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Home Educational Hindi Essay

राष्ट्र-निर्माण में युवा शक्ति का योगदान पर निबंध

Sachin Sajwan by Sachin Sajwan
in Hindi Essay

नमस्कार दोस्तों क्या आप राष्ट्र-निर्माण में युवा शक्ति का योगदान पर निबंध खोज रहे हैं. तो यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी है इस पोस्ट के माध्यम से आप राष्ट्र-निर्माण में युवा शक्ति का योगदान पर निबंध कैसे लिखा जाए जान सकते हैं आइए जानते हैं

पाठ्यक्रम show
राष्ट्र-निर्माण में युवा शक्ति का योगदान पर निबंध
प्रस्तावना
युवा वर्ग और उसकी शक्ति
छात्र-असंतोष के कारण
राष्ट्र-निर्माण में छात्रों की भूमिका और योगदान
अनुसंधान के क्षेत्र में
परिपक्व ज्ञान की प्राप्ति एवं विकासोन्मुख कार्यों में उसका प्रयोग
स्वयं सचेत रहते हुए सजगता का वातावरण उत्पन्न करना
नैतिकता पर आधारित गुणों का विकास
कर्त्तव्यों का निर्वाह
अनुशासन की भावना को महत्त्व प्रदान करना
समाज सेवा
उपसंहार

राष्ट्र-निर्माण में युवा शक्ति का योगदान पर निबंध

राष्ट्र-निर्माण में युवा शक्ति का योगदान पर निबंध

प्रस्तावना

सच्चा विद्यार्थी वही है जिसके मन में विद्यार्जन के प्रति सच्ची जिज्ञासा और लगन हो जो विद्या-प्राप्ति के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को देखकर आनंदित होता हो तथा जो विद्या को केंद्र बनाकर अन्य सब बातों को भूल जाता हो

एक सच्चे विद्यार्थी के रूप में प्रत्येक विद्यार्थी का यह भी कर्त्तव्य है कि वह ज्ञान संपन्न होकर राष्ट्र-निर्माण की दिशा में अपना सक्रिय योगदान दे और देश को एक विकसित राष्ट्र बनाएं

युवा वर्ग और उसकी शक्ति

आज का छात्र कल का नागरिक होगा उसी के सबल कंधों पर देश के निर्माण और विकास का भार होगा. किसी भी देश के युवक-युवतियाँ शक्ति का अथाह सागर होते हैं और उनमें उत्साह का अजस्र-स्रोत होता है

आवश्यकता इस बात की है कि उनकी शक्ति का उपयोग सृजनात्मक रूप में किया जाए अन्यथा वह अपनी शक्ति को तोड़-फोड़ और विध्वंसकारी कार्यों में लगा सकते हैं. यदि छात्रों की इस शक्ति को सृजनात्मक कार्य में लगा दिया जाए तो देश का कायापलट हो सकता है

छात्र-असंतोष के कारण

छात्रों के इस असंतोष के क्या कारण है? वे अपनी शक्ति का दुरुपयोग क्यों और किसके लिए कर रहे हैं? ये कुछ विचारणीय प्रश्न हैं इसका प्रथम कारण है आधुनिक शिक्षा-प्रणाली का दोषयुक्त होना है

इस शिक्षा प्रणाली से विद्यार्थी का बौद्धिक विकास नहीं होता तथा यह विद्यार्थियों को व्यावहारिक ज्ञान नहीं कराती परिणामतः देश में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या बढ़ती ही जा रही है

जब छात्र को यह पता ही है कि अंतत: उसे बेरोजगार ही भटकना है तो वह अपने अध्ययन के प्रति लापरवाही प्रदर्शित करने लगता है विद्यार्थियों पर राजनैतिक दलों के प्रभाव के कारण भी छात्र-असंतोष पनपता है

कुछ स्वार्थी तथा अवसरवादी राजनीतिज्ञ अपने स्वार्थों के लिए विद्यार्थियों का प्रयोग करते हैं. आज का विद्यार्थी निरुद्यमी तथा आलसी भी हो गया है वह परिश्रम से कतराता है और येन-केन-प्रकारेण डिग्री प्राप्त करना अपना लक्ष्य बना लेता है इसके अतिरिक्त समाज के प्रत्येक वर्ग में फैला हुआ असंतोष भी विद्यार्थियों के असंतोष को उभारने का मुख्य कारण है

राष्ट्र-निर्माण में छात्रों की भूमिका और योगदान

आज का विद्यार्थी कल का नागरिक होगा और पूरे देश का भार उसके कंधों पर ही होगा इसलिए आज का विद्यार्थी जितना प्रबुद्ध, कुशल, सक्षम और प्रतिभासंपन्न होगा देश का भविष्य भी उतना ही उज्ज्वल होगा

इस दृष्टि से विद्यार्थी के कंधों पर अनेक दायित्व आ जाते हैं जिनका निर्वाह करते हुए वह राष्ट्र-निर्माण के क्षेत्र में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता है. राष्ट्र-निर्माण में विद्यार्थियों के योगदान की चर्चा इस प्रकार की जा सकती है

अनुसंधान के क्षेत्र में

आधुनिक युग विज्ञान का युग है जिस देश का विकास जितनी शीघ्रता से होगा वह देश उतना ही महान् होगा. अतः विद्यार्थियों के लिए यह आवश्यक है कि वे नवीनतम अनुसंधानों के द्वार खोलें, चिकित्सा के क्षेत्र में अध्ययनरत विद्यार्थी औषध और सर्जरी के क्षेत्र में नवीन अनुसंधान कर सकते हैं

वे मानव-जीवन को अधिक सुरक्षित और स्वस्थ बनाने का प्रयास कर सकते हैं. इसी प्रकार इंजीनियरिंग में अध्ययनरत विद्यार्थी विविध प्रकार के कल-कारखानों और पुर्जों आदि के विकास की दिशा में अपना योगदान दे सकते हैं

परिपक्व ज्ञान की प्राप्ति एवं विकासोन्मुख कार्यों में उसका प्रयोग

जीवन के लिए परिपक्व ज्ञान परम आवश्यक है. अधकचरे ज्ञान से गंभीरता नहीं आ सकती, उससे भटकाव की स्थिति पैदा हो जाती है

इसीलिए यह आवश्यक है कि विद्यार्थी अपने ज्ञान को परिपक्व बनाएँ तथा अपने परिवार के सदस्यों को ज्ञान संपन्न करने देश की सांस्कृतिक संपदा का विकास करने आदि विभिन्न दृष्टियों से अपने इस परिपक्व ज्ञान का सदुपयोग करें

स्वयं सचेत रहते हुए सजगता का वातावरण उत्पन्न करना

विद्यार्थी सजग और सचेत रहकर ही राष्ट्र-निर्माण में योगदान दे सकते हैं. विश्व तेजी से आगे बढ़ रहा है अब प्रगति के मार्ग में भारी प्रतिस्पर्धाओं का सामना करना पड़ता है

इन प्रतिस्पर्धाओं में सम्मिलित होने के लिए आवश्यक है कि विद्यार्थी सामाजिक गतिविधियों के प्रति सचेत रहें और दूसरों को भी इस दिशा में लाभान्वित करें

नैतिकता पर आधारित गुणों का विकास

मनुष्य का विकास स्वस्थ बुद्धि और चिंतन के द्वारा ही होता है. इन गुणों का विकास नैतिक विकास पर निर्भर है इसलिए अपने और राष्ट्र-जीवन को समृद्ध बनाने के लिए विद्यार्थियों को अपना नैतिक बल बढ़ाना चाहिए तथा समाज में अपने नैतिक जीवन पर आधारित उदाहरण प्रस्तुत करने चाहिए

कर्त्तव्यों का निर्वाह

आज का विद्यार्थी समाज में रहकर ही अपनी शिक्षा प्राप्त करता है. पहले की तरह वह गुरुकुल में जाकर नहीं रहता। इसलिए उस पर अपने राष्ट्र, परिवार और समाज आदि के प्रति अनेक उत्तरदायित्व आ गए हैं

जो विद्यार्थी अपने इन कर्तव्यों का निर्वाह करता है उसे ही हम सच्चा विद्यार्थी कह सकते हैं. इस प्रकार राष्ट्र-निर्माण के लिए कर्तव्य परायणता की भावना का विकास होना परम आवश्यक है

अनुशासन की भावना को महत्त्व प्रदान करना

अनुशासन के बिना कोई भी कार्य सुचारु रूप से संपन्न नहीं हो सकता राष्ट्र-निर्माण का तो मुख्य आधार ही अनुशासन है. इसलिए विद्यार्थियों का दायित्व है कि वे अनुशासन में रहकर देश के विकास का चितन करें

जिस प्रकार कमजोर नींववाला मकान अधिक दिनों तक स्थायी नहीं रह सकता, उसी प्रकार अनुशासनहीन राष्ट्र अधिक समय तक सुरक्षित नहीं रह सकता विद्यार्थियों को अनुशासित सैनिकों के समान अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए, तभी वे राष्ट्र-निर्माण में योगदान दे सकते हैं

समाज सेवा

हमारा पालन-पोषण, विकास, ज्ञानार्जन आदि समाज में रहकर ही संभव होता है अत: हमारे लिए यह भी आवश्यक है कि हम अपने समाज के उत्थान की दिशा में चिंतन और मनन करें

विद्यार्थी समाज-सेवा द्वारा अपने देश के उत्थान में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं वे शिक्षा का प्रचार कर सकते हैं और अशिक्षितों को शिक्षित बना सकते हैं

इसी प्रकार छुआछूत की कुरीति को समाप्त करके भी विद्यार्थी समाज के एक उपयोगी वर्ग को अपने कर्त्तव्य का पालन करने की प्रेरणा दे सकते हैं

उपसंहार

विद्याध्ययन से विद्यार्थियों में चितन और मनन की शक्ति का विकास होना स्वाभाविक है किंतु कुछ विपरीत परिस्थितियों के फलस्वरूप अनेक छात्र समाज-विरोधी कार्यों में लग जाते हैं इससे देश और समाज की हानि होती है

भविष्य में देश का उत्तरदायित्व विद्यार्थियों को ही संभालना है इसलिए यह आवश्यक है कि वे राष्ट्रहित के विषय में विचार करें और ऐसे कार्य करें, जिनसे हमारा राष्ट्र प्रगति के सोपानों पर चढ़ सके

जब विद्यार्थी समाज-सेवा का लक्ष्य बनाकर जतनी आगे बढ़ेंगे तभी वे सच्चे राष्ट्र-निर्माता कहला सकेंगे इसलिए यह आवश्यक है कि विद्यार्थी अपनी शक्ति का सही मूल्यांकन करते हुए उसे सृजनात्मक कार्यों में लगाएँ

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  • राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबंध
  • भारत पर निबंध
  • राष्ट्रीय एकता पर निबंध
  • प्रदूषण पर निबंध

संक्षेप में

दोस्तों मुझे उम्मीद है आपको राष्ट्र-निर्माण में युवा शक्ति का योगदान और भूमिका पर निबंध अच्छा लगा होगा. अगर आपको यह निबंध पसंद आया है तो इसे जरूर शेयर कीजिएगा

दोस्तों MDS BLOG आपको कई तरह की शिक्षात्मक जानकारियां से वाकिफ कराता है. अगर आप नई-नई शिक्षात्मक जानकारियों को जानने में दिलचस्पी लेते हैं तो MDS Blog के साथ जरूर जुड़िए. MDS Blog पर पोस्ट पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया

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