परोपकार पर निबंध : किसी भी व्यक्ति का परोपकारी होना उस व्यक्ति के सबसे बेहतरीन गुणों में से एक है. परोपकार एक व्यक्ति की आंतरिक छवि को बताता है और बिना स्वार्थ के किसी व्यक्ति की मदद करने को दर्शाता है
दोस्त क्या आप परोपकार पर निबंध (Paropkar Essay In Hindi) जानना चाहते हैं तो यह पोस्ट आपके लिए एकदम सही है. नमस्कार MDS BLOG में आपका हार्दिक स्वागत है
आज इस पोस्ट के माध्यम से मैंने आपको परोपकार पर 500 और 800 शब्दों में 2 निबंध बताए हैं आपको जो भी पसंद आए आप उसे Competition या परीक्षा के लिए लिख सकते हैं. तो आइए पढ़ते हैं एक अच्छी सी मुस्कुराहट के साथ
परोपकार पर निबंध 500 शब्दों में

“परोपकार की भावना होती है निस्वार्थ
मनुष्य जीवन को करती है चरितार्थ”
प्रस्तावना
दूसरों पर किए जाने वाले उपकार को परोपकार कहते हैं. ऐसा उपकार जिसमें कोई अपना स्वार्थ न हो वही परोपकार कहलाता हैं
परोपकार को सबसे बड़ा धर्म कहा गया है. करुणा और सेवा को परोपकार के रूप में ही जाना जाता है. जब किसी व्यक्ति के अन्दर दया और करुणा का भाव होता है तो उसे ही समाज में परोपकारी व्यक्ति कहा जाता है
परोपकार का अर्थ
किसी व्यक्ति की सेवा या उसे किसी भी प्रकार की मदद पहुंचाने की क्रिया को परोपकार कहते हैं. यह गर्मी के मौसम में राहगीरों को मुफ्त में ठंडा पानी पिलाना भी हो सकता है या किसी गरीब की बेटी के विवाह में अपना योगदान देना भी हो सकता है
कुल मिला के हम यह कह सकते हैं कि किसी की मदद करना और उस मदद के बदले में किसी चीज की मांग न करना परोपकार को परिभाषित करता है
मनुष्य जीवन की सार्थकता है परोपकार
मनुष्य जीवन हमें दूसरों की मदद करने के लिए मिला है. हमारा जन्म सार्थक होगा जब बुद्धि, विवेक, कमाई या बल की सहायता से दूसरों की मदद करें
जरुरी नहीं कि जिसके पास पैसे हो या जो अमीर हो वही केवल दान दे सकता है. एक साधारण व्यक्ति भी किसी की मदद अपने बुद्धि के बल पर कर सकता है
जब कोई जरूरतमंद हमारे सामने हो तो हमसे जो भी बन पाए हमें उसके लिये करना चाहिए, चाहे वह एक जानवर ही क्यूं ना हो
भारतीय संस्कृति में परोपकार
हमारी भारतीय संस्कृति में बच्चों को परोपकार की बातें बचपन से ही सिखाई जाती हैं. परोपकार की बातें हम अपने बुजुर्गों से सुनते आये है और यही नहीं इससे सम्बंधित कई कहानियां हमारे पौराणिक पुस्तकों में भी लिखी हुए हैं
हम यह गर्व से कह सकते हैं कि यह हमारी संस्कृति का हिस्सा है. हमारे शास्त्रों में परोपकार के महत्व को बड़ी अच्छी तरह दर्शाया गया है इसीलिये हमे अपनी संस्कृति को भूलना नहीं चाहिये
परोपकार है सबसे बड़ा धर्म
आजकल के दौर में सभी लोग आगे बढ़ने की होड़ में इस कदर लगे हुए हैं कि परोपकार जैसे सबसे पुण्य वाले काम को भूलते चले जा रहे हैं. इंसान मशीनों के जैसे काम करने लगा है और परोपकार, करुणा, उपकार जैसे शब्दों को भूल सा गया है
चाहे हम कितना भी धन कमा ले परन्तु यदि हमारे अन्दर परोपकार की भावना नहीं है तो सब व्यर्थ है. मनुष्य का इस जीवन में अपना कुछ भी नहीं, वह अपने साथ यदि कुछ लाता है तो वे उसके अच्छे कर्म ही होते हैं
उपसंहार
हमें खुद भी परोपकारी बनना चाहिए और बच्चों को हमेशा परोपकारी बनने की सीख देनी चाहिए. जब वे आपको इसका पालन करता देखेंगे वे खुद भी इसका पालन करेंगे. हमेशा परोपकारी बनें और दूसरो को भी प्रेरित करें
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“परोपकार जो करे हो उसका उद्धार
जीवन सफल हो जाए शांति मिले अपार”
प्रस्तावना
परोपकार करना मनुष्य मात्र का परम धर्म है. प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में परोपकारी होना चाहिए
परोपकार की भावना मनुष्य के भीतर स्वत: ही आती है. मानवता के कल्याण हेतु सभी का परोपकारी होना अति आवश्यक है
परोपकार से आशय
परोपकार दो शब्दों “पर तथा उपकार” से मिलकर बना है इसका अर्थ है – दूसरों पर किया जाने वाला उपकार
जिस उपकार में कोई भी निज स्वार्थ न हो, परोपकार कहलाता है. जिस व्यक्ति के हृदय में करुणा और सेवा का भाव होता है वह व्यक्ति परोपकारी कहलाता है
परोपकार के रूप
हम परोपकार किसी भी रूप में कर सकते हैं. निस्वार्थ भाव से किसी जरूरतमंद की मदद करना परोपकार कहलाता है
गर्मी के मौसम में राहगीरों को निशुल्क ठंडा पानी पिलाना, रोगियों का निशुल्क इलाज कराना, गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करना, गरीब परिवार की कन्या का विवाह कराना आदि सब परोपकार कहलाता है
किसी असहाय का मनोबल बढ़ाना भी परोपकार की श्रेणी में आता है. ऐसे बहुत से कार्य जिनको हम परहित हेतु करते हैं और बदले में किसी भी प्रकार की कोई इच्छा नहीं रखते हैं उन सभी को परोपकार के कार्य कह सकते हैं
महर्षि दधीचि ने देवताओं की रक्षा और मानवता के कल्याण हेतु अपनी हड्डियों तक का दान दे दिया था. इतिहास ऐसे कईं उदाहरणों से भरा पड़ा है
प्रकृति का परोपकारी रूप
हमारी प्रकृति सबसे अधिक परोपकारी है. सूर्य अपने प्रकाश से धरती के अंधकार को दूर करता है. चाँद अपनी शीतलता से सभी के मन को शांति देता है
बादल परोपकार हेतु बरसकर अपना अस्तित्व नष्ट कर लेते हैं. नदी, तालाब अपने जल से दूसरों को जीवन देते हैं. पेड़ कभी अपना फल स्वयं नहीं खाता, फूल अपनी सुगंध दूसरों को बाँट देते हैं
परोपकार सबसे बड़ा धर्म
परोपकार को सबसे बड़ा धर्म कहा गया है. आज लगभग सभी मनुष्य पुण्य कर्मों को भूलते चले जा रहे हैं
आज मनुष्य को परोपकार, करुणा, उपकार जैसे शब्दों का पता ही नहीं है. आज हम चाहे कितना भी धन कमा लें परन्तु यदि हमारे हृदय में परोपकार की भावना नहीं है तो सब व्यर्थ है
मनुष्य इस दुनिया में खाली हाथ आया था और खाली हाथ ही चला जायेगा. केवल और केवल मनुष्य के अच्छे कर्म ही हैं जो उसके साथ जाएंगे. अतः परोपकार की भावना सर्वोपरि है
उपसंहार
आधुनिकता के युग में मनुष्य अत्यधिक लोभी और स्वार्थी हो गया है. आज भलाई करना मात्र किताबों तक ही सीमित रह गया है
बिन परोपकार के मानव जीवन को व्यतीत तो कर सकता है परन्तु मानव का जीवन तभी सार्थक हो सकता है जब वह परोपकार करे
इसके लिए छोटे स्तर पर शुरुआत की जा सकती है. परोपकार करने से आत्मिक तथा मानसिक शांति भी मिलती है और दूसरों की मदद भी हो जाती है. अतः मनुष्य को अवश्य ही परोपकारी होना चाहिए
FAQ’s – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
परोपकार से क्या तात्पर्य है ?
दूसरों पर किया जाने वाला उपकार जिसमें कि कोई भी निजी स्वार्थ शामिल ना हो, परोपकार कहलाता है
हमें परोपकार क्यों करना चाहिए ?
परोपकार ही सबसे बड़ा धर्म है क्योंकि परोपकार करने से हमारे जीवन में खुशी तथा मन को शांति प्राप्त होती है. ऐसा माना जाता है कि मृत्यु के बाद व्यक्ति के कर्म ही उसे स्वर्ग में जाने का मौका देते हैं. इंसान इस धरती पर खाली हाथ आया था और खाली हाथ ही जाएगा यह बात निश्चित है लेकिन ये नहीं भूलना चाहिए कि मनुष्य के अच्छे कर्म सदैव उसके साथ रहते हैं तथा अच्छे कर्म करने से ईश्वर बुरे समय में हमारे साथ खड़े रहते हैं
परोपकार का फल जानिए वीडियो में :
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संक्षेप में
दोस्तों मुझे उम्मीद है आपको परोपकार पर निबंध (Essay on Paropkar in Hindi) पसंद आया होगा. परोपकार पर यह निबंध पढ़कर आपकी जरूर कुछ ना कुछ हेल्प हुई होगी. इस निबंध को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें जिससे कि मुझे भी काफी खुशी होगी और आपके दोस्तों को कुछ नया सीखने को मिलेगा
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