नमस्कार दोस्तों MDS BLOG में आपका स्वागत है क्या आप सदाचार पर निबंध खोज रहे हैं तो आपने एक सही पोस्ट का चुनाव किया है. आज की इस पोस्ट में हमने आपको सदाचार पर निबंध कैसे लिखा जाए इसके बारे में बताया है तो आइए सदाचार पर निबंध को जानते हैं
सदाचार पर निबंध
प्रस्तावना
मानव को सामाजिक प्राणी होने के नाते कुछ सामाजिक मर्यादाओं का पालन करना ही पड़ता है. समाज की इन मर्यादाओं में सत्य,अंहिसा, परोपकार, विनम्रता तथा सच्चरित्र आदि गुण होते है
इन सभी गुणों को यदि एक नाम में कहना चाहे तो ये सब सदाचार के अन्तर्गत आते हैै. सदाचार एक ऐसा शब्द है जिसमें समाज की सभी मर्यादाओं का पालन होता है इसलिए सामाजिक व्यवस्था के लिए सदाचार का सबसे अधिक महत्त्व माना जाता है
सदाचार शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – सत्+आचार जिसका अर्थ है आचरण अर्थात् जीवन जीने की वह पद्धति जिसमें सत्य का समन्वय है तथा जिसमें कुछ भी असत्य न कहा जाये सदाचार संसार का सबसे उत्कृष्ट पदार्थ है इसकी तुलना विद्या, कला, कविता, धन कोई भी नही कर सकता है
सदाचार का महत्व
सदाचार शब्द प्रकाश का अनन्त स्त्रोत है इससे शरीर स्वस्थ, बुद्धि निर्मल और मन प्रसन्न रहता है. सदाचार आशा और विश्वास का विशाल कोष माना जाता है सदाचारी मनुष्य संसार में किसी भी अच्छी वस्तु को प्राप्त कर सकता है और सदाचार के बिना वह उन्नति को प्राप्त नही कर सकता है चरित्र ही सदाचारी व्यक्ति की शक्ति होता है
कोई सा भी अच्छा कार्य सदाचार या चरित्र के बिना नही हो सकता है जिस सफलता को सदाचारी व्यक्ति प्राप्त कर सकता है, उसे कदाचारी कभी भी प्राप्त नही कर सकता सदाचार का पालन न करने वाले व्यक्ति को समाज में घृणा मिलती है वह हमेशा व्याधिग्रस्त रहता है तथा उसकी उम्र भी अल्प होती है
दुराचारी व्यक्ति अपना, समाज का और राष्ट्र किसी का भी उत्थान नही कर सकता है उसका जीवन सुख-शान्ति अरहित तथा अपमानजनक होता है ऐसे लोगो को ना ही तो इस लोक में सुख मिलता है और ना ही परलोक में सदगति प्राप्त होती है
‘आचार‘ शब्द का महत्त्व तो इतना है जिसे आसानी से भुलाया नही जा सकता है. सदाचार आचरण की वस्तु है, वाणी की नहीं सदाचार हमेशा मौन ही रहता है, यह बोलता नही है पूरे जीवन की आधारशिला विद्यार्थी जीवन है अतः इस विद्यार्थी जीवन की इस नींव को विनम्रता, परोपकार, सच्चरित्रता, सत्यवादिता आदि से पुष्ट होना चाहिए
सदाचार के पालन हेतु हमें हमेशा बुरे वातावरण से बचना चाहिए क्योंकि बुरे वातावरण में रहकर हम कोशिश करके भी उसके प्रभाव से नही बच पाते है सदाचार के लिए हमें अधिक से अधिक समय सत्संगति में गुजारना चाहिए
सदाचार स्वयं की, समाज की और राष्ट्र की उन्नति के लिए आवश्यक है सच्चरित्रता ही सदाचार है, जिसकी हर पल रक्षा करना हमारा दायित्व है सदाचार मनुष्य को देवत्व प्रदान करता है
सदाचारी के गुण
- सदाचारी व्यक्ति कर्म को प्रधानता देता है
- सदाचारी व्यक्ति क्रोध से दूर रहता है
- सदाचारी व्यक्ति की भावनाएं किसी को ठेस नहीं पहुंचाती है
- सदाचारी व्यक्ति दूसरों को कष्ट देने की कभी नहीं सोचता है
- सदाचारी का व्यवहार सदैव सरलता पूर्वक एवं मिलनसार होता है
- सदाचारी व्यक्ति सदैव बड़ों का आदर करता है
- सदाचारी व्यक्ति अपने आचरण से सबका मन हर लेता है इसके अलावा सदाचारी व्यक्ति अनेक गुण पाए जाते हैं जैसे कि सदैव दूसरों की सेवा सदाचारी का महत्वपूर्ण गुण है
- सदाचारी व्यक्ति सदैव अपने आचरण एवं शिक्षा को उच्चता देता है
भारत में सदाचार के उदाहरण
अगर भारत के इतिहास में सदाचारी व्यक्तियों की बात की जाए तो इनकी कोई कमी नहीं है मर्यादा पुरुषोत्तम राम सदाचार की एक महान प्रतिमा है. शिवाजी तथा महाराणा प्रताप के इतिहास में हमें सदाचार देखने को मिलता है. स्वामी विवेकानंद तथा प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों ने विदेश-देश भ्रमण करके सदाचार की एक अलग पहचान को जन्म दिया है
उपसंहार
सफल एवं अच्छे जीवन के लिए सदाचारी होना आवश्यक माना जाता है एक अच्छे चरित्र का प्रभाव व्यापक एवं अच्छे प्रकार का होता है. चरित्र का ह्रास होने से मानव योनि को कष्टों का सामना भी करना होता है
समाज की नजरों में वह व्यक्ति अच्छी छवि वाला माना जाता है जोकि सदाचारी जीवन व्यापन करता है. सदाचारी का केवल भौतिक शरीर ही नष्ट होता है लेकिन आत्मा को कभी नष्ट नहीं किया जा सकता व्यक्तिगत एवं राष्ट्रीय उत्पत्ति का एक महत्वपूर्ण भाग सदाचार है
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संक्षेप में
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