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आरटीआई (RTI) क्या है और इसका फुल फॉर्म

क्या आप जानना चाहते हैं आरटीआई क्या है (What is RTI in hindi) और आरटीआई का जवाब आने में कितने दिन लगते हैं. दोस्तों आज की पोस्ट में मैं आपको आरटीआई की जानकारी दूंगा तो आपकी जानकारी के लिए बता दें आरटीआई मलतब सूचना का अधिकार है.

जिसे की अंग्रेजी में Right to Information कहा जाता है. दोस्तों यह कानून हमारे देश में 2005 में लागू हुआ जिसका उपयोग करके आप सरकार और किसी भी विभाग से सूचना मांग सकते हैं. आमतौर पर लोगों को इतना ही पता होता है कि आरटीआई का मतलब सूचना का अधिकार है परंतु आज मैं आपको इसके बारे में कुछ और रोचक जानकारी देता हूँ

आरटीआई क्या है – What is RTI in Hindi

आरटीआई क्या है – What is RTI in Hindi, RTI kya hai

2005 अपनी यात्रा में काफी उपलब्धियां हासिल कर चुका है. दोस्तों भारत में सूचना का अधिकार जिसे कि आरटीआई कहा जाता है को 12 अक्टूबर 2005 में पारित किया गया जिसके तहत किसी भी नागरिक को किसी भी विभाग से सूचना प्राप्त करने का पूर्ण अधिकार है.

दोस्तों अगर दूसरे शब्दों में बताएं तो भारत में प्रतिदिन बढ़ते भ्रष्टाचार को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा 2005 में एक अधिनियम लागू किया गया जिसे कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) के नाम से जाना जाता है. भ्रष्टाचार एक ऐसी समस्या है जो कि किसी भी राष्ट्र को खोखला बनाने के लिए काफी है

आरटीआई के तहत अगर किसी पदों पर नियुक्त अधिकारी अपना काम सही से नहीं कर रहे है तो लोगों को अपने हक की लड़ाई लड़ने का पूर्ण अधिकार है. दोस्तों नागरिकों को न केवल महत्वपूर्ण सूचनाएं ही प्राप्त हो रही हैं बल्कि ये सूचनाएं कई बार सिर्फ सूचनाओं तक ही नहीं सीमित होकर अपनी उपयोगिता कई परिप्रेक्ष्य में सिद्ध कर रही है.

केंद्र, राज्य स्तर पर सभी विभागों में सूचना का अधिकार लागू है और इसके लिए अलग विभाग से लेकर कार्यालयों में सूचना की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए कार्यरत कर्मचारियों को मनोनीत लोक सूचना अधिकारी के रुप में नियुक्त किया गया गया है. सूचना की अनुपलब्धता की स्थिति में प्रथम अपीलीय प्राधिकारी, द्वितीय अपील के साथ कुछ विशेष स्थितियों में सीधे तौर आयोग में भी अपील की जा सकती है.

कई राज्यों ने सूचना के अधिकार में लोगों की सहायता के लिए सूचना और प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए पूरी तरह से समर्पित आरटीआई की वेबसाईट का निर्माण किया है और आवेदन करने और उसे जमा करने के लिए ऑनलाईन का विकल्प भी उपलब्ध कराया है. कुछ राज्यों ने टोल फ्री नंबर की सेवा भी प्रारंभ की है.

आम लोगों के लिए सूचना का अधिकार 12 अक्तूबर 2005 से देश भर में लागू हो गया है. इस अधिकार के तहत कोई भी व्यक्ति सरकार व सरकारी संस्थाओं से सूचना पा सकता है. सूचना का अधिकार एक्ट 2005 के तहत ऐसी गैर सरकारी संस्थाएँ (एनजीओ) भी आएगी, जिन्हें सरकार से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वित्तीय सहायता मिलती है.

देश की सिक्यूरिटी, इंटेलिजेंस एंजेसीज, वैज्ञानिक व आर्थिक हित से जुडी सूचनाएं इसके दायरे से नहीं आती. अधिनियम में सूचना की परिभाषा इस रूप में दी गयी है – किसी भी रूप में कोई ऐसी सामग्री जिसके अंतर्गत अभिलेख, दस्तावेज, ज्ञापन, ई-मेल, मत, सलाह, प्रेस विज्ञप्ति, परिपत्र, आदेश, लॉगबुक, संविदा (टेंडर), रिपोर्ट, कागजात, नमूने, मॉडल, आंकड़ों से संबद्ध सामग्री जिसमें इलेक्ट्रॉनिक रूप से आधारित अभिलेख भी सूचना में सम्मिलित हैं.

RTI का फुल फॉर्म 

Right to Information

आरटीआई का सांविधानिक प्रावधान

सूचना के अधिकार का दर्ज़ा उपयोगिता और इस बात से सिद्ध होता है कि संविधान में इसे मूलभूत अधिकार का दर्ज़ा दिया गया है. आरटीआई का अर्थ है सूचना का अधिकार और इसे संविधान की धारा 19 (1) के तहत एक मूलभूत अधिकार का दर्जा दिया गया है.

धारा 19 (1), जिसके तहत प्रत्‍येक नागरिक को बोलने और अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता दी गई है और यह जानने का अधिकार है कि सरकार कैसे कार्य करती है, इसकी क्‍या भूमिका है, इसके क्‍या कार्य हैं आदि

सूचना का अधिकार अधिनियम प्रत्‍येक नागरिक को सरकार से प्रश्‍न पूछने का अधिकार देता है और इसमें टिप्‍पणियां, सारांश अथवा दस्‍तावेजों या अभिलेखों की प्रमाणित प्रतियों या सामग्री के प्रमाणित नमूनों की मांग की जा सकती है.

सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम पूरे भारत में लागू है (जम्‍मू और कश्‍मीर राज्‍य के अलावा) जिसमें सरकार की अधिसूचना के तहत आने वाले सभी निकाय शामिल हैं जिसमें ऐसे गैर सरकारी संगठन भी शामिल है जिनका स्‍वामित्‍व, नियंत्रण अथवा आंशिक निधिकरण सरकार द्वारा किया गया है.

आरटीआई में शिकायत कौन कर सकता है

ऐसा व्‍यक्ति आरटीआई में शिकायत कर सकता है जिसे किसी विभाग के तहत कोई जानकारी तक पहुंच देने से मना कर दिया गया हो. ऐसा व्‍यक्ति जिसे इस अधिनियम के तहत निर्दिष्‍ट समय सीमा के अंदर सूचना के लिए अनुरोध या सूचना तक पहुंच के अनुरोध का उत्तर नहीं दिया गया हो

जिसे शुल्‍क भुगतान करने की आवश्‍यकता हो, जिसे विश्‍वास है कि उसे इस अधिनियम के तहत अपूर्ण, भ्रामक या झूठी जानकारी दी गई है. इस अधिनियम के तहत अभिलेख तक पहुंच प्राप्‍त करने या अनुरोध करने से संबंधित किसी मामले के विषय में आरटीआई में शिकायत की जा सकती है.

भारत के प्रत्येक नागरिक को सूचना का अधिकार को उपयोग करने की छूट मिली है इसके तहत कोई भी व्यक्ति किसी भी अधिकारी या फिर किसी भी विभाग द्वारा गलत जानकारी देने पर सूचना का अधिकार लगा सकता है.

दोस्तों सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के प्रावधान के तहत यह केन्‍द्रीय सूचना आयोग या राज्‍य सूचना आयोग का कर्तव्‍य है जैसा भी मामला हो, वे एक व्‍यक्ति से शिकायत प्राप्‍त करें और पूछताछ करें

जो केन्‍द्रीय सूचना लोक अधिकारी या राज्‍य सूचना लोक अधिकारी के पास अपना अनुरोध जमा करने में सफल नहीं होते इसका कारण कुछ भी हो सकता है कि उक्‍त अधिकारी या केन्‍द्रीय सहायक लोक सूचना अधि‍कारी या राज्‍य सहायक लोक सूचना अधिकारी, इस अधिनियम के तहत नियुक्‍त न किया गया हो

आरटीआई द्वारा क्या-क्या सूचनाएं नहीं दी जा सकती

सूचना का अधिकार 2005 में भी कुछ सूचनाओं को गोपनीयता के दायरे में रखा गया है. अधिनियम में निहित प्रावधानों के तहत राज्य सरकार इन सूचनाओं को देने के लिए बाध्य नहीं है सरकार निम्न लिखित सूचनाएं नही दे सकती है-

  • देश की एकता और अखंडता और सुरक्षा को नुकसान पहुँचाने वाली सूचनाएं
  • वैसे वैज्ञानिक और आर्थिक मामले जिनके सार्वजानिक होने से सरकार को नुकसान हो
  • वैसी सूचनाएं जिसके सार्वजानिक होने से न्यायालय या ट्रिब्यूनल की अवमानना हो
  • वैसी सूचनाएं जिसके सार्वजानिक होने से संसद या विधानसभा के विशेषधिकार का हनन हो
  • वैसे व्यापारिक या बौद्धिक सूचनाएं जिसके सार्वजानिक होने से प्रतिस्पर्धा में सरकार को नुकसान हो
  • किसी व्यक्ति की निजी जिंदगी से जुडी सूचनाएं
  • किसी व्यक्ति से ऐसी जुडी सूचनाएं सार्वजानिक होने से उसके जीवन को खतरा हो
  • विश्वास के आधार पर विदेश से मिली सूचनाएं
  • किसी तरह की जाँच को प्रभावित करनेवाली सूचनाएं
  • कैबिनेट के लिए तैयार किये गए दस्तावेज
  • कैबिनेट के लिए तैयार फाइल पर मंत्रिपरिषद के मत्री. विभागीय सचिव द्वारा किया गया विचार विमर्श
  • किसी से जुडी ऐसी व्यक्तिगत सूचना जिसका जनहित से कोई सम्बंध नही हो

आरटीआई का जवाब कितने दिन में आता है

दोस्तों सूचना के अधिकार में प्रावधान है कि यदि आप कोई बात पूछते हैं या जानकारी मांगते है, तो आपको वह जानकारी 15 दिनों के अंतर्गत मिल जायेगी. यदि आपको जानकारी नहीं मिलती है तो आप बड़े अफसर से शिकायत कर सकते हैं जानकारी न देनेवाले व्यक्ति को सजा देने का भी प्रावधान है.

दोस्तों धारा 7 की उपधारा 6 के अनुसार अगर आरटीआई का जवाब 30 दिन में नहीं आता है तो सूचना निशुल्क में दी जाएगी. यानी आरटीआई का जवाब आने में 15-30 दिनों का समय लग सकता है. दोस्तों धारा 6 की उपधारा 3 के अनुसारअगर आपका आवेदन गलत विभाग में चला गया है तो वह विभाग इसको सही विभाग मे 5 दिन के अंदर भेज देगा.

आरटीआई का जवाब कितने दिन में आता है? इसे ठीक से समझने के लिए हमें इसकी सूचना प्राप्ति की प्रक्रिया को समझना होगा आइए जानते हैं –

सूचना प्राप्ति की प्रक्रिया

  • आप सूचना के अधिकार अधिनियम- 2005 के अंतर्गत किसी लोक प्राधिकरण (सरकारी संगठन या सरकारी सहायता प्राप्त गैर सरकारी संगठनों) से सूचना प्राप्त कर सकते हैं.
  • आवेदन हस्तलिखित या टाइप किया होना चाहिए. आवेदन प्रपत्र भारत विकास प्रवेशद्वार पोर्टल से भी डाउनलोड किया जा सकता है. आवेदन प्रपत्र डाउनलोड संदर्भित राज्य की वेबसाईट से प्राप्त करें.
  • आवेदन अँग्रेजी, हिन्दी या अन्य प्रादेशिक भाषाओं में तैयार होना चाहिए.

अपने आवेदन में निम्न सूचनाएँ दें

  • सहायक लोक सूचना अधिकारी/लोक सूचना अधिकारी का नाम व उसका कार्यालय पता
  • विषय: सूचना का अधिकार अधिनियम- 2005 की धारा 6(1) के अंतर्गत आवेदन करें
  • सूचना का ब्यौरा, जिसे आप लोक प्राधिकरण से प्राप्त करना चाहते हैं
  • आवेदनकर्त्ता का नाम
  • पिता/पति का नाम
  • वर्ग- अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ी जाति
  • आवेदन शुल्क
  • क्या आप गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) परिवार से आते हैं- हाँ/नहीं
  • मोबाइल नंबर व ई-मेल पता (मोबाइल तथा ई-मेल पता देना अनिवार्य नहीं)
  • पत्राचार हेतु डाक पता
  • स्थान तथा तिथि
  • आवेदनकर्त्ता के हस्ताक्षर
  • संलग्नकों की सूची

आवेदन जमा करने से पहले लोक सूचना अधिकारी का नाम, शुल्क, उसके भुगतान की प्रक्रिया आदि के बारे में जानकारी प्राप्त कर लें.

सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सूचना प्राप्त करने हेतु आवेदन पत्र के साथ शुल्क भुगतान का भी प्रावधान है, परन्तु अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति या गरीबी रेखा से नीचे के परिवार के सदस्यों को शुल्क नहीं जमा करने की छूट प्राप्त है.

जो व्यक्ति शुल्क में छूट पाना चाहते हों उन्हें अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/बीपीएल प्रमाणपत्र की छायाप्रति जमा करनी होगी. आवेदन हाथो-हाथ, डाक द्वारा या ई-मेल के माध्यम से भेजा जा सकता है.

यदि आप आवेदन डाक द्वारा भेज रहे हैं तो उसके लिए केवल पंजीकृत (रजिस्टर्ड) डाक सेवा का ही इस्तेमाल करें. कूरियर सेवा का प्रयोग कभी न करें

आवेदन ई-मेल से भेजने की स्थिति में जरूरी दस्तावेज का स्कैन कॉपी अटैच कर भेज सकते हैं, लेकिन शुल्क जमा करने के लिए आपको संबंधित लोक प्राधिकारी के कार्यालय जाना पड़ेगा. ऐसी स्थिति में शुल्क भुगतान करने की तिथि से ही सूचना आपूर्ति के समय की गणना की जाती है.

आगे उपयोग के लिए आवेदन पत्र (अर्थात् मुख्य आवेदन प्रपत्र, आवेदन शुल्क का प्रमाण, स्वयं या डाक द्वारा जमा किये गये आवेदन की पावती) की 2 फोटोप्रति बनाएं और उसे सुरक्षित रखें

यदि आप अपना आवेदन स्वयं लोक प्राधिकारी के कार्यालय जाकर जमा कर रहे हों, तो कार्यालय से पावती पत्र अवश्य प्राप्त करें जिस पर प्राप्ति की तिथि तथा मुहर स्पष्ट रूप से अंकित हों. यदि आवेदन रजिस्टर्ड डाक द्वारा भेज रहे हों तो पोस्ट ऑफिस से प्राप्त रसीद अवश्य प्राप्त करें और उसे संभाल कर रखें. सूचना आपूर्ति के समय की गणना लोक सूचना अधिकारी द्वारा प्राप्त आवेदन की तिथि से आरंभ होता है.

Read This – NRC क्या है और इसका फुल फॉर्म

संक्षेप में

  • आरटीआई में हुए बदलाव को जानने के लिए यहां क्लिक करें

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