Hindi Essay

व्यायाम पर निबंध

नमस्कार दोस्तों क्या आप व्यायाम पर निबंध – Essay on exercise in Hindi खोज रहे हैं. तो यह पोस्ट आपके लिए काफी लाभकारी साबित होगी

इस पोस्ट में आपको व्यायाम का महत्व तथा व्यायाम पर निबंध कैसे लिखा जाए इसके बारे में बताया गया है. आइए व्यायाम पर निबंध की शुरुआत करते हैं –

व्यायाम पर निबंध – Essay on exercise in Hindi

व्यायाम पर निबंध - Essay on exercise in Hindi, व्यायाम का महत्व

प्रस्तावना

व्यायाम शब्द ‘वि’ उपसर्ग के साथ आयाम शब्द लगाने से बना है. जिसका सामान्य अर्थ विशेष फैलाव है. अतः व्यायाम वह क्रिया है जिसके द्वारा हमारे अंग-प्रत्यंग में विशेष वृद्धि हो. आधुनिक युग में व्यायाम शारीरिक और मानसिक विकास के लिए अति आवश्यक है और माना जाता है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है

व्यायाम का महत्व

हमारे दैनिक जीवन में व्यायाम का विशेष महत्व है. मनुष्य का शरीर एक यंत्र है. यदि आप यंत्र को बेकार छोड़ दें, तो उसके पुर्जों में जंग लग जाएगा और कुछ दिनों के बाद उसके सारे पुर्जे व्यर्थ हो जायेंगे. जिस यंत्र से अत्यधिक उत्पादन किया जा सकता है वह यंत्र भार स्वरूप हो जायेगा. यही हाल हमारे शरीर का है

यदि हम अपने अंगों का संचालन न करें, तो हमारे अंगों का समुचित विकास नहीं होगा क्रमशः हमारी शक्ति क्षीण होती जाएगी और हमारा शरीर ‘आनन्द-निकेतन’ न रहकर ‘व्याधि-मन्दिर’ बन जाएगा

मनुष्य अपना भाग्यविधाता स्वयं है. वह सक्रिय रहे तो अपनी बलिष्ठ भुजाओं के बल पर संसार में विजय का डंका बजा सकता है. यदि निष्क्रिय रहे तो यक्ष्माग्रस्त होकर, खाट पर पड़े-पड़े मृत्यु की घड़ियाँ गिन सकता है. वसुन्धरा वीर भोग्या है और वीर बनने के लिए व्यायाम आवश्यक है. दिनकरजी ने ठीक ही कहा है –

पत्थर-सी हों मांसपेशियाँ
लोहे-से भुजदण्ड अभय
नस-नस में हो लहर आग की
तभी जवानी पाती जय

जो विद्यार्थी यह समझते हैं कि व्यायाम में समय नष्ट होता है वे भारी भूल में है. आधुनिक भारत के निर्माता कर्मयोगी विवेकानन्द ने लिखा है- ओ मेरे मित्र, यदि तुम गीता समझना चाहते हो तो पहले फुटबॉल खेलो. यदि तुम ठीक ढंग से फुटबॉल नहीं खेल सकते हो तो याद रखो कि गीता क़ा मर्म तुम नहीं समझ सकते

व्यायाम के प्रकार

व्यायाम के अनेक प्रकार हो सकते हैं. यथा प्रातःकाल टहलना या खुली जगह में दौड़ना, टहलने से शरीर की पाँच हजार पेशियों की कसरत एक साथ होती है. व्यायाम के दूसरे प्रकार में तरह-तरह के आसन हो सकते हैं जैसे – हलासन, मयूरासन, पद्मासन, शीर्षासन इत्यादि

व्यायाम के लिए तरह-तरह के खेल हो सकते हैं – कबड्डी, फुटबॉल, बैडमिंटन, हॉकी, टेनिस इत्यादि. व्यायाम में दण्ड-बैठक को भी सम्मिलित किया जा सकता है. लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ने अपनी आत्मकथा में दण्ड-बैठक की महत्ता पर प्रकाश डाला है

उपसंहार

व्यायाम के साथ उचित आहार-विहार तथा मनःशुद्धि पर भी ध्यान रखना चाहिए अन्यथा इच्छित फल की प्राप्ति नहीं होगी और हम व्यर्थ ही व्यायाम को बदनाम करेंगे

अंग्रेजी की एक कहावत है – a sound mind in a sound body. अर्थात्, मजबूत शरीर में ही मजबूत मन का निवास रहता है. यदि हम हनुमान या अर्जुन की तरह स्वस्थ सुन्दर शरीर तथा एकनिष्ठ लक्ष्यवेधी मन चाहते हैं, यदि हम योग और भोग, भौतिक समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति एक साथ चाहते हैं. तो हमें नित्यप्रति नियमपूर्वक व्यायाम अवश्य करना चाहिए

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संक्षेप में

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