Paryavaran Pradushan Par Nibandh : दोस्तों क्या आप पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध – Essay on environmental pollution in Hindi जानना चाहते हैं. तो आपने एक सही पोस्ट का चुनाव किया है
आज की इस पोस्ट में हम आपको पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखा जाए इसके बारे में पूरी जानकारी देंगे. आइए जानते हैं
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध – Environmental Pollution Essay in Hindi
प्रस्तावना
स्वच्छ एवं सुंदर पर्यावरण ही हम सबके स्वास्थ्य एवं दीर्घायु जीवन की कुंजी है. मैंने यह महसूस किया है कि जिस समाज, क्षेत्र या देश का पर्यावरण अच्छा होता है वहां के लोग गुणवान एवं स्वस्थ जीवन जीते हैं इसके विपरीत प्रदूषित पर्यावरण हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक होता है
पर्यावरण प्रदूषण किसी एक ही व्यक्ति की नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व की समस्या बन गई है और इससे निजात पाना मनुष्य जाति के लिए काफी मुश्किल होता जा रहा है
पर्यावरण प्रकृति द्वारा सबसे सुंदर उपहारों में से एक है इसीलिए इसका संतुलन बनाए रखना हमारा परम कर्तव्य होना चाहिए. पर्यावरण की सुरक्षा हमारी सुरक्षा है लेकिन पर्यावरण असंतुलन के कारण कई सारे प्रदूषण पर्यावरण में विकसित हो गए हैं. इनसे निजात पाने के लिए हमें पर्यावरण का महत्व समझना होगा
पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ
पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ है – हमारे चारों ओर का जल-वायु आदि का आवरण अर्थात् घेरा, वैज्ञानिक दृष्टि से पर्यावरण का अभिप्राय उस प्राकृतिक वातावरण से है जिसमें हम साँस लेते हैं और जीवन जीते हैं. इसके अन्तर्गत प्रकृति के पृथ्वी, जल, वायु, आकाश, ध्वनि आदि सभी तत्त्वों से युक्त सम्पूर्ण परिवेश आता है
प्रदूषण का अभिप्राय है – दूषित अर्थात् गन्दा करना, इस प्रकार पर्यावरण प्रदूषण का आशय प्राकृतिक वातावरण के स्वच्छ न होने से है. वातावरण तभी स्वच्छ नहीं रहता जब प्राकृतिक सन्तुलन में दोष पैदा हो जाते हैं. इस प्रकार पर्यावरण-प्रदूषण से तात्पर्य उस प्राकृतिक असन्तुलन से है जो प्रकृति या वातावरण में पैदा हो गया है
पर्यावरण प्रदूषण के कारण
पर्यावरण प्रदूषण के कारण अनेक हैं, परन्तु सबसे बड़ा कारण तीव्र गति से हो रही वैज्ञानिक प्रगति है. भौतिक सुविधाओं को जुटाने के लिए कल-कारखानों से युक्त औद्योगिक नगर बस गए हैं. उनका रासायनिक कूड़ा-कचरा, गन्दा जल, मशीनों का शोर सब मिलकर हमारे पर्यावरण को दूषित कर रहे हैं. ग्रीन हाऊस गैसों ने आकाश की ओजोन परत में छेद कर दिया है
परमाणु विस्फोटों से मैदान और पहाड़ सब कॉप उठे हैं. परमाणु विस्फोटों से उत्पन्न ऊष्मा, कल-कारखानों से उत्पन्न ऊष्मा और धुएँ आदि से वातावरण में गरमी बढ़ गई है जिससे सम्पूर्ण धरती मौसम बदल जाने के संकट से जूझ रही है
वातावरण में बढ़ती गर्मी के कारण ग्लेशियर पिघलकर सिकुड़ते जा रहे हैं जिससे समुद्र का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. इससे जहाँ एक ओर समुद्रतटीय नगरों के समुद्र में समा जाने का खतरा मँडराने लगा है, वहीं ग्लेशियरों के सिकुड़ने से सदा वाहिनी नदियों के सूख जाने का संकट भी आ खड़ा हुआ है
जनसंख्या विस्फोट भी पर्यावरण प्रदूषण का एक बड़ा कारण है. जनसंख्या की अधिकता के कारण पर्यावरण असन्तुलन बढ़ा है. जल, आवास आदि आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वनों को काटा जा रहा है. शहरीकरण से गन्दगी बढ़ी है. धुएँ, शोर, तनाव और अनेक संक्रामक रोगों से लोग घिर रहे हैं
पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार
पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य चार प्रकार हैं –
- जल प्रदूषण
- वायु प्रदूषण
- ध्वनि प्रदूषण
- रेडियोधर्मी प्रदूषण
जल प्रदूषण – कल-कारखानों का गन्दा जल नदी नालों में मिलकर न केवल जल प्रदूषण फैला रहा है, वरन् अनेक रोग भी फैला रहा है. देखने में आ रहा है कि कल-कारखानों बहुल क्षेत्रों में भूगर्भीय जल भी अब प्रदूषित होने के कगार पर है
वायु प्रदूषण – वायु प्रदूषण महानगरों की मुख्य समस्या है. तेल या डीजल से चलनेवाले काला धुआँ उड़ाते वाहन, बड़े-बड़े उद्योगों की चिमनियों से निकलती विषैली गैसे सब मिलकर बड़ी तेजी से हमारे वायुमण्डल को अधिकाधिक प्रदूषित करते जा रहे हैं
ध्वनि प्रदूषण – प्रदूषण का तीसरा रूप है ध्वनि-प्रदूषण फैक्ट्रियों, मशीनों, वाहनों, ध्वनि-विस्तारकों, आनन्द-उत्सवों आदि द्वारा इतना शोर होने लगा है कि आज लोगों के बहरे होने तक की स्थिति पैदा हो गई है. सभी प्रकार की कर्णकटु ध्वनि पर्यावरण में असन्तुलन फैलाती हैं
रेडियोधर्मी प्रदूषण – रेडियोधर्मी प्रदूषण परमाणु अस्त्र-शस्त्रों के प्रयोग से उत्पन्न होता है. हजारों-लाखों निरपराध लोगों को अपनी शक्ति के प्रभाव से मौत की नींद सुला देने के बाद भी रेडियोधर्मी प्रदूषण का प्रभाव अनेक वर्षों तक रहता है और यह आने वाली पीढ़ियों तक के लिए संकट उत्पन्न कर देता है. परमाणु विस्फोटों से वायु-प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण भी फैलता है
पर्यावरण प्रदूषण का निवारण
पर्यावरण प्रदूषण का निवारण करना सरकार से अधिक जनता का उत्तरदायित्व है. इसे रोकने का सर्वप्रभावी उपाय है जन-चेतना या जन-जागरण, जनता और सरकार दोनों को मिलकर इसकी रोकथाम पर गम्भीरता से कार्य करना चाहिए इसके कुछ उपाय हैं
- वनों और वृक्षों का संरक्षण
- वृक्षारोपण
- प्रदूषित जल और मल के निस्तारण की उचित व्यवस्था करना
- ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाना
- सामाजिक और जनहितकारी नियमों के उल्लंघन पर दोषी को दण्डित करना भी एक नियन्त्रणकारी उपाय है
उपसंहार
यदि हम मानव की चहुंमुखी उन्नति चाहते हैं तो हमें पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम पर ध्यान देना होगा. प्रकृति ने हमें सुन्दर स्वस्थ वातावरण प्रदान किया है. हम स्वयं ही प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर उसे असंतुलित कर रहे हैं. हम ठीक वैसा ही कार्य कर रहे हैं जैसा कि कोई व्यक्ति उसी डाल को काटे जिस पर वह स्वयं बैठा हो
केवल भौतिक उन्नति मानव जीवन का ध्येय नहीं है. यदि इस वैज्ञानिक विकास से स्वयं मनुष्य के अस्तित्व का संकट खड़ा हो जाता है तो इस वैज्ञानिक समृद्धि पर पुनर्विचार की आवश्यकता है. हमें पर्यावरण के प्रत्येक प्रदूषण को रोकने के लिए गम्भीर और सक्रिय होना पड़ेगा. आज की यह सर्वप्रमुख आवश्यकता है
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संक्षेप में –
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