RSS Prarthana : क्या आप भी आरएसएस की प्रार्थना खोज रहे हैं तो यह पोस्ट आपने एकदम सही खोली है. नमस्कार आपका स्वागत है MDS Blog में
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जिसे की आरएसएस (RSS) के नाम से जाना जाता है, की स्थापना 1925 में विजयदशमी के दिन नागपुर में केशवराव बलिराम हेडगेवार जी ने की थी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में 3 शब्द है इनका अर्थ है – अपने राष्ट्र भारत की निस्वार्थ भावना से सेवा करने हेतु स्वयं प्रेरणा से कार्य करने वाले लोग, जिन्हें स्वयंसेवक के रूप में जाना जाता है. आइए आज मैं आपको आरएसएस की प्रार्थना “Namaste Sada Vatsale Matribhume” हिंदी अर्थ सहित बताऊंगा
आरएसएस की प्रार्थना – RSS Prarthana

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम् ।
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते ॥१॥
प्रभो शक्तिमनु हिन्दुराष्ट्रङ्गभूता
इमे सादर त्वां नमामो वयम्
त्वदीयाय कार्याय बद्धा कटीयम्
शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये ।
अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिम्
सुशील जगद येन नम्र भवेत्
श्रुतं चैव यत् कण्टकाकीर्णमार्गम्
स्वयं स्वीकृतं नः सुगङ्कारयेत् ॥ २ ॥
समुकर्ष निःश्रेयसस्यैकमुग्रम्
परं साधनं नाम वीरव्रतम्
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा
हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्राऽनिशम् ।
बिजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्
विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रम्
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम् ॥ ३ ॥
॥ भारत माता की जय ॥
आरएसएस प्रार्थना हिंदी अर्थ – RSS prayer with Meaning in Hindi
“नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम् ।
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते” ॥१॥
अर्थ ➥ हे प्यार करने वाली मातृभूमि! मैं तुझे सदैव नमस्कार करता हूँ. तूने मेरा सुख से पालन-पोषण किया है. हे महामंगलमयी पुण्यभूमि! तेरे ही कार्य में मेरा यह शरीर अर्पण हो. मैं तुझे बारम्बार नमस्कार करता हूँ
प्रभो शक्तिमनु हिन्दुराष्ट्रङ्गभूता
इमे सादर त्वां नमामो वयम्
त्वदीयाय कार्याय बद्धा कटीयम्
शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये ।
अर्थ ➥ हे सर्वशक्तिशाली परमेश्वर! हम हिन्दूराष्ट्र के अंगभूत तुझे आदरसहित प्रणाम करते है. तेरे ही कार्य के लिए हमने अपनी कमर कसी है. उसकी पूर्ति के लिए हमें अपना शुभाशीर्वाद दे
अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिम्
सुशील जगद येन नम्र भवेत्
श्रुतं चैव यत् कण्टकाकीर्णमार्गम्
स्वयं स्वीकृतं नः सुगङ्कारयेत् ॥ २ ॥
अर्थ ➥ हे प्रभु! हमें ऐसी शक्ति दे, जिसे विश्व में कभी कोई चुनौती न दे सके, ऐसा शुद्ध चारित्र्य दे जिसके समक्ष सम्पूर्ण विश्व नतमस्तक हो जाये, ऐसा ज्ञान दे कि स्वयं के द्वारा स्वीकृत किया गया यह कंटकाकीर्ण मार्ग सुगम हो जाये
समुकर्ष निःश्रेयसस्यैकमुग्रम्
परं साधनं नाम वीरव्रतम्
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा
हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्राऽनिशम् ।
अर्थ ➥ उग्र वीरव्रती की भावना हम में उत्स्फूर्त होती रहे जो उच्चतम आध्यात्मिक सुख एवं महानतम ऐहिक समृद्धि प्राप्त करने का एकमेव श्रेष्ठतम साधन है. तीव्र एवं अखंड ध्येयनिष्ठा हमारे अंतःकरणों में सदैव जागती रहे
विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्
विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रम्
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम् ॥ ३ ॥
अर्थ ➥ तेरी कृपा से हमारी यह विजयशालिनी संघठित कार्यशक्ति हमारे धर्म का सरंक्षण कर इस राष्ट्र को वैभव के उच्चतम शिखर पर पहुँचाने में समर्थ हो
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक कौन थे?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार थे
आरएसएस की स्थापना कब हुई?
आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का क्या अर्थ है?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक का अर्थ है – अपने राष्ट्र भारत की निस्वार्थ भावना से सेवा करने हेतु स्वयं प्रेरणा से कार्य करने वाले लोगों का संघ
RSS का फुल फॉर्म क्या है?
RSS का फुल फॉर्म राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है
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संक्षेप में
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Jay Shriram