी संगति हमारे चरित्र को विकृत कर देती है
⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇
1. हमें बुरे लोगों के बीच नहीं रहना चाहिए
2. बुरी संगति से अकेला रहना भला होता है
3. बुरी संगति हमारे चरित्र को विकृत कर देती है
6. हाथी और दर्जी
एक समय की बात है. किसी गांव में एक हाथी नहाने के लिए रोज गांव के तालाब में जाता था. तालाब में डुबकी लगाकर वह वापस लौट आता, रास्ते में एक दर्जी की दुकान थी
हाथी तालाब से वापस लौटते समय रोज उस दर्जी की दुकान पर रुकता था. दर्जी रोज उसे एक केला खिलाता था. हाथी केला खाकर अपने घर चला जाता
एक दिन जब हाथी तालाब में नहा कर घर आ रहा था तो वह रोज की तरह दर्जी की दुकान पर रुका, लेकिन उस दिन दर्जी का मूड ठीक नहीं था
उस दिन दर्जी ने उसे केला नहीं दिया. इसके बजाय दर्जी ने हाथी की सूंड में सुई चुभा दी. इससे हाथी को बहुत दर्द हुआ और उसे दुख भी हुआ. उस समय हाथी वहां से चला गया
रोज की तरह हाथी अगले दिन भी तालाब पर नहाने के लिए गया. वहां से लौटते समय हाथी ने अपनी सूंड में कीचड़ भर लिया और दर्जी की दुकान की तरफ चल पड़ा
जब वह दर्जी की दुकान पर पंहुचा, तो उसने अपनी सूंड में भरे कीचड़ को दर्जी की दुकान पर टंगे हुए कपड़ों पर उड़ेल दिया. जिससे दर्जी के सारी सिले हुए कपड़े गंदे हो गए
दर्जी यह सब देखकर बहुत ही दुखी हुआ और उसे अपनी गलती का एहसास हुआ. इस तरह दर्जी ने अपने द्वारा किए गए बुरे कर्म का बहुत पछतावा किया. उसने हाथी से माफी भी मांगी
⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇
1. दूसरों का बुरा करने वाले के साथ हमेशा बुरा ही होता है
7. परिश्रम का फल
एक गाँव में एक धनी किसान रहता था उसके पास बहुत जमीन थी. उसके यहाँ बहुत-से आदमी काम करते थे. उस किसान के दो लड़के थे जब दोनों लड़के बड़े हो गए, तो किसान ने उन्हें आधी-आधी जमीन बाँट कर दे दी. काम करने के लिए आदमी भी बराबर-बराबर संख्या में बाँट दिए
बड़ा लड़का आलसी था. वह कभी भी खेतों को देखने तक नहीं जाता था. वह अपने आदमियों (नौकरों) से ही खेतों पर काम कराया करता था. उसके आदमी मनमाना काम करते थे
वे समय पर न तो हल चलाते और न ही बीज बोते थे. उन आदमियों ने कभी भी खेती पर ध्यान नहीं दिया. इस प्रकार धीरे-धीरे उसके खेतों की उपज घट कर बहुत कम हो गई और किसान का बड़ा लड़का निर्धन हो गया
किसान का छोटा लड़का बहुत परिश्रमी था. वह सुबह उठकर रोज अपने खेतों पर जाता और अपने आदमियों से कठिन परिश्रम कराता, छोटा लड़का खेतों पर स्वयं भी काम करता था
उसे देखकर उसके आदमी भी खूब परिश्रम करते थे. उसके खेतों में समय पर हल चलाया जाता, समय पर बीज बोए जाते और समय पर सिंचाई की जाती थी. इससे उसकी उपज दिनों-दिन बढ़ती गई. धीरे-धीरे कुछ ही वर्षों में वह बहुत धनी हो गया
एक दिन किसान ने अपने दोनों बेटों को बुलाया. किसान ने बड़े लड़के से पूछा – बेटा, क्या हाल-चाल हैं? उसने कहा पिताजी मैं निर्धन हो गया हूँ, मेरा भाग्य खराब है
फिर किसान ने अपने छोटे लड़के का हाल-चाल पूछा छोटा लड़का मुस्कराकर बोला – पिताजी, आपकी कृपा है दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की हो रही है बहुत आनंद आ रहा है
किसान ने दोनों लड़कों से कहा – देखो, तुम दोनों को मैंने बराबर-बराबर जमीन दी. काम करने के लिए आदमी भी बराबर-बराबर दिए, फिर भी तुम दोनों में से एक निर्धन हो गया और एक धनी. यह दोष तुम्हारे भाग्य का नहीं, परिश्रम का है
पिता जी की बात सुनकर बड़े लड़के को अपनी गलती का अहसास हो गया. उस दिन से वह भी रोज सुबह उठकर खेतों पर जाने लगा और ठीक ढंग से काम करने लगा
उसके खेतों की उपज भी बढ़ने लगी. इस प्रकार वह भी परिश्रम करके अपने छोटे भाई की तरह धनवान बन गया और आनंदपूर्वक जीवन व्यतीत करने लगा
प्यारे बच्चो! हमें भी भाग्य के भरोसे नहीं बैठना चाहिए और परिश्रम पर विश्वास करना चाहिए
⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇
1. कोई भी काम भाग्य के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए
2. परिश्रम पर विश्वास करना चाहिए
3. परिश्रम करने वाला ही आनंदपूर्वक रहता है
8. लालच का फल

किसी जंगल में तालाब के किनारे एक शेर रहता था. अब वह बूढ़ा हो गया था बुढ़ापे के कारण वह कमजोर भी हो गया था. उसके दाँत गिर गए थे उसके नाखून व पंजे भी कमजोर हो गए थे
वह न तो दौड़ सकता था और न ही अपने लिए शिकार करने में समर्थ था लेकिन उसके पास सोने का एक कंगन था
तालाब के पास से जब भी कोई राहगीर गुजरता, शेर उससे कहता – अरे भाई, तुम मेरे पास आओ मेरे पास सोने का एक कंगन है वह कंगन मैं तुम्हें दान करना चाहता हूँ. बुढ़ापे में मैं अब धर्मात्मा बन गया हूँ मेरा विश्वास करो
लेकिन किसी भी राहगीर ने शेर की बात पर विश्वास नहीं किया और सभी अपने रास्ते चलते बने
एक दिन एक व्यक्ति तालाब के पास से गुजर रहा था. उस व्यक्ति को देखते ही शेर ने फिर से कहा – भैया, जल्दी से इस तालाब में नहाकर मेरे पास आओ. मैं तुम्हें सोने का एक कंगन दान में दूँगा. मेरा समय अब समाप्त हो गया है और मैं मरने वाला हूँ. मरने से पहले मैं तुम्हें वह कंगन दान करना चाहता हूँ
वह व्यक्ति लालची था इसलिए शेर की बातों में आ गया. जैसे ही वह तालाब में नहाने के लिए अंदर उतरा, वैसे ही कीचड़ में फँस गया. उस व्यक्ति को कीचड़ में फँसा देखकर शेर मन ही मन बहुत खुश हुआ
शेर ने उस व्यक्ति से कहा – तुम बिल्कुल चिंता मत करो, मैं अभी आकर तुम्हें कीचड़ से निकाल दूँगा. यह कहकर शेर धीरे-धीरे उस व्यक्ति के पास पहुँच गया और उसे मारकर खा गया
प्यारे बच्चो! हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए क्योंकि लालच से आदमी का पतन होता है
⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇
1. लालच बुरी बला है हमें इससे दूर रहना चाहिए
2. लालच के कारण हम कभी भी संकट में पड़ सकते हैं
3. लोभ और लालच करने से मनुष्य का पतन होता है
9. ईमानदारी का फल

किसी गाँव में एक लकड़हारा रहता था. वह प्रतिदिन जंगल में जाकर लकड़ियाँ काटता और उन्हें बाजार में ले जाकर बेच देता. लकड़ियाँ बेचने से उसे जो पैसे मिलते, उनसे वह अपने परिवार का पालन-पोषण करता था
एक दिन लकड़हारा नदी के किनारे लगे पेड़ पर चढ़कर लकड़ियाँ काट रहा था. अचानक उसके हाथ से कुल्हाड़ी फिसल गई और नदी के गहरे पानी में गिर गई
उसने कुल्हाड़ी को पानी में बहुत ढूँढ़ा परंतु कुल्हाड़ी नहीं मिली. इस कुल्हाड़ी से ही लकड़ियाँ काटकर वह अपने परिवार का पालन-पोषण करता था. अब वह क्या करेगा, यह सोचकर वह नदी के किनारे बैठकर रोने लगा
लकड़हारे की ऐसी शोकाकुल स्थिति देखकर जल देवता नदी से बाहर निकले. उन्होंने लकड़हारे से रोने का कारण पूछा
लकड़हारे ने रोते हुए कहा – महाराज, मेरी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई है. उस कुल्हाड़ी से लकड़ियाँ काटकर मैं अपने परिवार का पालन-पोषण किया करता था. अब कुल्हाड़ी के खो जाने से मैं लकड़ियाँ कैसे काटूंगा?
जल देवता को लकड़हारे पर दया आ गई. उन्होंने नदी में डुबकी लगाई और एक सोने की कुल्हाड़ी लेकर ऊपर आए. उन्होंने लकड़हारे से पूछा – क्या यही तुम्हारी कुल्हाड़ी है?
लकड़हारा बोला – महाराज, यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है. जल देवता ने जल में फिर से डुबकी लगाई और इस बार चाँदी की कुल्हाड़ी लेकर जल से बाहर आए
नहीं, यह कुल्हाड़ी भी मेरी नहीं है लकड़हारे ने उत्तर दिया. जल देवता ने एक बार फिर नदी में डुबकी लगाई. इस बार वे लोहे की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आए. अपनी कुल्हाड़ी को देखते ही लकड़हारा खुशी से उछल पड़ा और बोला – हाँ, यही मेरी कुल्हाड़ी है
जल देवता लकड़हारे की ईमानदारी पर बहुत प्रसन्न हुए. उन्होंने सोने और चाँदी की कुल्हाड़ियाँ भी उपहार के रूप में लकड़हारे को दे दीं
प्रिय बच्चो! हमें ईमानदारी तथा सच्चाई का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए. इसी से हमें सच्चा सुख प्राप्त होता है
⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇
1. ईमानदार व्यक्ति से भगवान भी प्रसन्न होते हैं
2. ईमानदारी का फल हमेशा मीठा होता है
3. ईमानदार व्यक्ति की सभी लोग प्रशंसा करते हैं
10. सोचो, समझो, फिर करो
एक गाँव में यादराम नाम का किसान रहता था उसकी पत्नी का नाम लाजो था. उनकी कोई संतान नहीं थी. अपने एकांत को दूर करने के लिए लाजो अपने पति से किसी जानवर को घर लाने के लिए कहने लगी
एक दिन यादराम बाजार गया था उसने वहाँ नेवले का एक प्यारा-सा बच्चा देखा. यादराम अपनी पत्नी को प्रसन्न करने के लिए नेवले के बच्चे को घर ले आया. नेवले के बच्चे को देखकर लाजो बहुत खुश हुई. दोनों नेवले को बहुत प्यार से पालने लगे और नेवला भी दोनों को प्यार करने लगा
कुछ समय बाद किसान के घर एक पुत्र हुआ. लाजो अपने पुत्र और नेवले का पालन-पोषण ध्यानपूर्वक करती थी. अब भी लाजो के मन में नेवले के प्रति प्यार पहले जैसा ही था
एक बार खेती के लिए कुछ औजार और बीज खरीदने के लिए यादराम को शहर जाना पड़ा. उस दिन लाजो अपने पुत्र को पालने में सुलाकर स्वयं पानी लेने कुएँ पर चली गई
अब घर पर बच्चे के पास सिर्फ पालतू नेवला ही था. नेवला प्यार-से बच्चे के पास इस तरह से चक्कर लगा रहा था, मानो वह उसकी रखवाली कर रहा हो
उसी समय कहीं से एक साँप घर में घुस आया. साँप धीरे-धीरे रेंगता हुआ बच्चे की तरफ बढ़ने लगा. साँप बच्चे तक पहुँच पाता, इससे पहले ही नेवले की नजर साँप पर पड़ गई
नेवला तुरंत साँप पर टूट पड़ा दोनों में काफी देर तक घमासान लड़ाई हुई. अंत में नेवले ने साँप के टुकड़े-टुकड़े कर दिए
उसके इस कार्य पर मालकिन बहुत खुश होगी. यह सोचकर नेवला दरवाजे के पास बैठ गया. लाजो जब पानी लेकर घर लौटी और उसने नेवले का मुँह खून से भरा देखा तो उसके होश उड़ गए
वह सोचने लगी कि आज नेवले ने अवश्य ही मेरे पुत्र को जख्मी कर दिया है इसलिए इसका मुँह खून से लथपथ है. उसने क्रोध में आकर पानी से भरा हुआ घड़ा नेवले पर दे मारा. इस चोट से नेवला लहूलुहान हो गया और तड़प-तड़पकर मर गया
लाजो भागी-भागी अंदर गई. उसने देखा कि उसका पुत्र सुरक्षित है और पालने में आराम से सो रहा है परंतु पास में एक साँप मरा हुआ पड़ा है. यह देखकर लाजो को पूरी बात समझ में आ गई और वह इस घटना से बहुत दुखी हुई
उसे अपने ऊपर बहुत क्रोध आया क्योंकि वह अपने पुत्र के रक्षक की भक्षक बन गई थी. बिना सोचे-समझे लाजो ने जो काम किया, उसके लिए उसे पछताना पड़ा
प्यारे बच्चो! हमें कोई भी कार्य सोच-समझकर करना चाहिए अन्यथा लाजो की तरह हमें भी पश्चाताप के आँसू बहाने पड़ सकते हैं
⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇
1. बिना सोचे-समझे किसी कार्य को करने से हमें पश्चाताप करना पड़ सकता है
2. गुस्से में हमें कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए
3. क्रोध आत्मघाती होता है इससे केवल हमारा ही नुकसान होता है
आज आपने क्या सीखा ?
दोस्त उम्मीद है आपको यह लेख TOP 10 Moral Stories in Hindi जरूर पसंद आया होगा. अगर आपको यह कहानियां अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कीजिए ताकि उन्हें भी Moral Stories for Kids in Hindi पढ़ कर मजा आ जाए
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