क्या आप सूर्य नमस्कार – Surya Namaskar in Hindi के बारे में जानना चाहते हैं तो यह पोस्ट आपके लिए काफी उपयोगी है
इस पोस्ट के माध्यम से आज आपको बताया गया है कि सूर्य नमस्कार कैसे करें? और सूर्य नमस्कार करने के क्या फायदे हैं तथा सूर्य नमस्कार मंत्र भी आपको इस पोस्ट में बताए गए हैं. तो आइए जानते हैं
सूर्य नमस्कार – Surya Namaskar in Hindi
सूर्य नमस्कार का मतलब सूर्य को नमन करना है. सूर्य नमस्कार 12 स्थितियों से मिलकर बना है जिसमें से प्रत्येक का राशि के 12 चिन्हों से संबंध है. शरीर के सभी जोड़ों व मांसपेशियों को मजबूत करने का भी एक अत्यंत प्रभावशाली तरीका सूर्य नमस्कार है
12 स्थितियों में से प्रत्येक स्थिति के साथ एक मंत्र भी जुड़ा है. प्रातः काल सूर्योदय के समय सूर्य नमस्कार करना श्रेष्ठ माना गया है
सूर्य नमस्कार के मंत्र – Surya Namaskar mantra in Hindi
सूर्य नमस्कार के 13 मंत्र है जोकि निम्नलिखित हैं –
- ॐ मित्राय नमः
- ॐ रवये नमः
- ॐ सूर्याय नमः
- ॐ भानवे नमः
- ॐ खगाय नमः
- ॐ पूष्णे नमः
- ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
- ॐ मरीचये नमः
- ॐ आदित्याय नमः
- ॐ सवित्रे नमः
- ॐ अर्काय नमः
- ॐ भास्कराय नमः
- ॐ श्री सबित्रू सुर्यनारायणाय नमः
सूर्य नमस्कार करने की विधि – Steps of Surya Namaskar in Hindi
सूर्य नमस्कार की स्थितियों को किस तरह किया जाता है इसके 12 Steps आपको नीचे image के साथ बताये गए हैं जिन्हें कि आप फॉलो करें
ॐ मित्राय नमः
Step 1 ⇒ सबसे पहले सीधे खड़े होकर दोनों पैरों के पंजों को मिलाएं. दोनों हाथों को जोड़कर प्रार्थना की मुद्रा में रहें और अपने पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें. इस दौरान सांस लेना सामान्य रहेगी इस स्थिति में ॐ मित्राय नमः का उच्चारण करें
ॐ रवये नमः
Step 2 ⇒ हस्तोत्तानासन, सबसे पहले लंबी गहरी सांस भरते हुए पीछे की ओर झुके दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाएं. अब आप शक्ति चक्र पर ध्यान लगाते हुए ॐ रवये नमः का उच्चारण करें
ॐ सूर्याय नमः
Step 3 ⇒ हस्त पादासन, इस आसान मे गहरी सांस बाहर छोड़ते हुए सामने की ओर झुके. दोनों हाथों को जमीन या पैरों की उंगलियों से स्पर्श करने का प्रयत्न करें और पैरों को सीधा रखें. इस वक्त आप अपना ध्यान स्वाधिष्ठान चक्र पर रखें और ॐ सूर्याय नमः का उच्चारण करें
ॐ भानवे नमः
Step 4 ⇒ अश्व संचालन आसन, अंदर सांस लेते हुए बाएं पैर को जितना संभव हो सके पीछे फैलाए. अपने दाएं पैर को मोडीये लेकिन पंजा अपने स्थान पर ही रहे. दोनों हाथ अपने स्थान पर सीधा रखें शरीर का पूरा भार दोनों हाथों, बाएं पैर के पंजे, दाएं पैर की उंगलियों पर रहेगा और ॐ भानवे नमः का उच्चारण करें
ॐ खगाय नमः
Step 5 ⇒ दंड आसन, इस स्थिति में सांस बाहर छोड़ते हुए दाएं पैर को बाएं पैर के पास रखिए. अपने नितंबों को ऊपर की ओर उठाएं और दोनों हाथों के बीच में लाने की कोशिश करें. ध्यान विशुद्धि चक्र पर रखते हुए ॐ खगाय नमः का उच्चारण करें
ॐ पूष्णे नमः
Step 6 ⇒ अष्टांग आसन, दोनों घुटनों को जमीन पर लाएं और धीरे-धीरे सांस छोड़ें. कूल्हों को पीछे की ओर उठा दे और शरीर को आगे की ओर झुकाए तथा छाती, ठुड्डी को जमीन पर स्पर्श करें. इस प्रकार आपके दो हाथ, दो पैर, दो घुटने, छाती और ठुड्डी आठ अंग मिलकर जमीन को स्पर्श कर रहे हैं इसके साथ ही ॐ पूष्णे नमः का उच्चारण करें
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
Step 7 ⇒ भुजंगासन, इस आसन में आपको अपने शरीर को ऊपर की ओर ले जाना है. दोनों हाथों को जमीन पर स्थिर रखें और अपने दोनों पैरों को पीछे की ओर फैला दें. अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को धीरे-धीरे ऊपर की ओर 90 डिग्री का कोण बनाते हुए नाक से हवा लेते हुए ऊपर उठाएं. आपके पैरों की दोनों एड़ियाँ खड़ी होनी चाहिए. घुटने जमीन से स्पर्श करने चाहिए. आपका मुख आसमान की दिशा में हो और ॐ हिरण्यगर्भाय नमः का उच्चारण करें
ॐ मरीचये नमः
Step 8 ⇒ पर्वत आसन, इस आसन में आपको अपना शरीर किसी पर्वत की तरह बना लेना है. जिस तरह एक पर्वत ऊपर से नुकीला और नीचे से चौड़ा होता है, उसी तरह आपको अपना शरीर बना लेना है
सीधा खड़ा होकर अपने दोनों पैरों को जोड़ लें और दोनों हाथों को ऊपर उठाते हुए धीरे-धीरे नीचे ले जाएं और जमीन से स्पर्श करा दें. आपकी कमर बीचोबीच किसी पर्वत की चोटी की तरह दिखनी चाहिए. आपके घुटने सीधे होने चाहिए और कोहनियां भी सीधी होनी चाहिए और ॐ मरीचये नमः का उच्चारण करें
ॐ आदित्याय नमः
Step 9 ⇒ अश्व संचालन आसन, इस आसन में घोड़े के समान शरीर बनाते हैं. लंबी सांस भरते हुए बाएं पैर को पीछे ले जाते हैं. छाती में सांस भरकर आगे की तरफ तान देते हैं. गर्दन को जितना हो सके पीछे ले जाते हैं. इस आसन में पैर का पंजा खड़ा होना चाहिए. कुछ देर तक व्यक्ति को इस आसन में रुकना चाहिए साथ ही ॐ आदित्याय नमः का उच्चारण करें
ॐ सवित्रे नमः
Step 10 ⇒ इस स्थिति में आकर ध्यान स्वाधिष्ठान चक्र में रखकर ॐ सवित्रे नमः का उच्चारण करेंगे
ॐ अर्काय नमः
Step 11 ⇒ हस्त उत्तानासन, इस स्थिति में आकर ध्यान विशुद्धि चक्र में रखेंगे और ॐ अर्काय नमः का उच्चारण करेंगे
ॐ भास्कराय नमः
Step 12 ⇒ स्थिति प्रणाम मुद्रा, इस स्थिति में पुनः प्रार्थना की मुद्रा में आकर ध्यान अनाहत चक्र में रखेंगे और ॐ भास्कराय नमः का उच्चारण करेंगे
अंत में ॐ श्री सबित्रू सुर्यनारायणाय नमः उच्चारण करें. इस प्रकार आपका सूर्य नमस्कार पूर्ण होता है
सूर्य नमस्कार क्यों करना चाहिए?
क्या आप हर तरह के रोगों से दूर रहना चाहते हैं तो इसके लिए जरूरी है सूर्य नमस्कार के 12 योगासन करना
सूर्य नमस्कार यह वर्कआउट की तरह हमारी जिंदगी में प्रवेश करता है. वर्कआउट ना करने के हमारी जिंदगी में बहुत से पॉइंट होते हैं जैसे टाइम ना होना, काम में Busy होना
यदि हमारे शरीर में बीमारियां और मोटापा बढ़ने लगता है तो इसका उपाय है सूर्य नमस्कार, सूर्य नमस्कार आपको 5 से 10 मिनट रोज करने से ये आपको फिट रखने में मदद करेगा
आजकल विदेश में भी बहुत से लोग सूर्य नमस्कार को बढ़ावा दे रहे हैं और विदेशों में यह बहुत लोकप्रिय भी होता जा रहा है. इसका फायदा लेने के लिए सबसे जरूरी है कि हम इसे सूर्योदय के समय करें. आइए अब सूर्य नमस्कार के लाभ जानते हैं
सूर्य नमस्कार करने के फायदे – Benefits of Surya Namaskar in Hindi
- सूर्य नमस्कार से त्वचा पर निखार आता है
- सूर्य नमस्कार करने से शरीर में खून का प्रभाव बेहतर होता है
- सूर्य नमस्कार करने से डाइजेशन में सुधार होता है
- सूर्य नमस्कार करने से शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालने में सहायता मिलती है
- सूर्य नमस्कार करने से रीड की हड्डी मे सुधार आता है
- सूर्य नमस्कार करने से मांसपेशियों को मजबूती मिलती है
- सूर्य नमस्कार करने से बॉडी को फ्लैक्सिबल होने में सहायता मिलती है
- सूर्य नमस्कार करने से उक्त रक्तचाप के लिए सहायता मिलती है
- सूर्य नमस्कार करने से हड्डियों को मजबूती मिलती है
- सूर्य नमस्कार करने से नींद ना आने की समस्या का दूर होती है
- सूर्य नमस्कार करने से वजन कम किया जा सकता है
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संक्षेप में
उम्मीद है आपको सूर्य नमस्कार – Surya Namaskar in Hindi का ज्ञान हो गया होगा. अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर कीजिएगा
इसी तरह की अच्छी-अच्छी जानकारियों के लिए MDS BLOG पर आते रहिएगा आपका बहुत-बहुत धन्यवाद