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Home Hindi Essay

वर्षा ऋतु पर निबंध

Sachin Sajwan by Sachin Sajwan
in Hindi Essay

हेलो मेरे दोस्त कैसे हो आप उम्मीद है आप अच्छे होंगे. तो क्या आप भी वर्षा ऋतु पर निबंध – Essay on Rainy Season in Hindi खोज रहे हैं. तो आज मैं हाजिर हूं और आपको बताऊंगा कि वर्षा ऋतु पर निबंध कैसे लिखा जाता है. विद्यार्थी वर्ग के लिए यह पोस्ट काफी लाभकारी साबित होने वाली है. तो आइए जानते है

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वर्षा ऋतु पर निबंध – Essay on Varsha ritu in Hindi
प्रस्तावना
वर्षा ऋतु का समय और महत्व
वर्षा ऋतु की कठिनाइयां
उपसंहार

वर्षा ऋतु पर निबंध – Essay on Varsha ritu in Hindi

वर्षा ऋतु पर निबंध - Essay on Varsha ritu in Hindiप्रस्तावना

हमारे देश को प्रकृति का अनुपम वरदान प्राप्त है. बारहों महीनों में छह ऋतुएँ बारी-बारी से इस भूमि की परिक्रमा करती हैं. कभी वसन्त अपनी शोभा से प्रकृति का शृंगार करती है, तो कभी ग्रीष्म उसे तृप्त कर देता है. कभी शरद उसे शीतल वायु से सिहरा देता है, तो कभी वर्षा जल से स्नान कराती है

वैसे तो इन सभी ऋतुओं का निजी महत्व है. किन्तु वर्षा न हो तो वसन्त, शरद तथा हेमन्त आदि भी सभी ऋतुएँ शोभाहीन हो जाती हैं. वर्षा के जल से सींचे हुए वृक्ष ही ग्रीष्म ऋतु में घनी छाया प्रदान करते हैं तथा वर्षा से ही अन्न उत्पन्न होता है. अतः सब ऋतुओं में वर्षा को विशेष महत्व मिला है

वर्षा ऋतु का समय और महत्व

वर्षा ऋतु का आरम्भ प्राय: आषाढ़ मास से माना जाता है. इसके पश्चात धीरे-धीरे वर्षा बढ़ने लगती है तथा भादो में जोर की वर्षा होने लगती है. वर्षा आरम्भ होते ही चारों ओर हरियाली ही-हरियाली छा जाती है

वृक्ष, घास तथा छोटे-बड़े पौधे सब हरे-भरे हो जाते हैं. आम और जामुन के वृक्षों पर तो वर्षा ऋतु में विशेष बहार आ जाती है. पशु तथा पक्षियों को इस ऋतु में बड़ा सुख मिलता है. ग्रीष्म में तपे पशु-पक्षी शीतल जल की फुहार से प्रसन्न हो जाते हैं

मेढक टर्र-टर्र की ध्वनि से आकाश को सिर पर उठा लेते हैं. कहीं तोते आम पर झपटते दिखाई देते हैं, तो कहीं नीलकंठ उड़ते दिखाई देते हैं. चारों ओर प्रसन्नता का वातावरण छा जाता है

वर्षा ऋतु में आकाश की शोभा का तो कहना ही क्या? कभी काले बादल उमड़कर आते हैं, तो कभी भूरे. इन सबके बीच में जो कहीं बिजली की चमक दिखाई पड़ जाती है. तो आकाश की शोभा बहुत बढ़ जाती है

बादलों से भरपूर आकाश के बीच में जब सतरंगी इन्द्रधनुष दिखाई पड़ता है, तो आकाश की शोभा द्विगुणित हो जाती है. कविवर ‘दिनकर’ ने तो इसे ऋतुओं की रानी बताते हुए कहा है- ‘है वसन्त ऋतुओं का राजा, वर्षा ऋतुओं की रानी’

वर्षा ऋतु मानव समाज के लिए अत्यन्त ही लाभदायक है. इसी के कारण खेती सम्भव होती है. यद्यपि सिंचाई के कृत्रिम साधन वर्षा की कमी में थोड़ी-बहुत सहायता कर देते हैं किन्तु बिना भादो के बरसे धरती का पेट नहीं भरता

वर्षा की झड़ी लगने पर ही किसान खेत बोना आरम्भ कर देते हैं. इसके अतिरिक्त ग्रीष्म ऋतु में जो तालाब, कुएँ अथवा नदियाँ आदि सूख जाती हैं वर्षा में वे फिर जलयुक्त हो जाती हैं. इस प्रकार वर्षा मानव के लिए अत्यंत उपयोगी है

वर्षा ऋतु की कठिनाइयां

वर्षा ऋतु में निर्धन समाज को विशेष रूप से बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. अधिक वर्षा से उनके मकान गिरने लगते हैं. विषैले कीड़े जैसे- साँप, बिच्छू, आदि इसी ऋतु में अधिक निकलते हैं. वर्षा के कारण कच्चे मार्ग कीचड़ से भर जाते हैं

किसी-किसी गाँव को तो पानी चारों ओर से घेर लेता है और आने-जाने के मार्ग बिल्कुल ही बन्द हो जाते हैं. अत्यधिक वर्षा से जब नदियों में बाढ़ आ जाती है तो प्रलयंकारी दृश्य उपस्थित हो जाता है

बाढ़ से धन-जन की अपार हानि होती है. वर्षा ऋतु में जल इधर-उधर रुक भी जाता है. रुके हुए इस जल में अनेक रोगों को फैलाने वाले मच्छर जन्म लेते हैं और इसके कारण अनेक व्यक्तियों को जान से हाथ धोना पड़ जाता है. इस प्रकार मानव समाज को वर्षा ऋतु में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है

उपसंहार

इतनी कठिनाइयाँ होने पर भी मानव प्रतिवर्ष वर्षा की प्रतीक्षा करता है. क्योंकि इससे उसे अनन्त लाभ मिलते हैं. ठीक समय पर हुई वर्षा से जितना लाभ होता है, उतना अन्य किसी से भी नहीं हो सकता. इसीलिए तो भारतीय ऋषियों ने कहा है-‘काले वर्षतु पर्जन्यः, पृथ्वी शस्य शालिनी’ वास्तव में किसान की खेती और देश की उन्नति ठीक समय की वर्षा पर ही निर्भर है

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संक्षेप में

दोस्तों मुझे उम्मीद है आपको वर्षा ऋतु पर निबंध – Essay on Varsha ritu in Hindi अच्छा लगा होगा. अगर आपको यह निबंध अच्छा लगा है तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले

दोस्तों अगर आप इसी तरह की जानकारियों को जानना चाहते हैं तो MDS BLOG के साथ जरूर जुड़िए जहां की आपको कई तरह की शिक्षात्मक जानकारियां दी जाती है. यह पोस्ट पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !

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