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Home Informative

NRC क्या है और इसका फुल फॉर्म

Sachin Sajwan by Sachin Sajwan
in Informative

नमस्कार दोस्तों क्या आप एनआरसी क्या है – What is NRC in Hindi जानना चाहते हैं. तो आज मैं सचिन आपको एनआरसी का फुल फॉर्म – NRC full form in Hindi और एनआरसी की पूरी जानकारी हिंदी में देने जा रहा हूं. मुझे उम्मीद रहेगी कि आप इस पूरी जानकारी को पूरे तहे दिल से पड़ेंगे

दोस्तों आपकी अधिक जानकारी के लिए बता दूं वर्ष 2019 में घुसपैठियों की पहचान के उद्देश्य से असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) की अंतिम सूची जारी की गई जिसमें 19 लाख से अधिक लोगों को बाहर किया गया

एनआरसी का उद्देश्य भारतीय नागरिकों की सुरक्षा व जनकल्याण है. फिर केवल असम में इसे लागू करने से 19 लाख से अधिक लोग बाहर हो गए यदि इसे पूरे देश में लागू किया गया तो कई लोगों का भविष्य अंधेरे में चला जाएगा. इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हमारी मानवीय छवि पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है

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एनआरसी क्या है – What is NRC in Hindi
एनआरसी का फुल फॉर्म – NRC full form in Hindi
असम में एनआरसी की आवश्यकता
एनआरसी में नागरिकता
एनआरसी के लिए सकारात्मक तर्क
एनआरसी के विपक्ष में तर्क
एनआरसी पर मेरे विचार

एनआरसी क्या है – What is NRC in Hindi

एनआरसी क्या है - What is NRC in Hindi, एनआरसी का फुल फॉर्म - NRC full form in Hindi

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) एक ऐसा दस्तावेज है जिससे पता चलता है कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं, जिस व्यक्ति का इस रजिस्टर में नाम नहीं होता उसे अवैध नागरिक माना जाता है. इस रजिस्टर का मुख्य उद्देश्य होता है भारत में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासी विशेषकर घुसपैठियों की पहचान करना

दोस्तों मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं अभी तक केवल भारत में असम ही एक ऐसा राज्य है जिसके पास राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर है जिसे वर्ष 1951 की जनगणना के पश्चात तैयार किया गया था

एनआरसी का फुल फॉर्म – NRC full form in Hindi

दोस्तों एनआरसी का फुल फॉर्म कई लोगों को पता नहीं होगा तो आपकी जानकारी के लिए बता दूं –

NRC full form in Hindi = नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर)

असम में एनआरसी की आवश्यकता

वर्ष 1947 में एक तरफ भारत को आजादी मिली, तो दूसरी तरफ भारत का विभाजन भी हो गया. इस विभाजन के बाद कुछ लोग असम से पूर्व पाकिस्तान चले गए लेकिन उनकी जमीन असम में थी और विभाजन के बाद भी लोगों का आना-जाना दोनों और जारी रहा. अतः असम के वैध नागरिकों की पहचान हेतु एनआरसी की आवश्यकता अनुभव की गई. वर्ष 1951 की जनगणना के आधार पर 1951 में असम का पहला एनआरसी जारी किया गया

एनआरसी में नागरिकता

असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में नागरिकता सिद्ध करने के लिए मूलभूत शर्त यह है कि आवेदक के परिवार सदस्य के नाम या तो वर्ष 1951 में तैयार की गई पहली एनआरसी में हो या मार्च 1971 तक की मतदाता सूची में हो

इसके अतिरिक्त लोगों को पंजीकरण प्रमाणपत्र, एनआरसी पॉलिसी, भूमि और किराएदार रिकॉर्ड, नागरिकता प्रमाण पत्र, शैक्षिक प्रमाण पत्र, न्यायालय रिकॉर्ड, पासपोर्ट आदि दस्तावेज प्रस्तुत करने का विकल्प भी दिया जाता है

एनआरसी सूची में बड़ी संख्या में लोगों के बाहर होने पर नागरिकता को लेकर विरोध शुरू हो गया हालांकि भारत सरकार द्वारा सूची से बाहर हुए लोगों के लिए विकल्प दिए गए हैं जो के निम्नलिखित हैं –

1 – केंद्र सरकार के अनुसार जिन लोगों के नाम छूट गए हैं या शामिल नहीं हो पाए हैं. उन्हें विदेशी न्यायाधिकरण के समक्ष अपील करनी चाहिए इसके लिए असम में काफी संख्या में न्यायाधिकरण स्थापित किए गए हैं.

2 – अपील करने की सीमा 8 से बढ़ाकर 120 दिन तक कर दी गई है.

3 – यदि कोई व्यक्ति विदेशी न्यायाधिकरण में अपनी नागरिकता सिद्ध नहीं कर सकता तो वह उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय तक भी जा सकता है.

4 – जो लोग सभी कानूनी विकल्प के उपयोग करने के बाद भी अपनी नागरिकता सिद्ध नहीं कर पाएंगे. उन्हें तकनीकी रूप से राज्यविहीन व्यक्ति कहा जाएगा.

एनआरसी के लिए सकारात्मक तर्क

दोस्तों जैसा कि हम सभी जानते हैं भारत स्वयं विशाल जनसंख्या वाला देश है. ऐसे में देश में बहुत बड़ी संख्या में अवैध प्रवासियों को शरण देना भी संभव नहीं है इसके लिए एनआरसी बिल्कुल सही है.

एनआरसी का भारत की सुरक्षा के संदर्भ में काफी महत्वपूर्ण स्थान है. सामरिक दृष्टि से पूर्वोत्तर भारत का क्षेत्र विकास धारा से आज भी काफी दूर है. इस क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थिति तथा संसाधनों की सीमितता एक सीमा से अधिक आबादी का भार नहीं सह सकती इसलिए यहाँ अवैध प्रवासियों घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें हटाने की जरूरत है

भारत और बांग्लादेश की सीमा बहुत बड़ी और दुर्लभ है. जिस कारण असामाजिक तत्वों का भारत में प्रवेश आसानी से हो जाता है और भारत की आंतरिक सुरक्षा पर संकट छा जाता है. इस कारण समय-समय पर नागरिकों का रिकॉर्ड रखना अति आवश्यक है

आंतरिक सुरक्षा का यह मुद्दा केवल असम ही नहीं बल्कि पूरे भारत में लागू होता है. इसलिए मेरी नजरों में पूरे देश में एनआरसी को लागू करने की बात एकदम सही है

एनआरसी के विपक्ष में तर्क

दोस्तों एनआरसी के विपक्ष में लोगों का कहना यह है कि अचानक से किसी भी स्थान पर 19 लाख से अधिक लोगों की नागरिकता छीनने पर संकट मानवीय मूल्यों के विपरीत है

सरकार द्वारा अपनी नागरिकता सिद्ध करने की बाध्यता नागरिकों पर आरोपित की गई थी और यह सिद्ध करना कि किसी व्यक्ति का नाम वर्ष 1981 के दशक में नाम शामिल ना था तो वह भारत का नागरिक नहीं है. यह व्यावहारिक प्रतीत नहीं होता

कुछ लोगों की यह भी अवधारणा है कि सरकार ने समस्त राजनीतिक हितधारकों को विश्वास में नहीं लाया. जबकि इस तरह का निर्णय जनतांत्रिक रूप में होना चाहिए तथा यह भी माना जा रहा है कि एनआरसी से भारत बांग्लादेश के संबंध में प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है

मेरी नजर में यह सोचने लायक विषय है कि लाखों लोगों की नागरिकता यदि समाप्त हो जाती है तो इससे भारत की शांति प्रिया व मानवीय छवि प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगी. जो कि देश के भविष्य के लिए खराब साबित हो सकती है

Read This – सूचना का अधिकार (आरटीआई) क्या है

एनआरसी पर मेरे विचार

दोस्तों मानवीय और लोकतांत्रिक मूल्य की दृष्टि से नागरिकता प्रदान करना उचित है. परंतु राष्ट्रहित सर्वोपरि है. अतः राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के उद्देश्य पर संदेह नहीं किया जा सकता है

यद्यपि यह हो सकता है कि इसकी प्रक्रिया में कुछ कमी हो सकती है. जिसे दूर किया जाना चाहिए और किसी भी नागरिक की नागरिकता अवैध रूप से छीनी नहीं जानी चाहिए. इस पूरी प्रक्रिया में इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि इससे भारत-बांग्लादेश संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव ना पड़े

संक्षेप में – 

दोस्तों उम्मीद है आपको एनआरसी क्या है – What is NRC in Hindi अच्छा लगा होगा. अगर आपको यह जानकारी कुछ काम की लगी है तो इसे जरूर सोशल मीडिया पर शेयर कीजिएगा.

अगर आप नई नई जानकारियों को जानना चाहते हैं तो MDS BLOG के साथ जरूर जुड़िए जहां की आपको हर तरह की नई-नई जानकारियां दी जाती है MDS BLOG पर यह पोस्ट पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद!

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