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विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध

Sachin Sajwan by Sachin Sajwan
in Hindi Essay

Vigyan Vardan Ya Abhishap Essay in Hindi : दिन-प्रतिदिन विज्ञान नई-नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है. लगभग हर क्षेत्र विज्ञान से प्रभावित है. यदि आप विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध लिखना चाहते हैं तो यह पोस्ट आपके लिए एकदम सही है

विज्ञान वरदान है या अभिशाप पर निबंध आज आपको जानने को मिलेगा. यह निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 तक के सभी विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है. आइए जानते हैं

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विज्ञान वरदान या अभिशाप – Vigyan Vardan Ya Abhishap Essay in Hindi
प्रस्तावना
विज्ञान एक वरदान के रूप में
विज्ञान एक अभिशाप के रूप में
विज्ञान वरदान या अभिशाप
उपसंहार

विज्ञान वरदान या अभिशाप – Vigyan Vardan Ya Abhishap Essay in Hindi

विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध, Vigyan Vardan Ya Abhishap Essay in Hindi, Vigyan Vardan Ya Abhishap par Nibandh

प्रस्तावना

इस पृथ्वी पर मनुष्य को उत्पन्न हुए लाखों वर्ष व्यतीत हो चुके हैं किंतु वास्तविक वैज्ञानिक उन्नति पिछले दो-सौ वर्षों में ही हुई है

साहित्य में विमानों और दिव्यास्त्रों के कवित्वमय उल्लेख के अतिरिक्त कोई ऐसे प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं जिनके आधार पर यह सिद्ध हो सके कि प्राचीनकाल में इस प्रकार की वैज्ञानिक उन्नति हुई थी

एक समय था जब मनुष्य सृष्टि की प्रत्येक वस्तु को कौतूहलपूर्ण दृष्टि से देखता था तथा उनसे भयभीत होकर इन से अपनी रक्षा करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना किया करता था किंतु आज विज्ञान ने प्रकृति को वश में करके उसे मानव की दासी बना दिया है

आधुनिक युग में विज्ञान के नवीन आविष्कारों ने विश्व में क्रांति सी उत्पन्न कर दी है. विज्ञान के बिना मनुष्य के स्वतंत्र अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती विज्ञान की सहायता से मनुष्य प्रकृति पर निरंतर विजय प्राप्त करता जा रहा है

आज से कुछ वर्ष पूर्व विज्ञान के आविष्कारों की चर्चा से ही लोग आश्चर्यचकित हो जाया करते थे परंतु आज वही आविष्कार मनुष्य के जीवन में पूर्णतया घुल-मिल गए हैं

विज्ञान ने हमें अनेक सुख-सुविधाएँ प्रदान की हैं किंतु साथ ही विनाश के विविध साधन भी जुटा दिए है

इस स्थिति में यह प्रश्न विचारणीय हो गया है कि विज्ञान मानव कल्याण के लिए कितना उपयोगी है, वह समाज के लिए वरदान है या अभिशाप?

विज्ञान एक वरदान के रूप में

आधुनिक विज्ञान ने मानव सेवा के लिए अनेक प्रकार के साधन जुटा दिए हैं. पुरानी कहानियों में वर्णित अलादीन के चिराग का दैत्य जो काम करता था उन्हें विज्ञान बड़ी सरलता से कर देता है

रातो-रात भवन बनाकर खड़ा कर देना, आकाश-मार्ग से उड़कर दूसरे स्थान पर चले जाना, शत्रु के नगरों को मिनटों में बरबाद कर देना आदि विज्ञान के द्वारा संभव किए गए ऐसे ही कार्य हैं

इस रूप में विज्ञान मानव जीवन के लिए एक वरदान सिद्ध हुआ है उसकी वरदायिनी शक्ति ने मानव को अपरिमित सुख-समृद्धि प्रदान किये है

परिवहन के क्षेत्र में – पहले लंबी यात्राएँ दुरूह स्वप्न-सी लगती थीं किंतु आज रेल, मोटर और वायुयानों ने लंबी यात्राओं को अत्यंत सुगम व सुलभ कर दिया है. संपूर्ण पृथ्वी पर ही नहीं आज के वैज्ञानिक साधनों के द्वारा मनुष्य ने चंद्रमा पर भी अपने कदमो के निशान बना दिए हैं

संचार के क्षेत्र में – टेलीफोन, टेलीग्राम, टेलीप्रिंटर, टेलेक्स, फैक्स, ई-मेल आदि के द्वारा क्षणभर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक संदेश पहुँचाए जा सकते हैं. रेडियो और टेलीविजन द्वारा कुछ ही क्षणों में किसी समाचार को विश्वभर में प्रसारित किया जा सकता है

चिकित्सा के क्षेत्र में – चिकित्सा के क्षेत्र में तो विज्ञान वास्तव में वरदान सिद्ध हुआ है. आधुनिक चिकित्सा पद्धति इतनी विकसित हो गई है कि अंधे को आँखें और विकलांगों को अंग मिलना अब असंभव नहीं लगता कैसर, टी०बी०, हृदयरोग जैसे भयंकर और प्राणघातक रोगो पर विजय पाना विज्ञान के माध्यम से ही संभव हो सका है

खाद्यान्न के क्षेत्र में – आज हम उत्पादन एवं उसके संरक्षण के मामले में आत्मनिर्भर होते जा रहे हैं. इसका श्रेय आधुनिक विज्ञान को ही है. विभिन्न प्रकार के उर्वरकों, कीटनाशक दवाओं, खेती के आधुनिक साधनों तथा सिंचाई सम्बन्धी कृत्रिम व्यवस्था ने खेती को अत्यंत सरल व लाभदायक बना दिया है

उद्योगों के क्षेत्र में – उद्योगों के क्षेत्र में विज्ञान ने क्रांतिकारी परिवर्तन किए हैं. विभिन्न प्रकार की मशीनों ने उत्पादन की मात्रा में कई गुना वृद्धि की है

दैनिक जीवन में – हमारे दैनिक जीवन का प्रत्येक कार्य अब विज्ञान पर ही आधारित है. विद्युत् हमारे जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग बन गई है. बिजली के पंखे, कुकिंग गैस, स्टोव, फ्रिज आदि के निर्माण ने मानव को सुविधापूर्ण जीवन का वरदान दिया है

इन आविष्कारों से समय शक्ति और धन की पर्याप्त बचत हुई है. विज्ञान ने हमारे जीवन को इतना अधिक परिवर्तित कर दिया है कि यदि दो-सौ वर्ष पूर्व का कोई व्यक्ति हमें देखे तो वह यही समझेगा कि हम स्वर्ग में रह रहे हैं

यह कहने में कोई अतिशयोक्ति न होगी कि भविष्य का विज्ञान मृत व्यक्ति को भी जीवन दे सकेगा इसलिए विज्ञान को वरदान न कहा जाए तो और क्या कहा जाए?

विज्ञान एक अभिशाप के रूप में

विज्ञान का एक दूसरा पहलू भी है. विज्ञान ने मनुष्य हाथ में अपार शक्ति दे दी है किंतु उसके प्रयोग पर कोई बंधन नहीं लगाया है

स्वार्थी मानव इस शक्ति का प्रयोग जितना रचनात्मक कार्यों के लिए कर रहा है उससे अधिक प्रयोग विनाशकारी कार्यों के लिए भी कर रहा है

सुविधा प्रदान करने वाले उपकरणों ने मनुष्य को आलसी बना दिया है. यंत्रों के अत्यधिक उपयोग ने देश में बेरोजगारी को जन्म दिया है परमाणु-अस्त्रों के परीक्षणों ने मानव को भयाक्रांत कर दिया है

जापान के नागासाकी और हिरोशिमा नगरों का विनाश विज्ञान की ही देन का परिणाम है. मनुष्य अपनी पुरानी परंपराएँ और आस्थाएँ भूलकर भौतिकवादी होता जा रहा है

भौतिकता को अत्यधिक महत्त्व देने के कारण उसमें विश्व बंधुत्व की भावना लुप्त होती जा रही है. परमाणु तथा हाइड्रोजन बम नि:संदेह विश्व-शांति के लिए खतरा बन गए हैं इनके प्रयोग से किसी भी क्षण संपूर्ण विश्व तथा विश्व संस्कृति का विनाश संभव है

विज्ञान वरदान या अभिशाप 

विज्ञान के विषय में उक्त दोनों दृष्टियों से विचार करने के बाद यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो जाती है कि एक ओर विज्ञान हमारे लिए कल्याणकारी है तो दूसरी ओर विनाश का कारण भी

किंतु विनाश के लिए विज्ञान को ही उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता विज्ञान तो एक शक्ति है, जिसका उपयोग अच्छे और बुरे दोनों तरह के कार्यों के लिए किया जा सकता है

यह एक तलवार हैं जिससे शत्रु का गला भी काटा जा सकता है और मुर्खतावश अपना भी विनाश करना विज्ञान का दोष नहीं है अपितु मनुष्य के असंस्कृत मन का दोष है

यदि मनुष्य अपनी प्रवृत्तियों को रचनात्मक दिशा में प्रवृत्त कर दे तो विज्ञान एक वरदान ह ;किंतु जब तक मनुष्य मानसिक विकास की उस अवस्था तक नहीं पहुंचता तब तक विज्ञान के माध्यम से जितना भी विनाश होगा उसे अभिशाप ही समझा जाएगा

उपसंहार

विज्ञान का वास्तविक लक्ष्य मानव-हित और मानव कल्याण है. यदि विज्ञान अपने इस लक्ष्य से भटक जाता है तो विज्ञान को त्याग देना ही हितकर होगा राष्ट्रकवि रामधारीसिंह दिनकर ने अपनी इसी धारणा को इन शब्दों में व्यक्त किया है 

“सावधान, मनुष्य यदि विज्ञान है तलवार,
तो इसे दे फेंक, तजकर मोह, स्मृति के पार,
हो चुका है सिद्ध, है तू शिशु अभी अज्ञान,
फूल-काँटों की तुझे कुछ भी नहीं पहचान,
खेल सकता तू नहीं ले हाथ में तलवार
काट लेगा अंग, तीखी है बड़ी यह धार”

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संक्षेप में

दोस्तों उम्मीद है आपको विज्ञान वरदान या अभिशाप – Vigyan Vardan Ya Abhishap Essay in Hindi अच्छा लगा होगा. अगर आपको यह निबंध कुछ काम का लगा है तो इसे जरूर सोशल मीडिया पर शेयर कीजिएगा.

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