Protein Kya hai : हम सभी ने कई बार विज्ञापनों या समाचारों में जरूर देखा है कि प्रोटीन हमारे शरीर की ग्रोथ के लिए अति आवश्यक है. क्या आप जानना चाहते हैं प्रोटीन क्या होता है? तो आपने एकदम सही पोस्ट को चुना है
आपका स्वागत है MDS BLOG में, आज आपको प्रोटीन के बारे में जानकारी दी गई है कि प्रोटीन क्या है और इसका महत्व तथा प्रोटीन के कार्य कौन-कौन से हैं और यह कितने प्रकार का होता है? तो आइए इस पोस्ट को पूरा पढ़िए और जानिए आखिर Protein Kya hai
प्रोटीन क्या है – Protein Kya hai
प्रोटीन एक जटिल कार्बनिक यौगिक है जो बहुत से अमीनो अम्लो से मिलकर बनता है. विश्व में प्रत्येक प्राणी कोशिकाओं से बना है. कोशिकाएं जीवन की आधारभूत इकाईयां हैं और इन कोशिकाओं की संरचना का एक बड़ा हिस्सा प्रोटीन से बना होता है
हमारे शरीर में 1000 खरब कोशिकाएं हैं. नई कोशिकाओं का निर्माण और पुरानी कोशिकाओं के नष्ट होने की प्रक्रिया जीवनभर चलती रहती है. लेकिन, भोजन में प्रोटीन की कमी होने पर शरीर में नई कोशिकाओं का निर्माण नहीं हो पाता जिसके कारण शरीर के विभिन्न कार्य बाधित हो जाते हैं
हमारे सक्रिय, स्वस्थ और उम्र के अनुरूप युवा रहने के लिए प्रोटीन सबसे आवश्यक पोषक तत्व है. शरीर के संपूर्ण विकास, सुरक्षा, रख-रखाव व प्रत्येक अंग के उचित संचालन में प्रोटीन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं
प्रोटीन हड्डियों, मसल्स, शरीर के मुख्य द्रव्यों (रक्त, हॉर्मोन) आदि और ऊतकों (बाल, नाखून, त्वचा) आदि की संरचना का आधार होते हैं. हमारे आहार में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन व फैट सभी के पाचन के लिए जरूरी एंजाइम भी प्रोटीन से बनते हैं. इसलिए हमारे दैनिक आहार में पर्याप्त प्रोटीन होना बहुत जरूरी है
प्रोटीन की संरचना का आधार एमिनो एसिड नामक अणुओं की एक श्रृंखला होती है. पाचन के दौरान आहार में शामिल प्रोटीन, विभिन्न एमीनो एसिड अणुओं में विघटित हो जाते हैं और उपयोग के लिए लिवर में अवशोषित व संग्रहित हो जाते हैं
शरीर इन एमीनो एसिड अणुओं का आवश्यकतानुसार उपयोग प्रोटीन के निमार्ण में करता है. जो एमिनो एसिड प्रोटीन के निर्माण में इस्तेमाल नहीं होते वे विघटित होकर शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं
प्रोटीन का महत्व – Importance of Protein in Hindi
सभी जीवित प्राणियों के भोजन में प्रोटीन का विशेष महत्त्वपूर्ण स्थान है. प्राणियों के शरीर के निर्माण, विकास एवं रख-रखाव के लिए प्रोटीन आवश्यक है. प्रोटीन को सर्वोत्तम खाद्य-पदार्थ माना जाता है. वास्तव में इसी पदार्थ से जीवित कोषों के आधार जीवद्रव्य (Protoplasm) का निर्माण होता है. प्राणियों के शरीर में पानी के अतिरिक्त सर्वाधिक भाग प्रोटीन का ही होता है
शरीर में प्रोटीन का अधिकतर भाग शरीर के तंतुओं में रहता है. तंतुओं के अतिरिक्त रक्त, एंजाइम्स, हार्मोन, हड्डियों तथा दाँतों में भी कुछ मात्रा में प्रोटीन होता है. शरीर के लिए प्रोटीन का विशेष महत्त्व है. ऑक्सीजन की उपस्थिति में प्रोटीन का ऑक्सीकरण होता है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर को शक्ति प्राप्त होती है
प्रोटीन के कार्य – Protein ke Karya
शरीर के बिल्डिंग ब्लॉक्स के रूप में व्यापक रूप से उपयोगी प्रोटीन कई अन्य कार्य भी करते हैं. आइए इनके बारे में भी आपको जानकारी देता हूं
संरचनात्मक तत्व – प्रोटीन हमारी मसल्स (मांसपेशियों) का मुख्य हिस्सा होते हैं. हमारे शारीरिक वजन का लगभग 18 प्रतिशत भाग प्रोटीन ही होते हैं
मरम्मत और रखरखाव – घाव भरने की प्रक्रिया, क्षतिग्रस्त टिश्यूज़ की मरम्मत, शारीरिक संरचना व विभिन्न कार्य प्रणालियों के रखरखाव के लिए प्रोटीन जरूरी होते हैं
इम्यून सिस्टम – प्रोटीन एंटीबॉडी के निर्माण द्वारा संक्रमण और बीमारियों की रोक-थाम में मदद करते हैं. एंटीबॉडी प्रोटीन शरीर में हानिकारक वायरस और बैक्टीरिया को पहचान कर उन्हें नष्ट करने में मदद करते हैं
संरक्षण – केरोटिन नामक प्रोटीन त्वचा, बालों और नाखूनों में प्रयुक्त होता है व वातावरण के हानिकारक प्रभावों से शरीर की रक्षा करता है
एंजाइम – एंजाइम ऐसे प्रोटीन हैं जो शरीर में रासायनिक प्रतिक्रियाओं की गतिशीलता बढ़ाते हैं. उदाहरण के लिए – कुछ एंजाइम प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट व फैट के अणुओं को पाचन द्वारा छोटे अणुओं में तोड़ कर उनके अवशोषण में मदद करते हैं. कुछ अन्य एंजाइम आनुवांशिक गुणसूत्रों के आधार डीएनए के निर्माण में भूमिका निभाते हैं
विभिन्न हॉर्मोनों के निर्माण में प्रोटीन सहायक होते हैं. उदाहरण के लिए – प्रोटीन से बने दो हॉर्मोन इंसुलिन व ग्लूकागॉन रक्त शर्करा के स्तर के नियमन में मदद करते हैं
प्रोटीन कितने प्रकार के होते हैं – Protein ke Prakar
विभिन्न खाद्य पदार्थों में उपस्थित प्रोटीन की न्यूट्रीशनल गुणवत्ता उनकी एमिनो एसिड संरचना में भिन्नता के कारण अलग-अलग होती है. एमिनो एसिड संरचना के आधार पर प्रोटीन दो श्रेणियों में वर्गीकृत किए गए हैं यानी दो प्रकार के होते हैं
- पूर्ण या प्रथम श्रेणी के प्रोटीन
- अपूर्ण या द्वितीय श्रेणी के प्रोटीन
प्रथम श्रेणी के प्रोटीन
वे प्रोटीन जिनमें सभी आवश्यक एमीनो एसिड पर्याप्त मात्रा में होते हैं प्रथम श्रेणी के प्रोटीन कहलाते हैं. ये बेहतर गुणवत्ता वाले प्रोटीन होते हैं तथा शरीर में इनका सर्वाधिक पाचन और अवशोषण होता है. सोयाबीन प्रथम श्रेणी के प्रोटीन का स्रोत है. इसमें अच्छी मात्रा और गुणवत्ता का प्रोटीन होता है. दूध का प्रोटीन भी एक पूर्ण प्रोटीन होता है
अंडे, मांस आदि से भी पूर्ण प्रोटीन मिलता है लेकिन इनमें कॉलेस्ट्रॉल और फैट की अधिकता के कारण इनके सेवन से फैटी लिवर, हृदय रोग, डायबिटीज़, मोटापा आदि स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. अतः पशुओं से प्राप्त प्रोटीन के सेवन से बचना चाहिए
द्वितीय श्रेणी के प्रोटीन
ये ऐसे प्रोटीन होते हैं जिनमें एक या एक से अधिक प्रकार के आवश्यक एमीनो एसिड नहीं होते हैं. इन निम्न गुणवत्ता के प्रोटीन्स का पाचन व अवशोषण प्रथम श्रेणी के प्रोटीन की तुलना में बहुत कम होता है. सोयाबीन के अलावा लगभग सभी शाकाहारी प्रोटीन जैसे फलियां, दालें, नट्स, साबुत अनाज, पत्तेदार सब्जियां द्वितीय श्रेणी के प्रोटीन होते हैं. इनमें से कोई भी एक अकेला स्रोत हमारे लिए आवश्यक प्रोटीन की मात्रा की पूर्ति नहीं कर सकता
प्रोटीन की कमी से क्या होता है?
प्रोटीन के विभिन्न स्रोत उपलब्ध होने के बावजूद प्रोटीन का अपर्याप्त सेवन करने के कारण कई लोगों में प्रोटीन की कमी के लक्षण पाये जाते हैं. प्रोटीन की कमी के कारणों में सीमित डाइट, प्रोटीन के शारीरिक कार्यों और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों के बारे में जानकारी का अभाव भी हो सकता है
चूंकि सोया प्रोटीन के अलावा अन्य शाकाहारी प्रोटीन निम्न गुणवत्ता वाले होते हैं. इसलिए अधिकांशतः शाकाहारियों में प्रोटीन की कमी होती है
मसल्स की हानि, असमय बुढ़ापा, रुखी त्वचा, कमज़ोर दृष्टि, नाखूनों का टूटना, असमय बालों का झड़ना, बार-बार बीमार पड़ना, घावों के भरने में देरी, थकान व आलस, कमज़ोरी, एनीमिया, डिप्रेशन, मूड ठीक न रहना, रक्त शर्करा के स्तर का असामान्यतः घटना-बढ़ना, पाचन में कठिनाई, मसल्स और जोड़ों के दर्द और बच्चों के विकास में बाधा, आदि प्रोटीन की कमी के लक्षणों के कुछ उदाहरण हैं
Read More ⇓
क्या प्रोटीन की अधिक मात्रा का सेवन हानिकारक है ?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा प्रोटीन के दैनिक सेवन की मात्रा 1 ग्राम प्रति किलोग्राम (शारीरिक वज़न) के अनुसार सुझाई गई है. लेकिन 2 ग्रा. प्रति किग्रा प्रतिदिन तक का प्रोटीन का अधिकतम दैनिक सेवन सुरक्षित माना जाता है. यानि एक दिन में 60 से 120 ग्राम तक का प्रोटीन का सेवन 60 Kg शारीरिक वजन वाले व्यक्ति कर सकते हैं यानी आपके शारीरिक वजन के अनुसार आपको प्रोटीन की आवश्यकता होती है
लंबे समय तक इस सीमा के ऊपर प्रोटीन के नियमित सेवन से स्वास्थ्य के लिए दुष्प्रभाव हो सकते हैं. गाउट, जोड़ों में यूरिक एसिड नामक तत्व के कणों के जमा होने की वजह से होने वाला एक प्रकार का गठिया रोग है
शरीर में कोशिकाओं के टूटने और प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ में अधिकतर मौजूद प्यूरीन नामक तत्व के विघटन से यूरिक एसिड नामक रसायन उत्पन्न होता है. जब शरीर यूरिक एसिड का उचित उपयोग नहीं कर पाता तो जोड़ों में इसके कणों के संग्रहण से हमें जोड़ों खासकर, पांव की एड़ी और मसल्स में दर्द और सूजन आदि लक्षण दिख सकते हैं
रक्त में यूरिक एसिड का स्तर महिलाओं के लिए 6mg/dl से ऊपर और पुरुषों में 7 mg/dl से ऊपर होना सामान्यत: अधिक माना जाता है. गाउट के रोगियों को प्रोटीन सप्लीमेंट नहीं लेना चाहिए
शरीर के सभी महत्वपूर्ण कार्यों और जीवनभर स्वस्थ रहने के लिए प्रोटीन एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है. शरीर में प्रोटीन की कमी का कारण बिगड़ती जीवन शैली व कार्बोहाइड्रेट और शक्कर से भरपूर व प्रोटीन की न्यूनतम मात्रा वाले “सुविधाजनक फास्ट फूड” का बढ़ता प्रचलन व उपलब्धता है
अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासनिक संस्था (USFDA) के अनुसार, प्रतिदिन 25 ग्राम सोया प्रोटीन के सेवन से हृदय के स्वास्थ्य में लाभ होता है और हृदय रोग से बचाव होता है. इसलिए हमें लंबी उम्र पाने और युवा रहने के लिये प्रतिदिन 25 ग्राम सोया प्रोटीन आइसोलेट का सेवन करना चाहिए
संक्षेप में
दोस्तों अगर आपको प्रोटीन क्या है (Protein Kya Hai) यह जानकारी अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर कीजिएगा. अगर आप भी स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों को जानने के इच्छुक है तो MDS BLOG के साथ जरूर जुड़े जहां कि आपको इसी तरह की कई अच्छी-अच्छी जानकारियां दी जाती है. यह पोस्ट पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !