Single-use Plastic Essay in Hindi : प्लास्टिक आज संपूर्ण पर्यावरण की एक बहुत बड़ी समस्या बन चुका है जिसका यदि समय रहते समाधान नहीं ढूंढा गया तो यह जीवन के लिए एक बहुत बड़ा संकट उत्पन्न कर देगा. हो सकता है शायद जीवन का नामोनिशान मिट जाए
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका MDS BLOG में, क्या आप सिंगल यूज प्लास्टिक का उन्मूलन पर निबंध ढूंढ रहे हैं तो यह निबंध आपके लिए काफी उपयोगी है. सभी विद्यार्थी सिंगल यूज प्लास्टिक पर यह निबंध लिख सकते हैं. आइए जानते हैं
सिंगल यूज प्लास्टिक पर निबंध 500 शब्द

“सिंगल यूज प्लास्टिक का उन्मूलन,
लाएगा मानव हेतु खुशहाली भरा जीवन”
प्रस्तावना
प्लास्टिक मानव द्वारा बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाने वाला पदार्थ है. वर्तमान में भारत के साथ-साथ विश्वभर में सिंगल यूज प्लास्टिक हर घर में प्रयोग किया जा रहा है. पानी की बोतल, डिस्पोजल बर्तन, स्ट्रॉ, खाद्य सामग्री के पैकेट्स, फल-सब्जियों को लाने हेतु थैलियां सब सिंगल यूज प्लास्टिक ही बने हैं
यहाँ तक कि पका हुआ गर्म खाना भी प्लास्टिक में ही पैक करके दिया जाता है. इस प्रकार के प्लास्टिक का प्रयोग मात्र एक बार करके फेंक दिया जाता है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है
प्लास्टिक के प्रयोग की शुरुआत
सर्वप्रथम प्लास्टिक की खोज वर्ष 1907 में लियो एच बैकलैण्ड ने की थी. तभी से प्लास्टिक का प्रयोग शुरू हुआ. शुरुआत में इसे सस्ता और सुलभ होने के कारण वरदान समझा जाने लगा परंतु यह तो सम्पूर्ण मानव जाति के साथ-साथ, पशु-पक्षी सभी के लिए एक अभिशाप सिद्ध हुआ हैं. मानव द्वारा प्लास्टिक के अत्यधिक प्रयोग ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया
सिंगल यूज प्लास्टिक के हानिकारक प्रभाव
सिंगल यूज प्लास्टिक अगर फेंका जाता है तो यह 500 वर्षों तक भी नष्ट नहीं होता है. यह मृदा या जल में मिलकर उन्हें प्रदूषित कर देता है और पर्यावरणीय प्रदूषण में वृद्धि करता है. इसे जलाने पर हानिकारक गैसें निकलती हैं जो मानव सहित सभी जीव-जन्तुओं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं
कूड़े के ढ़ेर से प्लास्टिक बहुत बार पशुओं द्वारा खाने की वस्तुओं के साथ खा लिया जाता है, जिससे उनकी मृत्यु हो सकती है. जलीय जीवों हेतु भी प्लास्टिक जानलेवा साबित होता है
प्लास्टिक मृदा में मिलकर उसे बंजर बना देता है. प्लास्टिक प्रदूषण आज एक वैश्विक समस्या बन गया है. प्लास्टिक पर मानव की बढ़ती निर्भरता के कारण आज हम मनुष्यों का धरती जैसे सुंदर ग्रह पर रहना मुश्किल भरा हो चुका है
सिंगल यूज प्लास्टिक का उन्मूलन
भारत सरकार द्वारा प्लास्टिक प्रतिबंधित करने हेतु राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, जो बेहद सराहनीय हैं. इसके तहत सिंगल यूज प्लास्टिक के कचरे को एकत्र करके रिसाइकल किया जा रहा है
सिंगल यूज प्लास्टिक के पूर्णतया उन्मूलन हेतु हम सभी को प्लास्टिक के प्रयोग पर बैन लगाना होगा. विकल्प के तौर पर बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक का प्रयोग किया जा सकता है. जब हम दृढ़ संकल्पित होंगे तभी सरकार द्वारा किये ने वाले प्रयास भी सार्थक सिद्ध होंगे
उपसंहार
हम मनुष्यों को अगर अपना भविष्य सुंदर बनाना है और अपनी पृथ्वी को बचाना है ताकि मानव एक स्वस्थ जीवन जी सके, तो प्लास्टिक का उपयोग रोकना ही होगा. जन-जागरुकता फैलाकर हम यह कार्य आसानी से कर सकते हैं
इसीलिए आज एक संकल्प लें और प्लास्टिक को पूरी तरह बैन करने का हर संभव प्रयास करें. अगर हम पर्यावरण का ख्याल रखेंगे तो निश्चित तौर पर हमारा पर्यावरण भी हमारा ख्याल रखेगा
“प्लास्टिक प्रयोग पर बैन लगाएं,
स्वस्थ खुशहाल जीवन पाएं”
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“सिंगल यूज प्लास्टिक ना होता पुनः उपयोग
हानिकारक सभी के लिए लगाता कितने रोग,
निर्दोषों की मौत का कारण.. फिर भी ना समझें लोग
मुश्किल है इसका निस्तारण.. बंद करो प्रयोग”
प्रस्तावना
हमारे देश भारत में हर साल लाखों टन सिंगल यूज प्लास्टिक का उत्पादन किया जाता है, जिनमें से अधिकांश प्लास्टिक का पुनर्नवीनीकरण नहीं किया जा सकता है इसको एक बार प्रयोग में लाकर कचरे में फेंक दिया जाता है
यह जीव जन्तुओं, वनस्पति और मनुष्य सभी के जीवन हेतु अत्यंत हानिकारक है. इसीलिए भारत सरकार द्वारा भी लगातार इसको प्रतिबंधित किया जा रहा है
सिंगल यूज प्लास्टिक क्या है
सिंगल यूज प्लास्टिक को हम आम भाषा में डिस्पोजेबल प्लास्टिक कहते हैं. जिस प्लास्टिक उत्पाद को हम एक बार इस्तेमाल करने के बाद दोबारा किसी उपयोग में नहीं ले सकते हैं वे सभी उत्पाद सिंगल यूज प्लास्टिक कहलाते हैं
इस तरह के उत्पादों का मुख्य रूप से आधार पेट्रोलियम होता है. यह बहुत कम लागत में बनते हैं, इसलिए आज यह सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला उत्पाद बन गया है. हालांकि इसे खरीदने एवं यूज करने में ज्यादा खर्च नहीं होता हैं लेकिन फेंकने के बाद इसका कचरा, उसकी सफाई और उसे नष्ट करने के लिए बहुत अधिक पैसे खर्च हो जाते हैं और इस प्रक्रिया में पारिस्थितिकी को अत्यधिक नुकसान होता है
सिंगल यूज प्लास्टिक के उदाहरण
सिंगल यूज प्लास्टिक में प्लास्टिक की थैलियां, पॉलीथिन, स्ट्रॉ, प्लास्टिक के गिलास, प्लास्टिक के सोडा व पानी की बोतलें, प्लास्टिक के कप, प्लेट, डिस्पोजेबल प्रोडक्ट्स और खाद्य पैकेजिंग आइटम आदि शामिल हैं. ये सभी केवल एक बार उपयोग किए जाते हैं और फिर रिसायकल के लिए कचरे के रूप में फेंक दिए जाते हैं
सिंगल यूज प्लास्टिक के हानिकारक प्रभाव
1. सिंगल यूज प्लास्टिक बायोडिग्रेडेबल नहीं होते हैं और आमतौर पर एक जमीन के अंदर चले जाते हैं जहां यह दब जाता है या यह पानी में चला जाता है और कुछ दिनों के बाद यह नदी-नालों के माध्यम से समुद्र में चला जाता है. प्लास्टिक मिट्टी और जल निकायों में प्रवेश करके छोटे कणों में टूट जाते हैं, लेकिन वे विघटित नहीं होते हैं
2. सिंगल यूज प्लास्टिक सौ से अधिक वर्षों तक मिट्टी और पानी में रहते हैं और विषाक्त रसायनों को छोड़ते है और इस तरह हमारे सुंदर ग्रह और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं
3. सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग मनुष्य, जानवरों और समुद्री जीवों के लिए बहुत हानिकारक है
4. जल निकायों में या समुद्री जलीय जंतु अपने भोजन के साथ प्लास्टिक के कणों का सेवन करते हैं. प्लास्टिक को पचाया नहीं जा सकता है और इस तरह उनकी आंत में फंस जाता है और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं
5. बहुत बार पशु कचरे में से खाने की सामग्री के साथ प्लास्टिक की थैलियों को भी खा लेते हैं जिससे उनकी मृत्यु तक हो जाती है
6. प्लास्टिक की थैलियां जो जल निकायों में प्रवेश करती हैं, जल प्रदूषण का एक प्रमुख कारण हैं और भूजल के गुणवत्ता स्तर को भी बुरी तरह प्रभावित करती हैं
7. प्लास्टिक की थैलियों का उत्पादन विषाक्त पदार्थों को छोड़ता है जो इसके उत्पादन में शामिल लोगों में गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है
8. सिंगल यूज प्लास्टिक को जलाकर नष्ट करने पर यह पर्यावरण प्रदूषण का प्रमुख कारण बनता है. प्रदूषित वातावरण, मानव में विभिन्न रोगों का एक प्रमुख कारण है
सिंगल यूज प्लास्टिक का विलोपन
किसी भी चीज को खुद से अलग करने या निकाल देने की क्रिया या भाव विलोपन कहलाता है. सिंगल यूज प्लास्टिक का विलोपन मानव जीवन के साथ-साथ समस्त प्राणिजगत के हित के लिए अत्यंत आवश्यक है
यद्यपि भारत सरकार प्लास्टिक के प्रयोग व बिक्री पर लगातार प्रतिबंध लगाती आ रही है परन्तु जब तक हम खुद इसका प्रयोग करना बंद नहीं करेंगे तब तक इसका विलोपन करना किस प्रकार सम्भव होगा
प्लास्टिक के हानिकारक प्रभावों को देखते हुए हमें तत्काल इसको अपने जीवन से निकाल फेंकना चाहिए. हम प्लास्टिक की थैलियों में सामान लाने के बजाए कपडे के थैले का प्रयोग कर सकते हैं. डिस्पोजल बर्तनों के लिए कागज के बने बर्तन या पत्तल का प्रयोग पर्यावरण को नुकसान से बचाएगा
उपसंहार
हमारी प्रकृति और हमारा पर्यावरण हमारे जीवन का आधार है, हमारा पालनहार है. यदि हम इसके लिए कुछ बेहतर नहीं कर सकते तो कम से कम हमें इसको बर्बाद तो नहीं करना चाहिए
अपने पर्यावरण और इसमें रहने वाले जीव जंतुओं की रक्षा हेतु हमें सिंगल यूज प्लास्टिक का पूर्णतया विलोपन कर देना चाहिए. ताकि हम और हमारे पर्यावरणीय मित्र एक खुशहाल पर्यावरण में सांस ले सकें
हमारी सरकार ने भी 2023 तक भारत को प्लास्टिक से मुक्त बनाने का लक्ष्य तय किया है. हम सभी को मिलकर सरकार की इस पहल में अपनी भागीदारी देनी चाहिए
“सिंगल यूज प्लास्टिक का अगर हो जाए विलोपन,
स्वच्छता और खुशहाली में फले फूले जनजीवन”
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संक्षेप में
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